Disha Ravi की जमानत पर सुनवाई पूरी, 23 फरवरी को आएगा फैसला
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Disha Ravi की जमानत पर सुनवाई पूरी, 23 फरवरी को आएगा फैसला

Disha Ravi Bail Case: जज ने पूछा कि ऐसे क्या सबूत है कि Toolkit का संबंध 26 जनवरी की हिंसा से है? इस पर सरकारी वकील ने कहा कि अगर कोई खालिस्तानी समर्थक कहीं लिखकर हिंसा करने की प्लानिंग करता है, और हूबहू वैसा होता है तो शक तो होगा ही.

दिल्ली की अदालत ने बेल पर फैसला सुरक्षित रख लिया है.....

नई दिल्ली: टूलकिट मामले (Toolkit Case) में गिरफ्तार दिशा रवि (Disha Ravi) को शनिवार को कोर्ट से झटका लगा. पटियाला हाउस कोर्ट (Patiyala House Court) में दिशा की बेल को लेकर हुई सुनवाई के बाद अदालत ने फैसला मंगलवार तक सुरक्षित रख लिया. अब अदालत 23 फरवरी को दिशा की बेल पर फैसला सुनाएगी. कोर्ट में दिशा रवि की जमानत याचिका पर दोपहर बाद 2 बजे सुनवाई शुरू हुई. कोर्ट ने 22 साल की एक्टिविस्ट को न्यायिक हिरासत में भेज दिया था. दिशा रवि ने बेल के लिए शुक्रवार को अपनी याचिका लगाई थी.

  1. दिशा रवि को बड़ा झटका
  2. बेल को लेकर हुई सुनवाई
  3. 23 फरवरी तक फैसला सुरक्षित
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दिशा के वकील का दावा

केस की सुनवाई के दौरान दिशा के वकील ने कहा कि किसी देश विरोधी व्यक्ति के बातचीत करने से क्या हम देश विरोधी हो जाएंगे? अपनी बातें किसी भी प्लेटफॉर्म पर रखना अपराध नहीं है. दिल्ली पुलिस (Delhi Police) कोई लिंक भी नहीं बना पा रही है. उन्होंने कहा कि हम किसी आंलोलन को पसंद-नापंसद कर सकते हैं. नापसंद करने का मतलब ये नहीं कि हम देशद्रोही हो गए.

दिशा रवि के वकील ने ये भी कहा, 'सवाल ये है कि क्या टूलकिट अफेंसिव है. किसी भी महत्वपूर्ण मामले में किसी से बात करना अपराध नहीं. किसी से हम बात कर रहे हैं, वो देश विरोधी हैं तो उसकी सजा मुझे क्यों? पुलिस ने 5 दिन की रिमांड में एक बार भी बेंगलुरु का रुख नहीं किया. कहीं छापा नहीं मारा. कुछ रिकवर नहीं किया, जबकि पुलिस के मुताबिक, सब कुछ बेंगलुरु में किया गया था. 

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कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पूछा कि आप इन साजिशकर्ताओं के साथ इन लोगों को कैसे जोड़ रहे हैं तो इसके जवाब में एडीशनल सॉलिसिटर जनरल (Additional Solicitor General) ने कोर्ट में कहा, 'भारत के खिलाफ बडी साजिश रची जा रही थी और इस स्टेज पर दिशा रवि को जमानत नहीं दी जा सकती अगर जमानत दी जाती है तो सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकती है.'

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पूछा कि आप इन साजिशकर्ताओं के साथ इन लोगों को कैसे जोड़ रहे हैं तो इसके जवाब में सरकारी वकील ने कहा दिशा, निकिता, शांतनु एक दूसरे से कनेक्टेड थे, शांतनु को जानबूझकर 20 से 27 तक दिल्ली भेजा कि वो जाकर देखे की क्या हो रहा है. वहीं दोनों आरोपियों से अभी तक पुलिस ने पूछताछ नहीं की है. उसके बाद ही एक बड़ी साजिश का पता चल पाएगा कि कौन किस तरह से इस साजिश में शामिल है. 

26 जनवरी से लिंक को लेकर सवाल

जज ने पूछा कि ऐसे क्या सबूत है कि टूलकिट का संबंध 26 जनवरी की हिंसा से है? इस सवाल के जवाब में सरकारी वकील ने कहा, 'अगर कोई खालिस्तानी समर्थक कहीं लिखकर हिंसा करने की प्लानिंग करता है. और बाद में एकदम वैसा ही होता है तो शक तो होगा ही. फिलहाल इसकी जांच भी अभी चल रही है.'

पुलिस की पड़ताल

वहीं दिशा रवि की जमानत का विरोध करते हुए दिल्ली पुलिस ने कनाडा स्थित जस्टिस पोएटिक फाउंडेशन का नाम लिया और कहा, ' ये संगठन खालिस्तान (Khalistan) आंदोलन का समर्थन करता है. 'वो (फाउंडेशन) किसान आंदोलन का फायदा उठाना चाहते थे. इसके लिए उन्हें भारतीय चेहरे की जरूरत थी जिसमें दिशा रवि शामिल थी. इस टूलकिट बनाने का उद्देश्य आरोपियों के बीच षड़यंत्र में शामिल होना था.' गौरतलब है कि पुलिस कोर्ट में कह चुकी है कि उसके पास दिशा के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं. 

क्या होती है टूलकिट?

आपको बता दें कि किसी टूल किट में ट्विटर के जरिए किसी अभियान को ट्रेंड कराने से संबंधित दिशानिर्देश और सामग्री होती है. दिल्ली पुलिस साइब सेल ने भारत सरकार के खिलाफ सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक युद्ध छेड़ने के लक्ष्य से टूलकिट के खालिस्तान समर्थक निर्माताओं के खिलाफ 4 फरवरी को एफआईआर दर्ज की थी. पुलिस ने बताया था कि टूलकिट का लक्ष्य भारत सरकार के प्रति डिस्टेस्ट और गलत भावना फैलाना और विभिन्न सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक समूहों के बीच तनाव की स्थिति पैदा करना है.

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