DNA: अब सवाल यै है कि खगेन मुर्मू, शंकर घोष और बीजेपी कार्यकर्ताओं पर हमला किसने किया. पुलिस इसकी जांच कर रही है. बीजेपी अपने नेताओं पर हमले के पीछे TMC कार्यकर्ताओं का हाथ बता रही है.
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खून से लथपथ खगेन मुर्मू की तस्वीर सिर्फ इसलिए विचलित नहीं कर रही है कि पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा हो रही है. जिस वजह से ये हिंसा हुई वो भी परेशान करने वाली है. राजनेताओं के लिए आम लोगों से मिलना ऑक्सीजन की तरह होता है. आपदा के समय आम लोग भी चाहते हैं कि नेता आए और उनके लिए राहत का प्रबंध करे. लोगों से मिलकर उनके दुख में सहभागी होने का संदेश देना नेताओं की बड़ी पूंजी होती है. खगेन मुर्मू और बीजेपी के दूसरे नेता भी आपदा प्रभावित इलाके में पहुंचे थे. वो लोगों से मिलकर उनका हाल चाल समझना चाहते थे लेकिन उन पर हमला हो गया
अब सवाल यै है कि खगेन मुर्मू, शंकर घोष और बीजेपी कार्यकर्ताओं पर हमला किसने किया. पुलिस इसकी जांच कर रही है. बीजेपी अपने नेताओं पर हमले के पीछे TMC कार्यकर्ताओं का हाथ बता रही है. बीजेपी नेता अमित मालवीय ने घायल खगेन मुर्मू की तस्वीर पोस्ट करते हुए पश्चिम बंगाल में टीएमसी के राज को जंगलराज बताया. पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने हमले में शामिल उपद्रवियों की तस्वीर पोस्ट की. उन्होंने आरोप लगाया की बीजेपी नेताओं पर हमले के लिए बाहर से लोगों को लाया गया था. खगेन मुर्मू पर हुए हमले को लेकर दिल्ली से पश्चिम बंगाल तक ममता सरकार बीजेपी के निशाने पर है
पश्चिम बंगाल में पहले भी हो चुकी है सियासी हिंसा
आप सभी जानते हैं पश्चिम बंगाल की राजनीति में हिंसा नई बात नहीं है. लेफ्ट की सरकार थी तो विपक्ष में रहीं ममता बनर्जी हिंसा का आरोप लगाती थीं. अब ममता बनर्जी की सरकार है तो बीजेपी TMC पर हिंसा का आरोप लगा रही है. मित्रो पश्चिम बंगाल में राजनीति के रक्तचरित्र को समझने के लिए एक छोटा सा आंकड़ा हम आपके साथ शेयर करना चाहते हैं. इसके पहले पश्चिम बंगाल में
2016 विधानसभा चनाव में बांकुरा, जय नगर जैसे इलाकों में बम धमाके और हिंसक झड़प हुई थी
2018 के पंचायत चुनाव में हुई हिंसा में 10 लोगों की जान गई थी. इस चुनाव में टीएमसी को 34% सीटें निर्विरोध मिली थीं
NCRB के आंकड़ों के मुताबिक 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा में 12 लोगों की जान गई थी
2021 में चुनाव आयोग ने 8 चरणों में करवाया था मतदान
हिंसा को देखते हुए चुनाव आयोग ने 2021 में विधानसभा चुनाव के लिए 8 चरणों में मतदान कराया था. लेकिन ये सावधानी भी काम नहीं आई. कूचबिहार के सितलकुची में मतदान के दौरान हिंसा में 4 लोगों की जान गई. चुनाव के बाद हुई हिंसा में कई लोगों की जान गई. तब TMC कार्यकर्ताओं पर बीजेपी कार्यकर्ताओं को निशाना बनाने का आरोप लगा था. 2023 पंचायत चुनाव में राजनीतिक हिंसा में 40 लोगों की जान गयी थी. मुर्शिदाबाद, कूचबिहार और दक्षिण 24 परगना जैसे जिलों में सबसे ज्यादा हिंसा हुई थी.
2024 लोकसभा चुनाव में एक बीजेपी कार्यकर्ता की हत्या हुई थी
2024 के लोकसभा चुनाव में नंदीग्राम में एक बीजेपी कार्यकर्ता की हत्या हुई थी. संदेशखाली, मुर्शिदाबाद और दक्षिण 24 परगना में हिंसक झड़प हुई थी.
हमने पिछले 9 साल में हुए 6 चुनाव की छोटी सी जानकारी आपके साथ शेयर की. केंद्रीय सुरक्षाबलों की तैनाती के बाद भी पश्चिम बंगाल में चुनावी हिंसा में कमी नहीं आई. पश्चिम बंगाल में हिंसा सिर्फ चुनाव के समय ही नहीं होती है. राजनीतिक वर्चस्व में विरोधियों को निशाना बनाना बंगाल के रक्तरंजित चुनावी इतिहास का पुराना अध्याय रहा है.
सीएम ममता ने बीजेपी को हिंसा के लिए ठहराया जिम्मेदार
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी आज बाढ़ प्रभावित लोगों से मिलने के लिए जलपाईगुड़ी पहुंची थी. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने खगेन मुर्मू और बीजेपी नेताओं को ही हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहरा दिया. ममता जी के मुताबिक तस्वीरों में जो व्यक्ति पीड़ित दिख रहा है वही हिंसा के लिए जिम्मेदार है. हम इसपर कुछ और नहीं कहेंगे. सिर्फ इतना कहेंगे कि कानून व्यवस्था राज्य सरकार की जिम्मेदारी है और हर नेता को आम लोगों से मिलने का अधिकार है.
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