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DNA: हमास समर्थक केरल से आए, दिल्ली में पिट गए...राजधानी में कैसे हुआ 'गाजा प्रेमियों' का इलाज?

Protest Support of Hamas: हमास वाली कट्टरपंथी सोच के शिकार सिर्फ पाकिस्तान में नहीं है. भारत में भी इस बीमारी के शिकार मौजूद है. आए दिन ये गाजा प्रेमी गैंग अपनी कट्टरता का प्रमाण सड़क पर देता रहता है. 

DNA: हमास समर्थक केरल से आए, दिल्ली में पिट गए...राजधानी में कैसे हुआ 'गाजा प्रेमियों' का इलाज?

Israel-Gaza War: कट्टरपंथ ऐसा प्रदूषित विचार है,  जिसे कोई दीवार नहीं रोक सकती है. कट्टरपंथ ऐसा जहर है जिसे कोई सीमा नहीं रोक सकती है. ये वैचारिक प्रदूषण दुनिया के हर हिस्से को संक्रमित कर रहा है और एक समान नुकसान पहुंचाता है.

हमास वाली कट्टरपंथी सोच के शिकार सिर्फ पाकिस्तान में नहीं है. भारत में भी इस बीमारी के शिकार मौजूद है. आए दिन ये गाजा प्रेमी गैंग अपनी कट्टरता का प्रमाण सड़क पर देता रहता है. लेकिन दोनों देशों में गाजा प्रेमियों के ट्रीटमेंट में बड़ा फर्क है. गाजा प्रेमी पाकिस्तान में सड़क पर उतरकर पुलिसवालों को पीट रहे हैं लेकिन दिल्ली में खुद पिट रहे हैं.

तेजी से वायरल हो रहा वीडियो

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सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें नजर आ रहा है कि तहरीक-ए-लब्बैक के कुछ वैचारिक बंधु दिल्ली में हमास के समर्थन में प्रदर्शन करने उतरे थे. लेकिन स्थानीय लोगों ने इस प्रदर्शन का विरोध किया. दोनों पक्षों में तनातनी हुई. उसके बाद हमास के समर्थन में प्रदर्शन कर रहे गुट की शारीरिक मरम्मत हो गई.

गाजा प्रेमियों ने प्रदर्शन के लिए पुलिस से इजाजत नहीं ली थी. बस हाथ में फिलिस्तीन का झंडा लिया, हमास समर्थक नारे उछाले और सड़क पर उतर गए थे अपनी कट्टरपंथी विचारधारा का प्रमाण देने के लिए. अब हमास की विषैली विचारधारा से संक्रमित प्रदर्शनकारियों के बारे में जान लीजिए.

2600 किमी दूर से पहुंचे दिल्ली

कहते हैं बुरी चीजों का असर ज्यादा तेजी से होता है. कट्टरपंथी विचारधारा को लेकर बात सौ प्रतिशत सही साबित हो रही है. वायरल वीडियो में प्रदर्शन करते हुए दिख रहे छात्र करीब 2600 किलोमीटर का सफर तय कर केरल से दिल्ली पहुंचे थे. कट्टरपंथी विचारधारा का संक्रमण कितना खतरनाक होता है उसे समझिए. जिस उम्र में आम छात्र अपने करियर को लेकर चिंतित होते हैं, कामकाज और नौकरी पर फोकस करते हैं उसी उम्र में कट्टरपंथी संक्रमण के शिकार नौजवान हमास के समर्थन में नारेबाजी कर रहे हैं. 

वायरल वीडियो में इनके सिर पर खास किस्म का स्कार्फ नजर आ रहा है. दुनिया के तमाम कट्टरपंथी ऐसा ही स्कॉर्फ अपने सिर पर रखते हैं. इनके हाथों में फिलिस्तीन का झंडा नजर आ रहा है. सोचिए इनके दिमाग में कट्टरपंथ का जहर कितना भरा गया है कि जिन हाथों में तिरंगा होना चाहिए था उन हाथों में फिलिस्तीन का झंडा है. वही झंडा जिसकी पहचान हमास की हिंसा से जुड़ती है. इस प्रोटेस्ट के पीछे की मानसिकता को दिखाता एक और झंडा इनके हाथ में था. आपको समझ आ रहा होगा कि कॉलेज के इन छात्रों के मन-मस्तिष्क में कट्टरपंथ का जहर किसने भरा, ये हम आपको बताएंगे. पहले गाजा प्रेमियों की मरम्मत करनेवालों को जान लीजिए.

