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Azadi Ka Amrit Mahotsav: महिलाओं का देश के निर्माण में क्या रहा योगदान? तस्वीरों में देखें

Azadi Ka Amrit Mahotsav 2022: भारत (India) आजादी का अमृत महोत्सव (Azadi Ka Amrit Mahotsav) मना रहा है. भारत को स्वतंत्र (Independence) हुए 75 साल पूरे हो रहे हैं. पिछले 75 साल में हमारा देश बहुत बदल चुका है. देश के निर्माण के लिए तमाम लोगों ने त्याग और बलिदान किया. कई लोगों ने तो देश के लिए प्राणों की आहुति तक दे दी. भारत जिस मुकाम पर आज है, वहां तक पहुंचाने में कई महिलाओं ने भी अहम योगदान दिया. इनमें रानी लक्ष्मीबाई से लेकर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी तक का नाम शामिल है. आइए तस्वीरों के माध्यम से ऐसी कुछ महिलाओं के बारे में जानते हैं, जिन्होंने भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया.

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रानी लक्ष्मीबाई: अंग्रेजों के दांत खट्टे करने वाली वीरांगना लक्ष्मीबाई (Rani Laxmi Bai) झांसी की रानी थीं. रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों के डॉक्ट्रिन ऑफ लैप्स का मानने से इनकार कर दिया था और अपनी भूमि बचाने के लिए उनके खिलाफ जंग छेड़ दी थी. बुंदेलखंड के विद्रोहियों के साथ मिलकर उन्होंने ईस्ट इंडिया कंपनी की नाक में दम कर दिया था. रानी लक्ष्मीबाई ने बड़ी बहादुरी से अंग्रेजों से मुकाबला किया था और मातृभूमि को बचाने के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी थी.

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रानी चेनम्मा: दक्षिण भारत के कर्नाटक से आने वाली रानी चेनम्मा (Rani Chennamma) ने अंग्रेजों को नाकों चने चबाने पर मजबूर कर दिया था. रानी चेनम्मा घुड़सवारी, तीरंदाजी और तलवारबाजी में निपुण थीं. रानी चेनम्मा ने अकेले ही अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंक दिया था. हालांकि, 1829 में एक युद्ध के दौरान अंग्रेजों से लोहा लेते हुए रानी चेनम्मा वीरगति को प्राप्त हो गई थीं.

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रानी अहिल्याबाई होल्कर: अपने 27 परिजनों को खोने के बाद भी रानी अहिल्याबाई होल्कर (Rani Ahilyabai Holkar) ने धीरज नहीं खोया और प्रजा के लिए इंदौर की सत्ता की बागडोर को संभाला. रानी अहिल्याबाई होल्कर ने अपने ससुर से राजकाज की शिक्षा प्राप्त की थी और एक शिवभक्त थीं. रानी अहिल्याबाई प्रजा ने अपने शासनकाल के दौरान कई मंदिरों और धर्मशालाओं का निर्माण कराया. रानी अहिल्याबाई होल्कर काशी विश्वनाथ मंदिर का भी जीर्णोद्धार करवाया था. रानी अहिल्याबाई होल्कर ने हमेशा आक्रमणकारियों से अपनी प्रजा की रक्षा की. रानी अहिल्याबाई होल्कर की गिनती आदर्श शासकों में की जाती है.

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भीखाजी कामा: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भीखाजी कामा (Bhikaji Kama) को 7वीं अंतरराष्ट्रीय कांग्रेस में भारतीय झंडा फहराने का श्रेय दिया जाता है. उन्होंने जर्मनी में ये शुभ काम किया था. भीखाजी कामा का जन्म एक संपन्न परिवार में हुआ था. वो चाहतीं तो आराम से अपना जीवन बिता सकती थीं, लेकिन उन्होंने देश को अंग्रेजी शासन से आजाद करवाने में अपनी जिंदगी लगा दी. भीखाजी कामा ने बड़ी संख्या में लोगों के मन में स्वाधीनता और स्वराज की अलख जगाई. साल 1936 में प्लेग मरीजों की भीखाजी कामा ने खूब सेवा की थी. हालांकि इस दौरान देश ने महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी को खो दिया था.

