Zee जानकारी : सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगकर केजरीवाल पाकिस्तान में हुए सुपरहिट
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Zee जानकारी : सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगकर केजरीवाल पाकिस्तान में हुए सुपरहिट

पाकिस्तान की सरकार और वहां का मीडिया भारत में अपने अनौपचारिक प्रवक्ताओं यानी अनऑफिशियल स्पोक्सपर्सन्स की तलाश कर रहा है। भारत गणराज्य का कोई भी ऐसा नागरिक जो भारत की सेना और सरकार पर सवाल उठाने की योग्यता रखता है वो इस पाकिस्तान प्रेमी पोस्ट के लिए अप्लाई कर सकता है। इसमें हिस्सा लेने वाले लोगों को लिए सिर्फ एक परीक्षा पास करनी होगी। 

Zee जानकारी : सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगकर केजरीवाल पाकिस्तान में हुए सुपरहिट

नई दिल्ली : पाकिस्तान की सरकार और वहां का मीडिया भारत में अपने अनौपचारिक प्रवक्ताओं यानी अनऑफिशियल स्पोक्सपर्सन्स की तलाश कर रहा है। भारत गणराज्य का कोई भी ऐसा नागरिक जो भारत की सेना और सरकार पर सवाल उठाने की योग्यता रखता है वो इस पाकिस्तान प्रेमी पोस्ट के लिए अप्लाई कर सकता है। इसमें हिस्सा लेने वाले लोगों को लिए सिर्फ एक परीक्षा पास करनी होगी। इस परीक्षा के तहत भारतीय सेना की सर्जिकल स्ट्राइक, भारतीय सरकार की इच्छाशक्ति और देश की एकजुटता पर सवाल उठाने की क्षमता जांची जाएगी और जो भी इस परीक्षा को पास कर लेगा वो भारत में पाकिस्तान के अनौपचारिक राजदूत और प्रवक्ता के पद पर अपना काम शुरू कर सकता है। इसके लिए अच्छी ऊर्दू की जानकारी आवश्यक नहीं है। ये काम हिंदी में या फिर अपनी मातृभाषा में भी किया जा सकता है। बस भारतीय सेना और सरकार पर सवाल उठाने का अच्छा अनुभव होना चाहिए।

हम आपको बता दें कि ये ऑफर भारत में कई डिजाइनर पत्रकारों और डिज़ाइनर राजनेताओं को लुभा रहा है और ये लोग भारत में पाकिस्तान के प्रवक्ता वाली पोस्ट के लिए बढ़-चढ़ कर स्क्रीन टेस्ट दे रहे हैं। ऐसा ही एक स्क्रीन टेस्ट दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कल दिया था। और 24 घंटे से भी कम समय में केजरीवाल पाकिस्तान में सुपरहिट हो गए। पाकिस्तान के प्रोपेगेंडा का बहाना बनाकर भारत की सरकार से सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगने वाले केजरीवाल को पाकिस्तान में बहुत प्यार मिल रहा है। आप कह सकते हैं कि केजरीवाल शब्दों की लाइन ऑफ कंट्रोल को पार करके सीधे पाकिस्तान पहुंच गए हैं। जहां उनका हीरो की तरह स्वागत हो रहा है। 

केजरीवाल अकेले ऐसे डिजाइनर राजनेता नहीं है, जो अघोषित तौर पर भारत में पाकिस्तान के प्रवक्ता की पोस्ट के लिए सेलेक्ट हुए हैं। कांग्रेस के नेता संजय निरुपम भी केजरीवाल के साथ भारत में मैसेंजर ऑफ पाकिस्तान बन गए हैं। महाभारत में संजय नाम के किरदार ने धृतराष्ट्र को कौरवों और पांडवों के बीच हुए युद्ध का आंखों देखा हाल सुनाया था। लेकिन कांग्रेस के नेता संजय निरुपम के पास भारत की सर्जिकल स्ट्राइक देखने की दिव्य शक्ति नहीं है। और उन्हें देश की सेना पर विश्वास भी नहीं है। इसलिए वो भारत सरकार से इसके सबूत मांग रहे हैं। एक तरह से केजरीवाल और संजय निरुपम ये कहने की कोशिश कर रहे हैं कि सर्जिकल स्ट्राइक्स की सीडी जल्द ही नज़दीकी स्टोर में उपलब्ध कराई जाए। ताकि ये डिजाइनर नेता ही नहीं बल्कि देश के दुश्मन भी भारत के कमांडोज, उनकी रणनीति, उनके हथियारों और उनकी संख्या का अनुमान लगा सकें।

