UN के पूर्व महासचिव मून ने WION से कहा-पेरिस जलवायु समझौते को लागू कराने में दुनिया का नेतृत्व कर सकते हैं PM मोदी
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UN के पूर्व महासचिव मून ने WION से कहा-पेरिस जलवायु समझौते को लागू कराने में दुनिया का नेतृत्व कर सकते हैं PM मोदी

संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव बान की मून ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता केवल भारत में नहीं है बल्कि वह इस पृथ्वी और मानवता को बचाने के लिए चलाए जा रहे अभियान की अगुवाई भी कर रहे हैं. अंग्रेजी न्यूज चैनल WION की संवाददाता मैंडी क्लार्क के साथ खास बातचीत में मून ने पीएम मोदी, संयुक्त राष्ट्र के निर्णय लेने की प्रक्रिया और दुनिया के अलगाववाद पर बेबाकी से अपने विचार रखे. पेश हैं मून के इंटरव्यू के खास अंश-

UN के पूर्व महासचिव मून ने WION से कहा-पेरिस जलवायु समझौते को लागू कराने में दुनिया का नेतृत्व कर सकते हैं PM मोदी

नई दिल्ली : संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव बान की मून ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता केवल भारत में नहीं है बल्कि वह इस पृथ्वी और मानवता को बचाने के लिए चलाए जा रहे अभियान की अगुवाई भी कर रहे हैं. अंग्रेजी न्यूज चैनल WION की संवाददाता मैंडी क्लार्क के साथ खास बातचीत में मून ने पीएम मोदी, संयुक्त राष्ट्र के निर्णय लेने की प्रक्रिया और दुनिया के अलगाववाद पर बेबाकी से अपने विचार रखे. पेश हैं मून के इंटरव्यू के खास अंश-

WION की 'ग्लोबल लीडरशिप सीरीज' में मून ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केवल अपने देश में ही लोकप्रिय नहीं हुए हैं बल्कि वह इस पृथ्वी और मानवता को बचाने के लिए अभियान की अगुवाई भी करते रहे हैं.

इसके लिए पीएम मोदी ने कई अहम घरेलू और वैश्विक पहल की है. हम जिसे 'इंटरनेशनल सोलर अलायंस' के नाम से जानते हैं, पीएम मोदी ने इस अभियान की अगुवाई की है. इस अभियान में यूरोपीय यूनियन खासकर अमेरिका और फ्रांस के सहयोग से 122 देश हिस्सा ले रहे हैं. यह अत्यंत ही महत्वाकांक्षी अभियान है.

इस अभियान से जुड़े देश ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन में एक तय कटौती सुनिश्चित करना चाहते हैं. देशों ने साल 2005 के मुकाबले ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कम से कम 33-35% की कटौती का लक्ष्य रखा है.

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यह पूछे जाने पर कि क्या वह प्रधानमंत्री मोदी से मिले हैं. इस पर मून ने कहा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मैं कई बार मिला हूं. मैं उनके गृह प्रदेश गुजरात भी गया. मुझे लगता है कि पीएम मोदी पेरिस जलवायु समझौते को लागू कराने में दुनिया की मुहिम का नेतृत्व कर सकते हैं.'

संयुक्त राष्ट्र के निर्णय लेने की प्रकिया पर मून ने कहा, 'बदलती हुयी दुनिया को देखते हुए मैं कहूंगा कि निर्णय लेने की प्रक्रिया उस मानक के अनुरूप नहीं है जैसा कि उसे होना चाहिए.'

दुनिया में अलगाववाद की भावना पर मून ने कहा, 'हम एक बहुत ही छोटी दुनिया में रहते हैं, यहां पर हम सभी एक छोटे वैश्विक परिवार के सदस्य हैं. मैं इस प्रकार के संकीर्ण राष्ट्रीय नजरिए के बारे में गंभीर रूप से चिंतित हूं. लोगों को जोड़ने की जगह दीवार खड़ा करना गलत है. 21वीं सदी में यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है. मैं इस तरह के राष्ट्रवाद, अलगाववाद और केवल अपने लोगों की सुरक्षा की बात कहे जाने पर बहुत चिंतित हूं.'

यह पूछे जाने पर कि इस महत्वपूर्ण पद पर रहते हुए उन्होंने कभी शक्तिशाली देशों का दबाव महसूस किया. इस पर 'चाइल्ड ऑफ वार' ने कहा, 'हां, ऐसे कई मौके आए जब कुछ देशों ने (मैं उन देशों का नाम नहीं लूंगा) अपने राष्ट्रीय हित के परिप्रेक्ष्य में चीजों को रखने की कोशिश की. उन देशों ने अपने राष्ट्रीय हित को वैश्विक नजरिए पर थोपना चाहा जो कि गलत है.'

इस सवाल पर कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव के पद पर रहते हुए उनकी महत्वपूर्ण उपलब्धियां क्या रहीं. इस पर मून ने कहा, 'साल 2015 में जब 195 देशों ने सर्वसम्मति से जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते को स्वीकार करने का फैसला किया, उसे मैं आज भी नहीं भूल सकता. दूसरा 2015 में ही सहस्राब्दि विकास लक्ष्य को पाने के लिए संयुक्त राष्ट्र के सभी देशों ने अपने विचार प्रस्तुत किए.'

(बान की मून का पूरा इंटरव्यू आप WION न्यूज चैनल पर सोमवार शाम को देख सकते हैं)

 

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