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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने 5 दिवसीय विदेश यात्रा से लौटते ही ऐसा फैसला लिया है जिसने विपक्ष के सामने नई चुनौती खड़ी कर दी है. पेट्रोल और डीजल की एक्साइज ड्यूटी में भारी कमी कर प्रधानमंत्री मोदी ने देशवासियों को दिवाली का तोहफा दिया है, इसके साथ ही केंद्र सरकार की तरफ से राज्यों से भी अपील की गई है कि वे लोगों को राहत देने के लिए पेट्रोल-डीजल पर वैट कम करें. अब सवाल उठता है कि कल तक सरकार पर निशाना साधने वाले राजनीतिक दल अब खुद जनता को राहत देने वाली इच्छा शक्ति दिखा पाएंगे.
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी20 और सीओपी-26 शिखर सम्मेलन की प्रभावशाली यात्रा से 5 दिनों बाद देश लौटे. इसके कुछ ही घंटों बाद केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया, जिसके तहत डीजल पर 10 रुपये और पेट्रोल पर 5 रुपये एक्साइज ड्यूटी कम करने का ऐलान किया गया. इससे एक बार फिर जाहिर हुआ कि पीएम मोदी देश में रहें या बाहर उनके सरकार से जुड़े काम-काज जारी रहते हैं. सरकार का यह निर्णय सामान्य रूप से सरकार की संवेदनशीलता और विशेष रूप से पीएम मोदी की जमीनी स्थिति और रियल टाइम में बड़े फैसले लेने की क्षमता दर्शाता है.
भारत सरकार द्वारा डीजल और पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी कम करने का फैसला निश्चित ही अर्थव्यवस्था को और गति देगा इसके साथ ही यह खपत को भी बढ़ावा देगा और मुद्रास्फीति को कम रखेगा. जिसकी वजह से गरीब और मध्यम वर्ग को काफी मदद मिलेगी. सरकार का कहना है कि ये फैसला से पूरे इकोनॉमिक साइकिल को और स्पीड देगा. हालांकि, डीजल और पेट्रोल पर वैट की दरों को बहुत ज्यादा रखते हुए गरीबों, किसानों और मध्यम वर्ग की देखभाल करने का दिखावा करने वाले कई विपक्षी राज्यों की तरफ से वैट कम करते हुए और राहत दिया जाना बाकी है.
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बता दें, दिल्ली में पेट्रोल पर वैट 30% है तो मुंबई में 26% और एडीशनल 10.12/लीटर है. वहीं कोलकाता में 25% या 13.12/लीटर जो भी अधिक हो और हैदराबाद में 35.20 प्रतिशत तक वैट लगाया जा रहा है. वहीं कांग्रेस शासित राजस्थान में वैट की दरें 36 प्रतिशत प्लस 1,500 रुपये/केएल है. डीजल में वैट विपक्षी शासित राज्यों में बहुत ज्यादा है, इसकी तुलना आप भाजपा शासित गुजरात से कर सकते हैं. गुजरात में वैट दर सिर्फ 20% है. कुल मिलाकर अब समय आ गया है कि विपक्षी शासन वाले राज्य केंद्र के इस फैसलो को आगे बढ़ाएं और पेट्रोल व डीजल दोनों पर वैट की दरों को उसी के अनुरूप कम करें. ऐसा नहीं होता है तो जनता के सामने उनके कोरे दिखावे की पोल खुल जाएगी.
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