तिरुवनंतपुरम: बाढ़ के साथ आई बर्बादी से उबरने की कोशिश कर रहे केरल के मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन ने गुरुवार को कहा कि वह राज्य के लिए आने वाली विदेशी सहायता समेत हर सहायता को हासिल करने के लिये कानूनी विकल्पों की संभावना पर विचार कर रहे हैं. केंद्र के संयुक्त अरब अमीरात द्वारा बाढ़ग्रस्त राज्य के लिये कथित तौर पर की गई 700 करोड़ की राहत राशि की पेशकश को अस्वीकार करने को लेकर हुए विवाद के बीच उनका बयान खासा महत्व रखता है.
अभूतपूर्व बाढ़ की स्थिति पर चर्चा के लिये बुलाए गए राज्य विधानसभा के एक दिवसीय विशेष सत्र का आयोजन किया गया है. विजयन ने कहा कि 28 मई को मानसून आने के बाद से राज्य में 483 लोगों की जान जा चुकी है जबकि 14 अन्य अब भी लापता हैं. उन्होंने कहा कि राज्य की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है और यह राज्य के वार्षिक योजना परिव्यय से भी ज्यादा हो सकता है जो इस साल के लिये 37,247.99 करोड़ रूपये है.
विजयन ने कहा,‘दुनिया के विभिन्न हिस्सों से केरल के लिए आर्थिक मदद की पेशकश की जा रही है. सरकार इन सहायता को हासिल करने के लिये कानूनी पहलुओं पर भी विचार कर रही है.’ उन्होंने कहा कि दुनियाभर से आने वाली सहायता से सरकार को भरोसा मिला है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र द्वारा जारी 600 करोड़ रूपये की मदद के अलावा राज्य को हालात की गंभीरता को देखते हुए केंद्र सरकार से और मदद मिलने की उम्मीद है. उन्होंने कहा ‘मुख्यमंत्री आपदा राहत कोष में कल तक 730 करोड़ रूपये मिल चुके हैं.’ मुख्यमंत्री ने बताया कि राहत कोष में लोग जमीन और गहने भी दे रहे हैं.
राज्य के पुनर्निर्माण के लिए रकम के लिए विश्वबैंक के अधिकारियों के साथ हुई चर्चा पर विजयन ने कहा कि सरकार की नीति किसी से भी मदद लेने की है, अगर वह राज्य के हित में है.
बांधों द्वारा बिना किसी पूर्व चेतावनी के पानी छोड़े जाने की वजह से बाढ़ आने के विपक्ष के आरोपों के संदर्भ में मुख्यमंत्री ने कहा कि अप्रत्याशित भारी बारिश की वजह से यह आपदा आई. राज्य में मौसम विभाग के अनुमान से तीन गुना ज्यादा बारिश दर्ज की गई.
(इनपुट - भाषा)