जिन लोगों पर हमास के वैचारिक प्रशंसकों की शारीरिक मरम्मत का आरोप लगा है, उनके हाथ में हमारा राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा है. ये राष्ट्रवादी नारे लगा रहे हैं.
सोचिए भारत भक्त अपने सामने सड़क पर उस प्रदर्शन को कैसे सहन कर सकते हैं जो किसी हिंसक संगठन के समर्थन में है. इसलिए उनका गुस्सा भड़का होगा. हालांकि पुलिस ने अनुमति लिए बगैर प्रदर्शन कर रहे गाजा प्रेमियों को हिरासत में लिया फिर बाद में उन्हें छोड़ दिया.

आखिर क्यों और कौन लाया इन छात्रों को दिल्ली?

आपके मन में ये जिज्ञासा होगी आखिर 2600 किलोमीटर दूर केरल से ये छात्र दिल्ली कैसे पहुंचे. उन्हें कोई तो लाया होगा. किसने इन्हें दिल्ली में प्रदर्शन के लिए उकसाया. छात्र तो अक्सर बढ़ी कॉलेज फीस, लाइब्रेरी में किताबों की कमी, कॉलेज में पढ़ाई नहीं होने जैसे मुद्दों पर प्रदर्शन करते हैं. ये छात्र हमास के समर्थन में प्रदर्शन करने कैसे पहुंचे. अब या तो ये बहुत जागरूक हैं या इन्हें कट्टरपंथ से दीक्षित किया गया है.

इन्हें बरगलाया गया है. प्रदर्शन के दौरान जो झंडा दिखा, वो इससे जुड़ी विचारधारा ही इस प्रदर्शन के मूल में है. कट्टरपंथ के शक्ति प्रदर्शन के लिए इन छात्रों को केरल से दिल्ली लाने के पीछे इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, जमात-ए-इस्लामी हिंद, फ्रेटरनिटी मूवमेंट,मसलिम स्टूडेंट्स फेडरेशन और दिशा जैसे संगठनों की प्लानिंग और  दिमाग था. वैसे तो प्रदर्शन की वायरल तस्वीरों को देखकर कोई भी समझ जाएगा कि प्रदर्शन के आयोजकों और इसमें शामिल लोगों की विचारधारा क्या है. फिर भी हम बताना चाहेंगे कि कि ये हमास वाली कट्टरपंथी विचारधारा है. 

छात्रों के पीछे हैं ये पार्टियां

  • इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग भारत का बंटवारा करानेवाली जिन्ना की मुस्लिम लीग का भारतीय संस्करण है. यानी इसका राजनीति का आधार सांप्रदायिकरण है

  • जमात-ए-इस्लामी हिंद केरल में सक्रिय कट्टरपंथी संगठन है. कई हिंसक घटनाओं में इसका नाम आया है.

  • फ्रेटरनिटी मूवमेंट कट्टरपंथियों का संगठन है. इसने CAA के विरोध में उग्र प्रदर्शन किया था. कई प्रतिबंधित संगठनों से संबंध का आरोप लगता है.

मुस्लिम स्टूडेंट्स फेडरेशन पर PFI और जमात ए इस्लामी जैसे कट्टरपंथी संगठनों से रिश्ता रखने का आरोप लगता रहा है. 2024 में इस संगठन ने नर्मला कॉलेज में नमाज की जगह तय करने लिए प्रिंसपल को बंधक बना लिया था. इन्हीं कट्टरपंथी संगठनों ने अपनी ताकत दिखाने के लिए दिल्ली में हमास के समर्थन में प्रदर्शन का प्लान बनाया था. इनके वैचारिक गुलाम इस प्रदर्शन में शामिल थे.

केरल के कट्टरपंथी सिर्फ दिल्ली में अपनी ताकत नहीं दिखा रहे हैं. इनका असर केरल में भी दिख रहा है. कट्टरंथियों के असर वाले वक्फ बोर्ड ने मुनंबम वक्फ भूमि विवाद में 404 एकड़ जमीन पर गलत तरीके से अपना दावा ठोक दिया. आपको जानकार हैरानी होगी कि इस मामले में केरल हाईकोर्ट को कहना पड़ा कि

  • मनमाने ढंग से वक्फ घोषित की गई संपत्ति को सही नहीं ठहराया जा सकता है.

  • अगर ऐसा हुआ तो किसी भी इमारत को वक्फ संपत्ति घोषित किया जा सकता है.

  • ताजमहल, लाल किला, विधानमंडल भवन या यहां तक कि कोर्ट को भी वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया जाएगा.

क्या कहा था केरल हाईकोर्ट ने?

