पश्चिम बंगाल के लोग पिंडदान करने के लिए वृंदावन क्यों आते हैं?
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पश्चिम बंगाल के लोग पिंडदान करने के लिए वृंदावन क्यों आते हैं?

पश्चिम बंगाल के लोगों के लिए कृष्ण की क्रीड़ा स्थली वृंदावन गया से कम नहीं है.

फाइल फोटो

कन्हैया शर्मा, मथुरा: पश्चिम बंगाल के लोगों के लिए कृष्ण की क्रीड़ा स्थली वृंदावन गया से कम नहीं है. पश्चिम बंगाल के लोग यहां पर सज्जादान करने के लिए आते हैं. सज्जादान के जरिए पश्चिम बंगाल के लोग पूर्वजों की शांति के लिए तर्पण करते हैं और लोग खुद भी जीवित रहते हुए अपने लिए इस क्रिया को करते हैं. 

यहां वैदिक मंत्रोच्चारण और रीति रिवाज के साथ सज्जादान किया जाता है. सज्जादान करने वालों की संख्या होली के मौके पर बढ़ जाती है. 

वृंदावन में एक घाट है 'केशी'. यह घाट उत्तर-पश्चिम दिशा में भ्रमर घाट के पास स्थित है. इस घाट के बारे में कहा जाता है कि कंस ने केशी नाम के दानव को भगवान कृष्ण की हत्या करने के लिए भेजा था. वह घोड़े के रूप में यमुना किनारे पहुंचा. लेकिन कृष्ण ने उसे पहचान लिया और उसका वध कर दिया. 

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तभी से इस घाट का नाम केशी घाट पड़ गया. मान्यता है कि यहां पिंडदान करने से गया में किए गए पिंडदान का फल मिलता है. वहीं अगर बाकी घाटों की बात करें तो 38 घाटों में से अधिकतर घाट अपना अस्तित्व खो चुके हैं. जो घाट बचे हैं, वो अपने अस्तित्व से जूझ रहे हैं. 

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