अरविंद केजरीवाल और संजय निरुपम जैसे राजनेता, भारत में रहकर पाकिस्तान की जुबान बोल रहे हैं। वहां के न्यूज चैनल्स और अखबार इन राजनेताओं के बयानों को आधार बनाकर भारत की एकता और अखंडता पर सवाल उठा रहे हैं। सवाल ये है कि क्या इन लोगों ने कभी ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बारे में सबूत मांगे थे। जिस सर्जिकल स्ट्राइक के तहत अमेरिका ने ओसामा बिन लादेन को मारा था उसे ऑपरेशन जेरेनीमो कहा गया था। लेकिन दुनिया के सबसे बड़े आतंकवादी को मारने से जुड़ा कोई भी वीडियो या कोई दूसरा सबूत दुनिया को नहीं दिखाया गया। कोई तस्वीर जारी नहीं की गई। ऑपरेशन में शामिल कमांडोज के नाम दुनिया को नहीं बताए गए।

ऐसे में सवाल ये है कि केजरीवाल, संजय निरुपम, दिग्विजय सिंह और पी चिदंबम जैसे नेता भारत की सुरक्षा से जुड़े एक गोपनीय ऑपरेशन के सबूत क्यों मांग रहे हैं। यहां आपको ये समझना होगा कि सर्जिकल स्ट्राइक एक गंभीर सैन्य मिशन को कहते हैं। और ऐसे मिशन्स के वीडियो फिल्मों की तरह शुक्रवार को बड़े पर्दे पर रिलीज़ नहीं होते। और ना ही रामलीला में आने वाले लोगों को प्रोजेक्टर के ज़रिए दिखाए जाते हैं। सर्जिकल स्ट्राइक्स की तस्वीरें यूट्यूब पर भी उपलब्ध नहीं कराई जातीं। आप इसे टॉरेन्ट साइट्स के ज़रिए भी डाउनलोड नहीं कर सकते। क्योंकि ये मिशन किसी डिजाइनर राजनेता और पत्रकार के मनोरंजन के लिए अंजाम नहीं दिए जाते, बल्कि इनका मकसद सिर्फ और सिर्फ देश के हितों की रक्षा और देश की सुरक्षा करना होता है। इसलिए जो लोग भारत की सेना और सरकार पर सवाल उठा रहे हैं वो पाकिस्तान में प्यार पाने के पूरे हकदार हैं। 

देश पर सवाल उठाने वाली राजनीति की ये दिशाहीन मिसाइलें पाकिस्तान के हाथ लग चुकी हैं और पाकिस्तान अपने फायदे के लिए इनका भरपूर इस्तेमाल कर रहा है। यानी भारत के डिज़ाइनर नेता और पत्रकार पाकिस्तान की उंगलियों पर नाचने वाली कठपुतली जैसे नज़र आ रहे हैं। अब देश के डिज़ाइनर नेता अरविंद केजरीवाल अगर चाहें तो एक नया पोस्टर छपवा सकते हैं जिसमें ये लिखा जा सकता है कि वो परेशान करते रहे और हम पाकिस्तान का काम आसान करते रहे।