सोचिए ये बात केरल हाईकोर्ट को कहनी पड़ी. यानी हाईकोर्ट ने भी माना कि केरल में कट्टरपंथी मनमानी कर रहे हैं. केरल में कट्टरपंथी सिर्फ मनमानी नहीं कर रहे है इन्होंने समानांतर सिस्टम बना लिया है. ये स्कूल में मासूम बच्चों को फिलिस्तीन वाला नाटक करने के लिए मजबूर करते हैं. ये स्कूल में छात्राओं को जबरन हिजाब पहना देते हैं. इनका दुस्साहस इतना बढ़ गया है कि ये दूसरे धर्म की महिलाओं को भी बुर्का पहनने के लिए धमकाते हैं. ये तस्वीरें चिंतित करनेवाली हैं, क्योंकि कट्टरपंथी सिर्फ अपने वैचारिक गुलामों को ही नहीं आम केरलवासी के जीवन को नियंत्रित करने की उदंडता दिखा रहे हैं. और उसी दुस्साहस से ये भावी पीढ़ी को डरा धमका कर कट्टरपंथ के जहर की खुराक दे रहे हैं.

कट्टरपंथी सिर्फ वैचारिक हिंसा नहीं कर रहे हैं. ये देशविरोधी हिंसा की साजिश करनेवालों का संरक्षण भी कर रहे हैं. चंद दिन पहले ही कथित मुजाहिद्दीन आर्मी का मुखिया मोहम्मद रजा केरल के मल्लापुरम से पकड़ा गया था. वहीं मल्लापुरम जहां इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग जैसे कट्टरपंथी संगठनों का मजबूत नेटवर्क है.

कट्टरपंथियों ने बना लिया मजबूत किला

ये कट्टरपंथी उन्हीं इलाकों में सक्रिय और मजबूत हैं जहां आबादी का असंतुलन है. ऐसे इलाकों को कट्टरपंथियों ने अपना मजबूत किला बना लिया है. जहां-जहां सनातनियों की आबादी घटी है कट्टरपंथी विचारधारा मजबूत हुई है. इसलिए जरूरी है कि केरल में कट्टरपंथियों को कंट्रोल किया जाए. इनके वैचारिक बंधुओं पर कार्रवाई की जाए. स्कूल, कॉलेज औऱ यूनिवर्सिटी कैंपस को इन कट्टरपंथियों के चंगुल से आजाद कराया जाए.

खबर की शुरुआत करते हुए ही आपको बताया था कि कट्टरपंथ ऐसा प्रदूषण है जिसे कोई दीवार नहीं रोक सकती है. केरल की तरह ही देश के कई दूसरे हिस्सों मे भी कट्टरपंथी की टीम तेजी से सक्रिय हो रही है. 24 घंटे पहले हमने आपको बताया था कि कट्टरपंथियों ने  'I LOVE मोहम्मद' का नया वर्जन लॉन्च किया है..जिसका नाम है 'मैं भी मोहम्मद'.

मैं भी मोहम्मद मुहिम लॉन्च

मैं भी मोहम्मद वाली ये मुहिम भोपाल से लॉन्च हुई थी. आज कट्टरपंथियों ने इस मुहिम को मस्जिद तक पहुंचा दिया. इबादत के लिए आनेवाले मुसलमानों को कट्टरपंथियों ने ऐसे उकसाया कि लोग सरकार को चुनौती देने लगे. मैं भी मोहम्मद के नाम पर उपद्रव की साजिश हो रही है. मोहम्मद साहब का पवित्र नाम लेकर कट्टरपंथी सिस्टम को चुनौती दे रहे हैं. जान देने और जान लेने का ऐलान कर रहे हैं.

कुरान के सूरह अल-मायदा में कहा गया है कि जिसने किसी एक निर्दोष व्यक्ति की हत्या की, उसने मानो पूरी मानवता की हत्या की और जिसने किसी एक को बचाया, उसने पूरी मानवता को बचाया.

सोचिए खुद को इस्लामिक धर्मगुरु कहनेवाले जिन मौलानाओं ने मैं भी मोहम्मद वाली मुहिम शुरू की है क्या वो मोहम्मद साहब की शिक्षा और संदेश का प्रचार कर रहे हैं. नहीं वो नफरत का प्रचार कर रहे हैं. वो आम मुसलमानों को शिक्षा, रोजगार आपने अधिकारों को लेकर जागरूक करने के बजाए उन्हें उकसा रहे हैं.

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Rachit Kumar

नवभारत टाइम्स अखबार से शुरुआत फिर जनसत्ता डॉट कॉम, इंडिया न्यूज, आजतक, एबीपी न्यूज में काम करते हुए साढ़े 3 साल से ज़ी न्यूज़ में हैं. शिफ्ट देखने का लंबा अनुभव है.

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