मनोहर पर्रिकर ने सैनिकों से कहा- 'चोट पहुंचाने वालों को दर्द का अहसास कराना जरूरी'
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मनोहर पर्रिकर ने सैनिकों से कहा- 'चोट पहुंचाने वालों को दर्द का अहसास कराना जरूरी'

रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने 66वें सेना दिवस के मौके पर कहा कि आतंकियों को बेअसर करने की जरूरत है। उन्‍होंने कहा कि जब तक हमें चोट पहुंचाने वाले को दर्द का अहसास नहीं होता है तब तक इस तरह के हमले नहीं रुकेंगे। हालांकि उन्‍होंने बाद में यह भी साफ किया कि इसका कोई दूसरा अर्थ न निकाला जाए। उन्होंने हाल ही पंजाब के पठानकोट में हुए आतंकी हमले के मद्देनजर यह बात कही।

मनोहर पर्रिकर ने सैनिकों से कहा- 'चोट पहुंचाने वालों को दर्द का अहसास कराना जरूरी'

नई दिल्‍ली: रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने 66वें सेना दिवस के मौके पर कहा कि आतंकियों को बेअसर करने की जरूरत है। उन्‍होंने कहा कि जब तक हमें चोट पहुंचाने वाले को दर्द का अहसास नहीं होता है तब तक इस तरह के हमले नहीं रुकेंगे। हालांकि उन्‍होंने बाद में यह भी साफ किया कि इसका कोई दूसरा अर्थ न निकाला जाए।

 

रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने जोर दिया कि जो भी व्यक्ति या संगठन भारत को दर्द देगा, उसे उसी तरह का दर्द देना चाहिए लेकिन यह कैसे, कब और कहां होगा, वह भारत की पसंद के अनुरूप होना चाहिए । रक्षा मंत्री की यह टिप्पणी पठानकोठ आतंकी हमले की पृष्ठभूमि में सामने आई है।

सेना प्रमुख जनरल दलवीर सिंह सुहाग समेत सेना के शीर्ष अधिकारियों एवं अन्य लोगों को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि इतिहास हमें यह बताता है कि जो लोग नुकसान पहुंचाते हैं, जब तक उन्हें उस दर्द की अनुभूति नहीं होती, वे नहीं बदलते हैं।

उन्होंने कहा, ‘ यह मेरा मत है, इसे सरकार की सोच के तौर पर नहीं लिया जाना चाहिए.. मैं हमेशा से मानता हूं कि अगर कोई आपको नुकसान पहुंचाता है, तब वह उसी भाषा को समझता है।’’ सेना की ओर से आयोजित एक समारोह में पर्रिकर ने कहा, ‘ यह कैसे, कब और कहां हो, यह आपकी पसंद होनी चाहिए । कोई इस देश को नुकसान पहुंचाता है, तब उस व्यक्ति या संगठन.. मैं व्यक्ति और संगठन शब्द का उपयोग कर रहा हूं.. उन्हें ऐसे कार्यो के लिए उसी तरह का दर्द दिया जाना चाहिए ।’’ इस बारे में विस्तार से बताने पर जोर देने पर पर्रिकर ने बाद में कहा, ‘ बुनियादी सिद्धांत यह है कि जब तक आप दूसरों को दर्द नहीं देंगे, चाहे वह कोई भी क्यों न हो, तब वह ऐसी घटनाएं कम नहीं होंगी।’ पठानकोट हमले का जिक्र किये बिना मंत्री ने कहा कि जिन सात सैनिकों ने बलिदान दिया, उन पर देश को गर्व है लेकिन इस नुकसान से उन्हें दुख पहुंचा है।

रक्षा मंत्री ने कहा, ‘ समय आ गया है कि जब हम अपने सैनिकों को बताएं कि ऐसा हो सकता है कि हमें कुछ सैनिकों का नुकसान हो । इस घटना में सीधे मुकाबले में हमें एक सैनिका को खोना पड़ा ।’ पर्रिकर ने कहा कि हमें उन्हें इस अवधारणा के बारे में सोचने के लिए कहना चाहिए कि आप अपने शत्रु, अपने देश के शत्रुओं की जान लें, बजाए इसके कि अपनी जान दें । यह महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि बलिदान का सम्मान किया जाना चाहिए, देश को जरूरत इस बात की है कि शत्रुओं को खत्म किया जाए ।

यह पूछे जाने पर कि क्या इसका अर्थ पूर्ववर्ती संप्रग सरकार की नीति में बदलाव से है, रक्षा मंत्री ने कहा कि अगर कोई आता है और हथौड़ा मारता है, तो क्या आप चुप रहेंगे ? यह कैसी नीति है ? उन्होंने कहा, ‘ मैं जो आपसे कह रहा हूं कि वह यह है कि इतिहास हमें बताता है कि जो लोग आपको नुकसान पहुंचाते हैं, अगर उन्हें यह आभास नहीं होता कि इससे क्या दर्द होता है तो वह नहीं बदलेंगे।’

 

 

 

 

रक्षा मंत्री ने कहा, ‘ समय आ गया है कि जब हम अपने सैनिकों को बताएं कि ऐसा हो सकता है कि हमें कुछ सैनिकों का नुकसान हो । इस घटना में सीधे मुकाबले में हमें एक सैनिका को खोना पड़ा ।’ पर्रिकर ने कहा कि हमें उन्हें इस अवधारणा के बारे में सोचने के लिए कहना चाहिए कि आप अपने शत्रु, अपने देश के शत्रुओं की जान लें, बजाए इसके कि अपनी जान दें । यह महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि बलिदान का सम्मान किया जाना चाहिए, देश को जरूरत इस बात की है कि शत्रुओं को खत्म किया जाए ।

यह पूछे जाने पर कि क्या इसका अर्थ पूर्ववर्ती संप्रग सरकार की नीति में बदलाव से है, रक्षा मंत्री ने कहा कि अगर कोई आता है और हथौड़ा मारता है, तो क्या आप चुप रहेंगे ? यह कैसी नीति है ? उन्होंने कहा, ‘ मैं जो आपसे कह रहा हूं कि वह यह है कि इतिहास हमें बताता है कि जो लोग आपको नुकसान पहुंचाते हैं, अगर उन्हें यह आभास नहीं होता कि इससे क्या दर्द होता है तो वह नहीं बदलेंगे।’

 

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