अरविंद केजरीवाल अब तक सोशल मीडिया के ज़रिए ही राजनीति की सीढ़ियां चढ़ते आए हैं। इसलिए उन्हें लगता है कि हर चीज़ ट्वीटर, फेसबुक और यूट्यूब पर अपलोड कर देनी चाहिए फिर चाहे वो कितनी ही संवेदनशील क्यों ना हो। वो चाहते हैं कि भारत के सर्जिकल स्ट्राइक ऑपरेशन की सीडी बनाकर नज़दीकी स्टोर पर उपलब्ध करवा दी जाएं। वैसे अरविंद केजरीवाल को सीडी वाली राजनीति करने का बहुत शौक है। अभी हाल ही में उनके एक मंत्री की सीडी देश देख चुका है और देश ये समझ भी गया है कि कौन सी राजनीति देश का निर्माण करती है और कौन सी राजनीति देश का नुकसान करती है। लेकिन अरविंद केजरीवाल को ये ज़रा सी बात समझ में नहीं आ रही है।

भारत की सरकार और सेना से सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगने वाले नेताओं को ये समझना होगा कि देश के हित में अंजाम दिए गए सेकरेट मिशन्स की सच्चाई क्लासीफाइड यानी गोपनीय होती है। दुनिया भर की सेनाओं और सरकारों ने कई ऐसे मिशन्स और ऑपरेशन्स को अंजाम दिया है, जिनकी सच्चाई आज तक लोगों को पता नहीं है। ओसामा बिन लादेन को मारने के लिए अमेरिका द्वारा चलाया गया ऑपरेशन जेरेनीमो आज भी गोपनीय है। सेना द्वारा अंजाम दिए गोपनीय मिशन्स की डिटेल्स कई बार कई दशकों के बाद लोगों के सामने आती है। और कई बार कोई भी डिटेल कभी सामने नहीं आती। 

-इज़रायल ने 1976 में यूगांडा में एक सर्जिकल ऑपरेशन को अंजाम दिया था, जिसकी कोई वीडियोग्राफी नहीं की गई। कोई तस्वीर नहीं ली गई। 
-18 अप्रैल 2004 को इजरायल ने एक सर्जिकल स्ट्राइक में आतंकवादी संगठन हमास के प्रमुख अब्देल अज़िज अल रनतिस्सी को मार दिया था। जिसका आज भी कोई वीडियो प्रूफ मौजूद नहीं है। 
-श्रीलंका में गृहयुद्ध के दौरान LTTE के खिलाफ भारत की सेना ने कई सैन्य अभियानों को अंजाम दिया जिनसे जुड़ी जानकारियां आज भी गोपनीय हैं।
-इसी तरह जून 2015 में भारत की सेना ने म्यांमार में घुसकर आतंकवादियों का खात्मा किया था और वो भी एक तरह की सर्जिकल स्ट्राइक थी। जिससे जुड़ी जानकारियों को कभी सार्वजनिक नहीं किया गया।

हमें लगता है कि भारत की सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगने वालों को पाकिस्तान के बयानों और उसकी छटपटाहट में सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत ढूंढने चाहिए। अगर ये लोग पाकिस्तानी सरकार और वहां की सेना के चेहरे को Zoom करके देखेंगे तो इन्हें भारतीय सेना के पराक्रम का सबूत मिल जाएगा। लेकिन ऐसा करने से पहले इन्हें पाकिस्तान के विचारों से खुद का शुद्धीकरण करना होगा तभी इन्हें पाकिस्तान की हार और भारत की जीत नज़र आ पाएगी।

पाकिस्तान की मिसाइलों की क्षमता भले ही लंबी दूरी की ना हो, लेकिन केजरीवाल के शब्दों वाली दिशाहीन मिसाइल इस वक्त पाकिस्तान समेत पूरी दुनिया का चक्कर लगा रही है। कहते हैं कि छोड़ी गई मिसाइल और शब्द वापस नहीं आते और कई बार शब्द मिसाइलों से भी ज्यादा घातक साबित होते हैं। ज़रा सोचिए कि वो अरविंद केजरीवाल सेना और सरकार से सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांग रहे हैं जिनकी सरकार का मंत्री अदालत में चिकनगुनिया की रिपोर्ट भी पेश नहीं कर पाया।

