सरकारी नौकरी पाने के लिए सरहद पर बिताने होंगे 5 साल, संसदीय स्थायी समिति का सुझाव
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सरकारी नौकरी पाने के लिए सरहद पर बिताने होंगे 5 साल, संसदीय स्थायी समिति का सुझाव

13 मार्च को संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट पेश करते हुए संसद में कहा कि वर्तमान समय में भारतीय सेना जवानों की कमी से जूझ रही है.

संसदीय स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में सुझाव दिया, देश में सरकारी नौकरी करने से पहले युवाओं को 5 साल सरहद पर सेना की सर्विस में तैनात किया जाना चाहिए. (फाइल फोटो)

नई दिल्‍ली : बजट सत्र के दौरान एक बार फिर से संसद में भारतीय सेना के जवान और उनके पास मौजूद हथियारों के आधुनिकीकरण का मुद्दा गर्माया है. मंगलवार (13 मार्च) को संसदीय स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट पेश करते हुए संसद में कहा कि वर्तमान समय में भारतीय सेना जवानों की कमी से जूझ रही है, जिसे वक्त रहते पूरा करने की आवश्यकता है. संसदीय स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में सुझाव देते हुए कहा कि देश में सरकारी नौकरी करने से पहले युवाओं को 5 साल सरहद पर सेना की सर्विस में तैनात किया जाना चाहिए.

  1. संसदीय समिति ने सदन में पेश की रिपोर्ट
  2. सेना में जवानों की कमी पर समिति ने जताई चिंता
  3. आधुनिक हथियारों पर भी दिए कई सुझाव

सेना में भर्ती होने के बाद अनुशासित होंगे लोग

केंद्रीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सरकारी नौकरी से पहले अगर लोगों को सेना की सर्विस में लगाया जाएगा तो वह ज्यादा अनुशासित होंगे. समिति ने कहा है कि भारतीय रेलवे से लेकर तमाम सरकारी विभागों में नौकरी के लिए जितने आवेदन आते हैं, उसके आधे आवेदन सेना में आते हैं. लोगों का ध्यान सरकारी नौकरी पाने के लिए तो है लेकिन देश की सेवा करने के लिए सेना में आने की ओर नहीं है.

आधुनिक हथियारों पर भी जताई चिंता
संसद की स्‍थाई समिति ने मंगलवार को सदन में रिपोर्ट पेश करते हुए जानकारी दी की हमारी सेना के पास मौजूदा हथियारों में से 68% हथियार पुराने हैं. पाकिस्‍तान और चीन द्वारा लगातार अपनी-अपनी सेनाओं के आधुनिकीकरण करने और सैन्‍य क्षमता बढ़ाने के संबंध में भारतीय सेना की इस स्थिति पर स्‍थायी समिति ने चिंता भी जाहिर की है. भाजपा सांसद मेजर जनरल भुवन चंद्र खंडूरी (रिटायर) की अध्यक्षता वाली समिति की संसद में पेश रिपोर्ट में यह चिंता जाहिर की गई है.

बजट को भी नाकाफी बताया
स्‍थायी समिति ने साल 2018-19 के दौरान सरकार द्वारा सेना को आवंटित बजट की जांच की. इस दौरान बजट को नाकाफी पाया. समिति के मुताबिक सेना को आधुनिकीकरण के लिए 21,338 करोड़ रुपये आवंटित किए गए। जबकि आपातस्थिति के लिए खरीद समेत पहले से चल रही 125 स्‍कीमों की जरूरत भी इससे पूरी नहीं होगी. समिति ने आधुनिकीकरण के लिए 21,338 करोड़ रुपये के आवंटन को भी नाकाफी बताया. साथ ही टिप्‍पणी की कि यह तो पहले से चिह्नित 29,033 करोड़ रुपये के खर्च को भी पूरा नहीं करता. इसलिए सेना अपने आधुनिकीकरण के लिए कुछ भी नहीं कर सकती.

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