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सावित्री बाई फुले: देश की पहली शिक्षिका के रूप में सावित्री बाई फुले (Savitri Bai Phule) को माना जाता है. सावित्री बाई फुले का लड़कियों को शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ाने में अहम योगदान है. छात्राओं के लिए अलग से स्कूल की स्थापना करने का श्रेय भी सावित्री बाई फुले को जाता है. सावित्री बाई फूले ने अपने पति ज्योतिराव गोविंदराव फुले के साथ मिलकर छुआछूत मिटाने, दलित महिलाओं की शिक्षा और विधवा विवाह को प्रोत्साहित करने का काम किया. आज भी वो कई महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं.

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सरोजिनी नायडू: भारत की स्वर कोकिला के नाम से प्रसिद्ध सरोजिनी नायडू (Sarojini Naidu) का भारत के निर्माण में अहम योगदान है. वो गोपालकृष्ण गोखले को अपना राजनीतिक पिता मानती थीं. सरोजिनी नायडू ने आजादी के लिए हुए कई आंदोलनों में भाग लिया था. अंग्रेजों के साथ राउंड टेबल टॉक के दूसरे सेशन में वो महात्मा गांधी के साथ ब्रिटेन गई थीं. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कानपुर के अधिवेशन में सरोजिनी नायडू पहली भारतीय महिला अध्यक्ष बनी थीं.

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इंदिरा गांधी: इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री थीं. उन्होंने 4 बार भारत के प्रधानमंत्री की कुर्सी संभाली. साल 1971 में पाकिस्तान के दो टुकड़े इंदिरा गांधी के राज में ही हुए थे. पूर्वी पाकिस्तान, पाकिस्तान से अलग होकर बांग्लादेश बन गया था. जिसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने भी इंदिरा गांधी की तारीफ में उनको 'दुर्गा' कहा था. इंदिरा गांधी के शासनकाल में बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया था, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली थी. भारत ने पहला परमाणु परीक्षण साल 1974 में किया था, तब देश में इंदिरा गांधी की ही सरकार थी.

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सुचेता कृपलानी: जान लें कि भारत की पहली महिला मुख्यमंत्री सुचेता कृपलानी (Sucheta Kripalani) थीं. साल 1963 में वो उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बन गई थीं. सुचेता कृपलानी को महात्मा गांधी का करीबी माना जाता था. सुचेता कृपलानी का राजनीतिक सफर आसान नहीं था. उन्होंने देश की आजादी के लिए कई आंदोलनों में भाग लिया था और जेल भी गई थीं. सुचेता कृपलानी में बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में प्रवक्ता के तौर पर भी काम किया था. वो आज भी बड़ी संख्या में लोगों की प्रेरणास्रोत हैं.

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विजयलक्ष्मी पंडित: संयुक्त राष्ट्र (UN) की पहली भारतीय महिला अध्यक्ष विजयलक्ष्मी पंडित (Vijaya Lakshmi Pandit) थीं. इसके अलावा वो आजाद भारत की पहली महिला राजदूत भी थीं. विजयलक्ष्मी पंडित ने रूस, मैक्सिको और अमेरिका में भारत का प्रतिनिधित्व किया था. भारत की आजादी की लड़ाई में विजयलक्ष्मी पंडित ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था. विजयलक्ष्मी पंडित भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की बहन थीं.

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कैप्टन लक्ष्मी सहगल: संपन्न परिवार में जन्मी लक्ष्मी सहगल (Lakshmi Sahgal) राजनीति में बड़े पद पर रह सकती थीं, लेकिन उन्होंने महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज का हिस्सा बनना स्वीकार किया. वो रानी झांसी रेजीमेंट में काफी एक्टिव थीं. आजाद हिंद फौज में उनको कर्नल की जिम्मेदारी दी गई थी. उन्हें लोग कैप्टन लक्ष्मी सहगल के नाम से जानते थे. जान लें कि कैप्टन लक्ष्मी सहगल एमबीबीएस थीं. साल 1984 में हुई भोपाल गैस त्रासदी में उन्होंने पीड़ितों को मेडिकल हेल्प दी थी.

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