India China Relations: पीएम मोदी यूं ही नहीं कर रहे चीन की तारीफ! कजान में ही पड़ चुकी थी बेहतर रिश्ते की बुनियाद
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India China Relations: पीएम मोदी यूं ही नहीं कर रहे चीन की तारीफ! कजान में ही पड़ चुकी थी बेहतर रिश्ते की बुनियाद

Galwan Clash: एक समय भारत के चीन और पाकिस्तान दोनों ही पड़ोसी मुल्कों से संबंध बेहद खराब हो गए थे. पाकिस्तान से तो पुरानी अदावत सी चल रही, लेकिन गलवान में हुई झड़प ने भारत-चीन के रिश्तों को रसातल में पहुंचा दिया था. अब 5 साल बाद फिर से स्थिति बेहतर होती दिख रही है. 

Chinese President Xi Jinping with Prime Minister Narendra Modi.
Chinese President Xi Jinping with Prime Minister Narendra Modi.

Pm Modi Podcast: गलवान झड़प के बाद से चीन के साथ तल्ख हुए रिश्ते अब फिर से बेहतर होने की दिशा में बढ़ रहे हैं. अमेरिकी पॉडकास्टर लेक्स फ्रीडमैन के साथ पीएम नरेंद्र मोदी ने बातचीत के दौरान चीन की कई बार तारीफ की. बातों में न तल्खी दिखी ना ही बेरुखी. चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बर्ताव में भी अंतर आया है, जिसकी झलक पिछले वर्ष रूस में दिखी. दोनों देशों के रुख में ये बदलाव अचानक नहीं हुआ है. उम्मीद है कि पूरी दुनिया पर दबदबा बनाने वाले दोनों एशियाई देशों की दोस्ती फिर से गहराएगी. पीएम मोदी के मतभेदों को दूर करते हुए संवाद के जरिए पुराने संबंधों को फिर से बहाल करने की अपील पर चीन ने भी बकायदा बयान जारी कर इस पर पहल पर खुशी जाहिर की है. 

कजान में पड़ी बेहतर रिश्तों की बुनियाद
 
चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि चीन, भारत के साथ संबंधों पर प्रधानमंत्री मोदी की बातों की सराहना करता है. माओ ने कहा कि पिछले साल अक्टूबर में रूस के कजान शहर में पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बैठक में ही द्विपक्षीय संबंधों के बेहतर होने की बुनियाद रख दी गई थी.

हाथी और ड्रैगन का तालमेल के साथ बढ़ना जरूरी

माओ ने भी भारत की तारीफ करते हुए कहा कि दोनों देशों की सभ्यताओं ने मानव प्रगति में योगदान देते हुए एक-दूसरे से सीखा है. यह 2.8 अरब से अधिक लोगों के मौलिक हितों की और क्षेत्रीय देशों की साझा आकांक्षाओं को पूरा करता है.  माओ ने चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बयान को दोहराते हुए कहा कि दोनों देशों को ऐसा साझेदार बनना चाहिए जो एक-दूसरे की सफलता में योगदान दें और ‘हाथी’ (भारत) और ‘ड्रैगन’ (चीन) का तालमेल बिठाकर साथ चलना ही दोनों देशों के संबंधों के लिए एकमात्र सही विकल्प है. उन्होंने कहा कि चीन राजनयिक संबंधों की 75वीं एनिवर्सरी को एक अवसर के रूप में लेते हुए द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर और विकास के पथ पर आगे बढ़ाएगा. 

 

सीमा पर लौटी सामान्य स्थिति

इससे पहले पीएम मोदी ने पॉडकास्ट में कहा था कि पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों की सेनाओं के बीच 2020 में हुई झड़पों से उपजे तनाव को कम करने के लिए राष्ट्रपति शी के साथ उनकी हालिया बातचीत के बाद भारत-चीन सीमा पर सामान्य स्थिति लौट आयी है. मोदी ने कहा कि पड़ोसियों के बीच मतभेद स्वाभाविक हैं. हमारा उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मतभेद विवाद में न बदल जाएं और मतभेद के बजाय संवाद को प्राथमिकता दी जाए.  

ट्रंप ने भी शेयर किया पीएम मोदी का वीडियो

पीएम मोदी की लेक्स फ्रीडमैन के साथ हुआ यह पॉडकास्ट कितना चर्चा में रहा, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसका वीडियो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर शेयर किया है. पीएम मोदी ने ट्रंप की तारीफ करते हुए कहा कि हमारे बीच विश्वास का रिश्ता है. जैसे ट्रंप 'अमेरिका फर्स्ट' को मानते हैं वैसे ही मेरे लिए भी 'पहले भारत' है. यही विचारधारा हमें और करीब लाती है. 

ट्रंप के बारे में क्या पसंद है, इस सवाल पर मोदी ने याद दिलाया कि अपने पहले कार्यकाल के दौरान ट्रंप ने सुरक्षा प्रोटोकॉल की अनदेखी की थी और ह्यूस्टन में 'हाउडी मोदी' कार्यक्रम की मेजबानी करने वाले स्टेडियम का एक चक्कर लगाने के उनके अनुरोध पर सहमति व्यक्त की थी. उनकी पूरी सुरक्षा सकते में आ गई थी, लेकिन मेरे लिए वह क्षण वास्तव में दिल को छू लेने वाला था. इससे पता चला कि इस आदमी में हिम्मत है. वह अपने फैसले खुद करते हैं, लेकिन साथ ही उन्होंने उस पल में मुझ पर और मेरे नेतृत्व पर भरोसा किया कि वह मेरे साथ भीड़ के बीच चले गए. 

कांग्रेस बोली- ट्रंप को खुश कर रहे मोदी

पीएम मोदी के इस पॉडकास्ट पर कांग्रेस ने आपत्ति जताते हुए कहा है कि वे ट्रंप के सुर में सुर मिला रहे हैं. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर लिखा है कि "प्रधानमंत्री मोदी ट्रंप को खुश रखने के लिए कुछ भी कर रहे हैं. उनका कहना है कि जिन अंतरराष्ट्रीय संगठनों से भारत को काफी फायदा हुआ है, वे अप्रासंगिक हो गए हैं. यह तो अमेरिकी राष्ट्रपति की भाषा है. जयराम ने सवाल किया कि क्या WHO भारत के लिए अच्छा नहीं है? क्या WTO भारत के लिए अच्छा नहीं है? क्या जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौता भारत के लिए अच्छा नहीं है? क्या संयुक्त राष्ट्र ने अपनी तमाम कमजोरियों के बावजूद भारतीय शांति सैनिकों को विदेशों में अवसर उपलब्ध नहीं कराये हैं? 

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