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NSA डोभाल क्यों है पाकिस्तान का काल, संकटमोचक के 57 साल, सर्जिकल स्ट्राइक से ऑपरेशन सिंदूर तक 'चाणक्य' का अहम रोल

NSA Ajit Doval Biography: भारत में आजादी के बाद जो भी बड़े संकट आए हैं, उनमें एक व्यक्ति अक्सर पर्दे के पीछे भूमिका निभाता नजर आता है. बेहद शांत गंभीर व्यक्तित्व वाले डोभाल ने इंदिरा गांधी, राजीव गांधी से लेकर पीएम मोदी के कार्यकाल में संकटमोचक की तरह अपना काम करते नजर आए हैं.

पाकिस्तान में जासूस रहे अजीत डोवाल

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पाकिस्तान में जासूस रहे अजीत डोवाल

अजीत डोभाल के बारे में कहा जाता है कि वो खुफिया जासूस के काम के तौर पर पाकिस्तान के लाहौर पर रहे. वो सात साल तक खुफिया एजेंट वहां रहे. मुसलमान बनकर वो वहां खुफिया जानकारी इकट्ठा करते रहे. एक बार एक मौलवी ने उन्हें कान में छेद होने से पहचान लिया और हिन्दू होने की बात कही तो डोभाल ने बताया कि वो हिंदू से मुसलमान बने हैं. फिर प्लास्टिक सर्जरी कराकर उन्होंने पहचान छिपाई. लाहौर-इस्लामाबाद से लेकर रावलपिंडी तक उन्हें पाकिस्तान में आतंक के आकाओं की पूरी करतूत पता है.

 

सर्जिकल स्ट्राइक से ऑपरेशन सिंदूर तक

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सर्जिकल स्ट्राइक से ऑपरेशन सिंदूर तक

पहलगाम में 22 अप्रैल को आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान को अपने समय-स्थान पर जवाब देने के पीछे डोभाल भी थे. पाकिस्तान में जैश ए मोहम्मद और लश्कर ए तैयबा जैसे संगठनों के अड्डों की पहचान में डोभाल की सक्रियभूमिका थी. आखिर वो पाकिस्तान में सात साल बतौर जासूस रहे. पिछले 15 दिनों में पीएम मोदी, एनएसए डोभाल, तीनों सेना के प्रमुखों के बीच कई दौर की बैठकें हुईं और भारत ने बदला पूरा किया.

 

भारतीय नर्स स्टाफ की रिहाई

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भारतीय नर्स स्टाफ की रिहाई

इराक में भी डोभाल ने संकटमोचक की भूमिका निभाई. तिकरित के अस्पताल में 46 भारतीय नर्स जब बंधक बना ी गईं थीं तो डोभाल 25 जून 2014 को वहां पहुंचे. पांच जुलाई को नर्सों की सुरक्षित रिहाई में डोभाल की अहम भूमिका थी.

 

इंदिरा गांधी से लेकर PM MOdi तक

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इंदिरा गांधी से लेकर PM MOdi तक

इंदिरा गांधी के समय काम करने वाले डोभाल को पीएम मोदी ने 2014 में सत्ता संभालते ही 31 मई को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बनाया था. जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने, डोकलाम विवाद जैसे अहम संकट के दौरान डोभाल पर्दे के पीछे सरकार-सेना और खुफिया एजेंसी के बीच अहम सेतु का काम करते हैं. 

 

पूर्वोत्तर में भी अहम सेवा

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पूर्वोत्तर में भी अहम सेवा

कश्मीर में भी डोभाल ने अलगाववादी संगठनों के बीच अहम पैठ कायम की. भारत विरोधी संगठन कूका पारे में भी सेंध लगाई. डोभाल ने पूर्वोत्तर में कई उग्रवादी संगठनों की कमर तोड़ने का काम किया. उन्होंने कई उग्रवादी संगठनों को घुटने टेककर आत्मसमर्पण करने को मजबूर किया. म्यांमार में भी सेना की सर्जिकल स्ट्राइक के पीछे भी डोभाल का दिमाग था, जिससे उग्रवादी संगठनों को बड़ा नुकसान पहुंचा. डोभाल ने पाकिस्तान में जासूस के साथ उच्चायोग में सैन्य अफसर के तौर पर भी भूमिका निभाई. वो पाकिस्तान के अलावा ब्रिटेन में भी राजनयिक के तौर पर रहे. इंटेलीजेंस ब्यूरो की ऑपरेशन इकाई की अगुवाई की.

