रांची : देश में पहले साहित्य अकादमी से जुड़े लोगों फिर फिल्म क्षेत्र के कुछ लोगों और अब एक वैज्ञानिक की ओर से पुरस्कार लौटाने पर पहली बार कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए शुक्रवार को यहां राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने दो टूक कहा कि पुरस्कार लौटाने वाला ‘गैंग’ वास्तव में हताश, निराश और समाज से उपेक्षित तथाकथित बुद्धिजीवियों का गिरोह है, जिनके विचार लोगों ने सुनने बंद कर दिये हैं और वह अपनी राजनीतिक दुकान चलाने और चर्चा में आने भर के लिए ऐसा कर रहे हैं।


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राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के अखिल भारतीय सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने आज यहां एक संवाददाता सम्मेलन में यह बात कही। उन्होंने एक सवाल के जवाब में देश में विभिन्न क्षेत्रों के लोगों द्वारा पुरस्कार लौटाये जाने पर गहरी नाराजगी जतायी और कहा कि जो लोग साठ वर्षों से देश में असहिष्णुता का नंगा नाच कर रहे थे वह अब षड्यंत्र कर रहे हैं और संघ तथा भाजपा को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं। आरएसएस के अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की आज यहां तीन दिवसीय बैठक प्रारंभ होने के बाद होसबोले यहां पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।


उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि यह मोदी सरकार और संघ को बिना किसी कारण घेरने की राजनीतिक साजिश है जिसमें ये मुट्ठी भर तथाकथित धर्मनिरपेक्ष लोग पुरस्कार लौटाने की राजनीति कर सफल नहीं हो सकते। उन्होंने कहा कि ये चंद लोग अपनी जमीन खो रहे हैं, निराश और हताश हैं, समाज में पूरी तरह उपेक्षित हो चुके हैं तथा इनके विचार लोगों ने सुनने बंद कर दिये हैं, अत: अपनी दुकान फिर से चमकाने के लिए, मीडिया और चर्चा में आने के लिए ये लोग ऐसा कर रहे हैं। यह सिर्फ राजनीतिक साजिश है। होसबोले ने कहा कि पुरस्कार लौटाने वालों की पहचान और व्यक्तित्व (क्रेडेंशियल) क्या है? वह यदि वैज्ञानिक हैं तो किसी वैज्ञानिक चर्चा में क्यों नहीं भाग लेते हैं? उन्होंने वैज्ञानिक पीएम भार्गव द्वारा पद्मभूषण लौटाने के बारे में पूछे जाने पर पलट कर सवाल किया कि उन्होंने किस वैज्ञानिक विषय पर चर्चा की? राजनीति से उन्हें क्या सरोकार? आखिर देश में पिछले अनेक दशकों में हुई असहिष्णुता के दौर में वह और उनके जैसे अन्य लोग कहां थे? उन्होंने क्यों नहीं पुरस्कार लौटाये? होसबोले ने कहा कि संघ कोई ‘पंचिंग बैग’ नहीं है, जिसे जो चाहे कुछ भी कहता रहे और उसके खिलाफ कुछ भी आरोप मढ़ता रहे। संघ को देश की जनता पंसद करती है और जनता के चाहने से और संघ की देशभक्ति के चलते भारत में संघ की लोकप्रियता है। उन्होंने कहा कि ऐसे चंद साहित्यकारों, फिल्मकारों की गलत टिप्पणियों से संघ की छवि को नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकता। देश की जनता सब कुछ जानती और समझती है।