इस वक्त केजरीवाल, संजय निरुपम, दिग्विजय सिंह और पी चिदंबरम जैसे नेताओं के शब्द भारत को नुकसान पहुंचा रहे हैं। ये नेता चाहें तो पाकिस्तानी कलाकारों से सबक ले सकते हैं। जो अपने देश जाने के बाद कभी अपने देश की आलोचना नहीं करते। यहां तक कि आतंकवाद की निंदा भी नहीं करते क्योंकि ये कलाकार जानते हैं कि भारत के खिलाफ आतंकवाद पाकिस्तान की राजनीति का हिस्सा हैं। निशान-ए-पाकिस्तान, पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है और जिस तरह से भारत के कई डिजाइनर नेता पाकिस्तान के दावों का समर्थन कर रहे हैं, वो दिन दूर नहीं है जब पाकिस्तान का समर्थन करने वाले किसी भारतीय डिज़ाइनर नेता को भी ये सम्मान दे दिया जाए।

अरविंद केजरीवाल इन दिनों पंजाब में चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। लेकिन कोई भी बयान देने से पहले उन्हें ये ध्यान देना होगा कि भारतीय पंजाब और पाकिस्तानी पंजाब में काफी फर्क है। भारत के पंजाब की राजनीति में अरविंद केजरीवाल शामिल होना चाहते हैं तो उनका स्वागत है। लेकिन अपने बयानों से उन्हें पाकिस्तान के पंजाब को खुश करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। उन्हें इस बात का एहसास होना चाहिए कि अब तक दुनिया के किसी नेता ने ऐसी कोई राजनीतिक पार्टी नहीं बनाई है, जिसकी इंटरनेशनल फ्रेंचाइजी हो और जिसके नेता दूसरे देशों में जाकर चुनाव लड़ें। अरविंद केजरीवाल राजनीति में प्रयोग करने और बदलाव के पक्षधर हैं और हम इस विचार का समर्थन करते हैं। लेकिन ऐसा करते वक्त ये नहीं भूलना चाहिए कि राजनीति की भी लाइन ऑफ कंट्रोल होती और इस लाइन को पार करने वाले नेता, देश में अपनी पहचान खो सकते हैं।

आप सोच कर देखिए कि भारतीय सेना के जो जवान पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक में शामिल रहे होंगे, उन्हें इन नेताओं के बयान सुनकर कैसा लग रहा होगा। बहुत मुमिकन है कि वो ये सोच रहे होंगे ऐसे विचारों के खिलाफ भारत में इटर्नल सर्जिकल स्ट्राइक कब होगी। सैनिक बनने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। कठिन ट्रेनिंग से गुजरना पड़ता है। घर से दूर रहना पड़ता है, अपनी निजी जिंदगी के खूबसूरत लम्हों का बलिदान देना पड़ता है। दुश्मन के खिलाफ हथियार उठाने पड़ते हैं। लेकिन इसके मुकाबले नेता बनना काफी आसान है। नेता बनने के लिए पढ़ाई लिखाई के लिए कोई खास योग्यता नहीं चाहिए, लेकिन एक सैनिक को पढ़ाई लिखाई के साथ साथ शारीरिक क्षमता का भी परिचय देना पड़ता है। 

हमें लगता है कि देश की सेना लाखों आतंकवादियों को मार दे और एक भी सबूत ना दें तो भी किसी नेता को देश की सेना से सबूत मांगने का हक नहीं होना चाहिए। और अगर डिजाइनर नेताओं को सबूत मांगने का शौक है तो वो बस भर के बॉर्डर पर जा सकते हैं, खुद सर्जिकल स्ट्राइक कर सकते हैं। चाहें तो कई कैमरों की मदद से सर्जिकल स्ट्राइक के वीडियोज बना सकते हैं और फिर जितने लोगों को चाहें वो वीडियो दिखा सकते हैं। लेकिन देश की सेना से उनके पराक्रम के सबूत मांगने का हक किसी को नहीं है। नेताओं को भी नहीं। इसलिए जो नेता भारत की सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठा रहे हैं वो भारतीय सेना का अपमान कर रहे हैं, आज पूरे देश को ऐसे नेताओं का बहिष्कार करना चाहिए।

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