ऑपरेशन ब्लूस्टार में भी अहम रोल

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ऑपरेशन ब्लूस्टार में भी अहम रोल

इंदिरा गांधी के शासनकाल के दौरान अमृतसर में ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान डोभाल ने एक जासूस के तौर पर स्वर्ण मंदिर में रहे. उन्होंने खालिस्तानियों का भरोसा जीतकर उनके पास मौजूदा हथियारों का ब्योरा जुटाया. साथ ही उन्हें भ्रमित कर सेना के ऑपरेशन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

 

कीर्ति चक्र मिला

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कीर्ति चक्र मिला

अजीत डोभाल को शांतिकाल का दूसरा सबसे बड़ा पुरस्कार कीर्ति चक्र मिला.खुफिया एजेंसी के तौर पर उनकी अदम्य सेवाओं के लिए ये सम्मान दिया गया. उन्होंने इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर पीएम मोदी की सरकार में अहम सेवाएं दी हैं.

 

कंधार प्लेन हाईजैक में संकटमोचक

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कंधार प्लेन हाईजैक में संकटमोचक

डोभाल को 1971 से 1999 तक इंडियन एयरलाइंस के विमान अपहरण कांड की जांच में अहम भूमिका निभाई. खासकर अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में कंधार विमान अपहरण कांड में आतंकियों मौलाना मसूद अजहर, मुश्ताक अहमद जरगर, मुहम्मद शेख के बदले भारतीय बंधकों को छुड़ाने के अभियान में अहम भूमिका निभाई. वो खुद जान जोखिम में डालकर कंधार गए थे. कंधार विमान हाईजैक में इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC-814 को Nepal की राजधानी काठमांडू से आतंकियों ने  24 दिसंबर 1999 को कब्जे में ले लिया था.प्लेन हाईजैक होने के बाद डोभाल को ही आतंकियों के आकाओं से बातचीत का जिम्मा सौंपा गया.  हरकत उल मुजाहिदीन के 5 आतंकियों ने प्लेन हाईजैक किया था.आतंकियों को कंधार ले जाने और फिर 191 यात्रियों की रिहाई के लिए डोभाल ने जान जोखिम में डाली. 

 

 

अजीत डोभाल आईपीएस बने- ajit dobhal Biography

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अजीत डोभाल आईपीएस बने- ajit dobhal Biography

अजीत डोभाल ने 1968 में पुलिस सेवा ज्वाइन की और आईपीएस बने. वो केरल कैडर के आईपीएस थे और चार साल पुलिस सेवा के बाद 1972 में खुफिया एजेंसी आईबी ज्वाइन की.केरल में एएसपी के तौर पर नौकरी शुरू की.डोभाल भारतीय पुलिस सेवा में पदक पाने वाले सबसे कम उम्र के आईपीएस थे.

 

अरुणी डोभाल से विवाह-Ajit Dobahl Wife

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अरुणी डोभाल से विवाह-Ajit Dobahl Wife

डोभाल ने 1972 में अरुणी डोभाल से विवाह किया. डोभाल के दो बेटे हैं. बड़े बेटे शौर्य डोभाल थिंक टैंक इंडिया फाउंडेशन के संस्थापक हैं. शौर्यने आर्मी पब्लिक स्कूल और दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिन्दू कॉलेज से पढ़ाई की. इनवेस्ट बैंकर रहे शौर्य ने मार्गन स्टैनली जैसी दिग्गज वित्तीय कंपनियों में भी काम किया है.

 

पौड़ी गढ़वाल में जन्म

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पौड़ी गढ़वाल में जन्म

अजीत डोभाल का जन्म 20 जनवरी 1945 में उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के बनालस्यूं गांव में हुआ था. उनके पिता मेजर जीएन डोभाल भी सेना में अफसर थे.राजस्थान के अजमेर जिले में आर्मी स्कूल से उनकी पढ़ाई हुई. फिर 1967 में आगरा यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स की पढ़ाई की.

 

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