शुक्रवार दोपहर करीब दो बजे गाजीपुर के दुल्लहपुर स्थित अपने आवास पर रसूलन बीबी ने अंतिम सांस ली.
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गाजीपुर: परमवीर चक्र विजेता वीर अब्दुल हमीद की पत्नी रसूलन बीवी का शुक्रवार को यहां निधन हो गया. रसूलन बीबी ने यहां अपने आवास पर शुक्रवार को अंतिम सांस ली. वह 95 वर्ष की थीं. उनके परिवार के एक सदस्य ने बताया कि रसूलन बीवी पिछले कई दिनों से बीमार चल रही थीं. शुक्रवार दोपहर करीब दो बजे गाजीपुर के दुल्लहपुर स्थित अपने आवास पर उन्होंने अंतिम सांस ली. रसूलन बीवी के परिवार में चार पुत्र और एक पुत्री हैं.
पारिवारिक सदस्य ने बताया कि रसूलन पिछले तीन-चार दिनों से ज्यादा बीमार थीं. मौसम बदलने की बात कहते हुए उन्होंने वाराणसी जाने से मना कर दिया था और दवा लेकर घर पर ही आराम कर रही थीं. उनका बेटा तबीयत खराब होने की खबर सुनकर गुरुवार को घर आ गया था. उन्होंने अपराह्न् लगभग दो बजे अंतिम सांस ली.
रसूलन बीवी के निधन की खबर फैलने के बाद शोक संवेदनाओं का सिलसिला शुरू हो गया. उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने परमवीर चक्र विजेता (मरणोपरान्त) वीर अब्दुल हमीद की पत्नी रसूलन बीवी के निधन पर गहरा दु:ख व्यक्त किया है. राज्यपाल ने दिवंगत आत्मा की शांति की कामना करते हुए दु:खी परिजनों के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त की है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी शोक व्यक्त किया है. उन्होंने अपने शोक संदेश में कहा है कि रसूलन बीवी वीर नारी थीं. दिवंगत आत्मा की शांति की कामना करते हुए उन्होंने शोक संतप्त परिजनों के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त की हैं.
ज्ञात हो कि पाकिस्तान के खिलाफ वर्ष 1965 की जंग में दुश्मन के छक्के छुड़ाने वाले, पाकिस्तान के पैटन टैंकों से लोहा लेने वाले अदम्य साहसी अब्दुल हमीद को मरणोपरांत परमवीर चक्र प्रदान किया गया था.
अब्दुल हमीद की पत्नी रसूलन बीबी अपने परिवार के साथ गाजीपुर में ही रह रही थीं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर देश में सेना के शीर्ष अधिकारियों के बीच उनकी विशेष पहचान थी. देश में भारतीय सेना से जुड़े आयोजनों में भी उनको बुलाया जाता रहा है. गाजीपुर जिले में भी अब्दुल हमीद की स्मृतियों को सहेजने के लिए उनके प्रयासों की लोग मुक्तकंठ प्रशंसा करते रहे हैं. वीर अब्दुल हमीद की ही प्रेरणा से आज पूर्वांचल में गाजीपुर जिले से अमूमन हर दूसरे घर से भारतीय सेना में युवक अपनी सेवाएं दे रहे हैं.
रसूलन बीबी ने जनवरी 2017 में सेना प्रमुख नियुक्त किए जाने के बाद जनरल बिपिन रावत से मुलाकात की थी और उनसे आग्रह किया था कि उनके जीते जी वह एक बार शहीद को श्रद्धांजलि देने उनके स्मारक आएं. रसूलन बीवी की वृद्धावस्था को देखते हुए जनरल रावत ने गाजीपुर जाने का फैसला किया. हर साल 10 सितंबर को शहीद अब्दुल हमीद का परिवार उनके लिए एक सभा का आयोजन करता है.