नई दिल्ली: कोरोना वायरस (COVID-19) की दूसरी लहर के दौरान मरीजों में घातक बीमारी के कई रहस्यमय रूप सामने आए हैं. इन्हीं में से एक है, 'हैप्पी हाइपोक्सिया' (Happy Hypoxia). दूसरी लहर के दौरान 'हैप्पी हाइपोक्सिया' के सबसे ज्यादा शिकार युवा हुए हैं, इस बात को लेकर डॉक्टर भी चिंतित हैं.
दूसरी लहर के दौरान अस्पतालों में भर्ती होने वाले अधिकतर युवाओं के 'हैप्पी हाइपोक्सिया' (Happy Hypoxia) से पीड़ित होने की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. 'हैप्पी हाइपोक्सिया' को COVID-19 रोगियों के लिए साइलेंट किलर माना जा रहा है. दूसरी लहर के दौरान युवाओं की अधिक मौत का कारण भी हैप्पी हाइपोक्सिया को ही माना गया है.
दरअसल हैप्पी हाइपोक्सिया कोरोना मरीज को असल स्थिति से अनजान रखता है. मेडिकल एक्सपर्ट के मुताबिक हैप्पी हाइपोक्सिया की स्थिति में खून में ऑक्सीजन लेवल बेहद कम हो जाता है लेकिन फिर भी मरीज को इस बात का अहसास ही नहीं होता है. मरीज को लगता है कि सब कुछ सामान्य ही तो है. यह स्थिति जानलेवा बन जाती है.
डॉक्टरों ने पाया कि 'हैप्पी हाइपोक्सिया' से पीड़ित मरीज में ऑक्सीजन कम होने के बाद, शरीर के कई अंग काम करना बंद करने लगते हैं लेकिन मरीज को देखकर ऐसा लगेगा कि वह एक दम सही है. ज्यादातर मरीज सामान्य तरीके से बैठ-उठ पाते हैं. बातचीत करते रहते हैं, फोन का उपयोग भी करते रहते हैं लेकिन अंदर ही अंदर बड़ा नुकसान हो रहा होता है.
इस बीमारी का सबसे अधिक असर कोविड-19 संक्रमित युवाओं पर हुआ. युवाओं में संक्रमण के काफी दिनों बाद भी सांस फूलने जैसे लक्षण का पता नहीं चल पाता है. जबकि हैप्पी हाइपोक्सिया से पीड़ित COVID-19 से संक्रमित मरीज का ऑक्सीजन लेवल 40 प्रतिशत तक गिर जाता है.
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डॉक्टरों के मुताबिक पल्स ऑक्सीमीटर के साथ ब्लड ऑक्सीजन लेवल की जांच करें. भले ही कोई COVID-19 रोगी को सांस लेने में कोई दिक्कत न हो रही हो लेकिन केवल बुखार, खांसी, गले में खराश आदि हो तो सतर्क हो जाएं. विशेषज्ञों का कहना है कि नियमित रूप से COVID-19 लक्षणों के अलावा, हैप्पी हाइपोक्सिया वाले रोगियों की स्किन का रंग बैंगनी या लाल हो जाएगा, होंठों का रंग पीला या नीला हो जाएगा और कोई भी शारीरिक श्रम न करने पर भी भारी पसीना आएगा.
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