भारत की जीत की तस्वीरें, चीन के टैंकों को लद्दाख से पीछे हटते देखिए
नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच पिछले 9 महीने से चल रहा सबसे बड़ा तनाव खत्म हो गया है. इस तनाव के दौरान 20 भारतीय सैनिकों को वीरगति मिली वहीं 45 चीनी सैनिक भी मारे गए थे. इस तनाव का असर पूरी दुनिया पर नजर आ रहा था. 10 फरवरी को चीनी रक्षा मंत्रालय की सेनाओं की वापसी की घोषणा के बाद भारतीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने गुरुवार को सदन को इस तनाव खत्म होने और पूर्वी लद्दाख (Eastern Ladakh) में मई 2020 से पहले की स्थिति बहाल होने की सूचना दी. सैनिकों की वापसी पर भारत की नजर रहेगी और दूसरी विवादित सीमा पर चर्चा शुक्रवार से शुरू होने की संभावना है.
फिंगर 8 से पहले की स्थिति तक वापस जाएगा चीन
चीन पेंगांग के उत्तरी किनारे पर फिंगर एरिया में फिंगर 8 से पहले की अपनी स्थिति तक वापस जाएगा. यहां चीन की सिरिजाप 2 नाम की पोस्ट है, जहां पेंगांग में पेट्रोलिंग के लिए नावें भी तैनात रहती हैं. भारतीय सैनिक भी अपनी पहले की स्थिति यानी फिंगर 3 और फिंगर 2 के बीच के अपने धनसिंह थापा बेस तक वापस लौट आएंगे. भारत विवाद की शुरुआत से ही कहता रहा है कि चीन पहले फिंगर 8 के पीछे जाए तभी दूसरे मुद्दों पर बात आगे बढ़ेगी.
इस इलाके में पेट्रोलिंग फिलहाल नहीं
फिंगर 3 से लेकर फिंगर 8 तक के इलाके में पेट्रोलिंग के बारे में फैसला लेने के लिए भी दोनों देशों के कमांडर चर्चा करेंगे और तब तक कोई भी सेना इस इलाके में पेट्रोलिंग नहीं करेगी. दोनों देश चरणबद्ध तरीके में अपनी सेना हटाएंगे यानी इंफेंट्री, टैंक, बख्तरबंद गाड़ियां, तोपखाना सभी सिलसिलेवार ढंग से पीछे हटाए जाएंगे. पिछले 9 महीने में बनाए गए सभी मोर्चे और अस्थाई ठिकाने भी हटाए जाएंगे.
दोनों देशों के कमांडर करेंगे चर्चा
पेंगांग के किनारों के अलावा दोनों देशों की सेनाओं की बीच सबसे गंभीर तनाव दौलत बेग ओल्डी तक जाने वाले रास्ते पर गई जगहों पर है. डीबीओ से पहले डेपसांग के मैदानों से लगे कई मोर्चों पर दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने हैं. रक्षामंत्री ने सदन में कहा कि इन सभी स्थानों के बारे में समझौते के 48 घंटे के अंदर यानी शुक्रवार तक दोनों देशों के कमांडर चर्चा शुरू करेंगे.
9वें दौर की बातचीत में हुआ सेनाओं की वापसी पर फैसला
दोनों ओर से लगभग 50-50 हजार सैनिक आमने-सामने तैनात हैं. चीन की दो मोटराइज़़्ड डिवीजन या टैंकों-बख्तरबंद गाड़ियों की मिलीजुली तादाद पूर्वी लद्दाख के सामने तैनात है. दोनों देशों की सेनाओं के कोर कमांडर स्तर की 9वें दौर की बातचीत 24 जनवरी को 16 घंटे तक हुई थी और उसके बाद ही सेनाओं की वापसी पर फैसला किया गया.
