नई दिल्ली: अनुसूचित जनजाति के लोग प्रकृति के रक्षक रहे हैं. इन्हीं के संरक्षण में आज भी प्रकृति का सौंदर्य कायम है. आदिकाल से लेकर वर्तमान कालखंड इनकी शौर्य गाथा से भरा पड़ा है. भगवान श्री राम जब वनवास पर गए तो उस समय भी जनजाति यानी ट्राइबल समुदाय के लोगों ने उनका सहयोग किया था. कुछ जनजातियां ऐसी भी हैं जो अभी तक मुख्यधारा से दूर हैं. भारत (India) में मौजूद जनजातियों की अपनी अलग और अनूठी परंपराएं हैं. आज हम आपको कुछ ऐसे ही जनजाति समाज की विचित्र रस्मों (Strange Tribal Traditions) के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके बारे में बहुत से लोगों को नहीं पता होगा.
भील जनजाति का इतिहास युगों पुराना है. यूपी और राजस्थान के कुछ इलाकों में इस कम्युनिटी की झलक साफ-साफ देखी जा सकती है. राजस्थान की भील जनजाति देश की सबसे बड़ी जनजातियों में से एक है. यहां पर महिलाओं को इतनी आजादी होती है कि वो पुरुषों के साथ बैठकर खुलकर हुक्का और शराब पी सकती हैं. ऐसा करने पर महिलाओं के चरित्र पर कोई सवाल नहीं उठाया जाता है. हैरानी वाली बात है कि भील समुदाय में महिलाओं के बहुविवाह का भी रिवाज है. पहली शादी करने के बाद भी उनको कई जीवनसाथी रखने की अनुमति होती है.
भारत में गोंड शब्द कोंड से आया है जिसका अर्थ हरे-भरे पहाड़ों से लगाया जाता है. गोंड खुद को 'कोई' या 'कोईतुरे' कहते थे. मध्यप्रदेश में ये जनजाति सदियों से अमरकंटक पर्वत श्रेणी के आसपास रहती आई. विंध्य, सतपुड़ा तथा मांडला के घने जंगलों में इनका शुरुआती ठिकाना था. गोंड जनजाति का प्रधान व्यवसाय कृषि है किंतु ये कृषि के साथ-साथ पशु पालन भी करते हैं. ठाठ्या नृत्य गोंड जनजाति द्वारा दीपावली पर किया जाने वाला नृत्य है. वो अपने महोत्सवों तथा धार्मिक कृत्यों, गीत एवं नृत्यों के माध्यम से वे अपनी संस्कृति से जुड़े रहे. जब बड़ी संख्या में उनके लोगों ने काम की तलाश में नगरों की ओर रूख करना शुरू कर दिया तो ये सांस्कृतिक आधार खतरे में पड़ गए. दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में भी इनकी मौजूदगी है.
यह जनजाति समुदाय पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, झारखंड और असम के इलाकों में पाई जाती है. इस जनजाति के लोगों का शहरी दुनिया से संपर्क होने के साथ वे संथाली के अलावा कई भाषा बोलते हैं. इस कम्युनिटी के लोग अपने स्थानीय भगवानों और आत्माओं को पूजते हैं. अजीब बात है कि भूतों से डरने की वजह से संथाल जनजाति के लोग अपने इलाके के भूतों को खुश करने की कोशिश करते हैं. इसके लिए पशुओं की बलि दी जाती है.
यह जनजाति समुदाय मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश में निवास करती है. इस जनजाति के कई गोत्र होते हैं. इस समुदाय में युवाओं को अपनी इच्छा से विवाह करने की आजादी होती है. इस जनजाति में एक ही गोत्र के अंदर शादी करने की मनाही है.
पूर्वोत्तर भारत में कई जनजातियां है. उनका अपना अलग समृद्ध इतिहास है. मणिपुर से लेकर नागालैंड तक उनकी अलग मान्यताएं और परंपराएं हैं. इसी कड़ी में अब बात जारवा जनजाति (Jarwa Tribes) की तो यह जनजाति अंडमान-निकोबार द्वीप समूह (Andaman and Nicobar Islands) की प्रमुख जनजाति है. इस समुदाय के लोग सूअर, मछली और कुछ अन्य जानवरों का शिकार करके अपना पेट भरते हैं. इनकी एक परंपरा यह है कि बच्चों के बालिग होने के बाद उनका नाम बदल दिया जाता है. जिसके लिए एक बाकायदा एक समारोह होता है.
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