तमिलनाडु के मंदिरों में पीएम के भाषण के सीधे प्रसारण के खिलाफ याचिका खारिज
मद्रास उच्च न्यायालय (Madras High Court) ने पीएम (PM) के संबोधन के प्रसारण पर ‘मंदिर प्रवेश नियमों’ के उल्लंघन (Violations Of Temple Entry Rules) का आरोप लगाने वाली याचिका को खारिज (Dismiss The Petition) कर दिया.
चेन्नई: पिछले साल उत्तराखंड (Uttarakhand) में आदि शंकराचार्य की समाधि पर एक समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) द्वारा दिए गए भाषण (Speech) में कुछ भी राजनीतिक (Political) नहीं मानते हुए मद्रास उच्च न्यायालय (Madras High Court) ने बृहस्पतिवार को उनके संबोधन के प्रसारण (Broadcasting) पर ‘मंदिर प्रवेश नियमों’ के उल्लंघन (Violations Of Temple Entry Rules) का आरोप लगाने वाली एक याचिका को खारिज (Dismiss The Petition) कर दिया.
मंदिर प्रवेश के नियम 8 के उल्लंघन का आरोप
अपनी याचिका (Petition) में तिरुचिरापल्ली जिले के श्रीरंगम के रंगराजन नरसिम्हन ने अन्य बातों के अलावा आरोप लगाया कि 5 नवंबर 2021 को केदारनाथ में समाधि (Samadhi In Kedarnath) पर प्रधानमंत्री द्वारा की गई पूजा और उनके भाषण का तमिलनाडु (Tamil Nadu) के 16 से ज्यादा मंदिरों में सीधा प्रसारण (Live Telecast) किया गया था जिससे मंदिर प्रवेश नियमों के नियम 8 का उल्लंघन हुआ.
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क्या कहता है नियम 8 ?
इस नियम में कहा गया है कि मंदिर परिसर (Temple Premises) का उपयोग उन कार्यक्रमों के लिए नहीं किया जाएगा जो मंदिर के अनुष्ठानों (Rituals) से जुड़े नहीं हैं. राज्य के महाधिवक्ता आर षणमुगसुंदरम (State Advocate General R Shanmugasundaram) ने कहा कि केंद्र सरकार (Central Government) के एक निर्देश के बाद समारोह में प्रधानमंत्री की भागीदारी का सीधा प्रसारण किया गया था. पीएम (PM) ने राजनीति पर बात नहीं की. उन्होंने कहा कि यह केवल एक धार्मिक कार्यक्रम (Religious Program) था. उनकी दलीलों से संतुष्ट पीठ (Bench) ने कहा कि प्रधानमंत्री के भाषण में कुछ भी राजनीतिक (Political) नहीं था.
अदालत ने क्या कहा ?
अदालत (Court) ने कहा कि उन्होंने केवल आदि शंकराचार्य (Adi Shankaracharya) और कोविड-19 (Covid-19) से निपटने के लिए की गई व्यवस्थाओं के बारे में बात की और इसे राजनीतिक नहीं कहा जा सकता. इसके साथ ही पीठ ने याचिका को खारिज (Dismiss The Petition) कर दिया.
(इनपुट - भाषा)
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