गलवान में भारतीय सेना ने दिखाया पराक्रम
गौरतलब है कि भारत और चीन के बीच इस तनाव की शुरुआत 5 मई 2020 को पेंगांग झील के फिंगर 4 के पास दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई झड़प के बाद हुई थी. चीन ने इस इलाके में फिंगर 5 तक सड़क बना ली है और उससे आगे बढ़ने की कोशिश कर रहा था. चीन को गलवान नदी पर भारतीय सेना द्वारा एक पुल के बनाने पर आपत्ति थी और यहां भी दोनों ओर के सैनिकों के बीच टकराव की नौबत आ गई, जबकि ये पुल भारतीय इलाके में बनाया जा रहा था.
दोनों देशों ने LAC पर बढ़ा दी तैनाती
इसके बाद ये तनाव पूरे पूर्वी लद्दाख में फैल गया. चीन ने बख्तरबंद गाड़ियों और टैंकों की दो डिवीजन पूर्वी लद्दाख में तैनात कर दी. साथ ही एलएसी पर सैनिकों की तादाद को 50 हजार तक पहुंचा दिया. भारतीय सेना ने भी जवाबी तैनाती करते हुए दौलत बेग ओल्डी से लेकर रेजांग ला तक पांच डिवीजन सेना तैनात कर दी और सबसे आधुनिक टी-90 सहित टैंकों की तैनाती कर दी.
जब लगा कि तनाव खत्म हो गया...
जून के पहले हफ्ते में कोर कमांडरों की बैठक में गलवान के दक्षिण में पेट्रोलिंग प्वाइंट 14, 15, 17 ए सहित पेंगांग झील के किनारों से सेना की वापसी पर समझौता हुआ तो लगा कि तनाव खत्म हो गया. लेकिन चीन ने 15 जून की रात को 16वीं बिहार रेजिमेंट के सैनिकों पर धोखे से हमला कर इस समझौते को तोड़ दिया. 15-16 जून की रातभर चली खूनी मुठभेड़ में भारत के 20 और चीन के 45 सैनिक मारे गए. इसके बाद तनाव चरम पर पहुंच गया.
भीषण सर्दी में भी मोर्चे पर डटे रहे भारतीय सैनिक
29-30 अगस्त को भारतीय सेना ने पेंगांग झील के दक्षिणी किनारे पर लगभग 70 किमी में फैली रणनैतिक महत्व की पहाड़ियों पर कब्जा कर अपने मोर्चे बना लिए. इनमें रेजांग ला, रेचिन ला और मुखपरी शामिल थीं. इस कदम से शक्ति संतुलन का पलड़ा भारत की और झुक गया. भारतीय सेना की स्पेशल फोर्सेज में फिंगर 4 के पास की कई पहाड़ियों पर भी कब्जा जमा लिया, जहां से वो चीनी सैनिकों पर भारी पड़ सकते थे. सिंतबर में ही भारतीय सेना ने 17000 फीट की ऊंचाई पर टैंकों की तैनाती कर चीनी सेना को पूरी तौर से रोक दिया. इतनी ऊंचाई पर टैंकों की तैनाती की दुनिया में ये पहली कार्रवाई थी. वायुसेना ने लगातार उड़ान भरकर सेना के लिए पूरी सर्दी तैनाती के लिए जरूरी साजोसामान की सप्लाई सुनिश्चित कर दी.
विवाद के अंत की शुरुआत
पूरी सर्दी इस विवाद को सुलझाने के लिए कोर कमांडर स्तर की चर्चा होती रही लेकिन समाधान नहीं निकल सका. 6 नवंबर को हुई 8वें दौर की चर्चा में भी सेनाओं की वापसी पर सहमति बनने के आसार बने थे लेकिन बात नहीं बनी. भारतीय सेना ने पहली बार इतने मुश्किल हालात में पूरी सर्दियां तैनाती का अनुभव किया. लेकिन भारतीय सेना के हौसले बने रहे और 9वें दौर की 24 जनवरी को हुई चर्चा के बाद इस विवाद के अंत की शुरुआत हो गई.