गुवाहाटी: बीते साल एक तरफ देश कोरोना महामारी (Coronavirus Pandemic) से जूझ रहा था ठीक उसी समय भारत का पूर्वोत्तर राज्य असम एक ऐसी बीमारी का सामना कर रहा था जो अप्रत्यक्ष रूप से वहां के लोगों की जिंदगी पर कहर बनकर टूटा. दरअसल, असम में पिछले 18 महीने में अफ्रीकन स्वाइन फीवर (African Swine Fever) के चलते करीब 39,000 सुअरों की मौत हुई है. यह जानकारी बुधवार को असम विधान सभा में दी गई.
इस बीमारी के फैलने से लोगों में दहशत का माहौल है. दरअसल, असम में बहुत से परिवारों की कमाई का जरिया सुअर पालन है. बीते डेढ़ साल में यहां तेजी से हो रही सुअरों की मौत के चलते ज्यादातर फार्म खाली हो गए हैं. सुअर पालन कर अपनी जीविका चलाने वाले लोग इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं.
बुधवार को भाजपा विधायक चक्रधर गोगोई के सवाल के लिखित जवाब में पशुपालन मंत्री अतुल बोरा ने कहा कि राज्य में 2020 में African Swine Fever का पता लगने के बाद से अब तक 38,700 सुअरों की मौत हो चुकी है.
मंत्री ने अपने जवाब में कहा कि सुअरों की मौत के कारण कम से कम 13,200 परिवार आर्थिक रूप से प्रभावित हुए हैं. बोरा ने कहा कि यह मामला केंद्र के अधिकारक्षेत्र में होने के चलते सरकार ने किसी भी प्रभावित परिवार को मुआवजा नहीं दिया है.
गौरतलब है कि केंद्र के नियम के अनुसार, African Swine Fever से पीड़ित सुअरों को अगर प्रशासन मारने की कार्रवाई करता है तभी मुआवजा देने का प्रावधान है.
अफ्रीकन स्वाइन फीवर (African Swine Fever) का वायरस कोरोना वायरस (Coronavirus) की तरह जूनोटिक (Zoonotic Diseases) नहीं होता है. ऐसे में ये पशुओं से इंसानों में नहीं पहुंचता. लेकिन ये पशुओं को तेजी से संक्रमित करता है. फिलहाल इसे रोकने के लिए कोई दवा या वैक्सीन नहीं है और संक्रमित पशु की मृत्यू होना तय है. ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसके संक्रमण के बाद मृत्यू दर 100 प्रतिशत है.
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