PM मोदी की कूटनीति, पाकिस्तान को रोने के लिए मिला केवल चीन का कंधा
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PM मोदी की कूटनीति, पाकिस्तान को रोने के लिए मिला केवल चीन का कंधा

पीएम नरेंद्र मोदी ने निजी रूप से विदेशी रिश्तों को मजबूत करने पर खासतौर से खाड़ी के देशों के साथ रिश्तों की बेहतरी पर बहुत ध्यान दिया और इस प्रयास का नतीजा अब देखने को मिल रहा है.

पीएम नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: जम्मू एवं कश्मीर के विशेष दर्जे की समाप्ति को लेकर पाकिस्तान अपने अच्छे मित्र चीन को छोड़कर अब तक किसी भी वैश्विक नेता को अपने पक्ष में नहीं कर सका है, जबकि वह लगातार सक्रियता से कूटनीतिक पहलों में जुटा हुआ है. यहां तक कि प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी निजी तौर पर दुनिया के कई देशों के प्रमुख नेताओं से बात कर इसका आग्रह किया, जिसमें मुस्लिम बहुल देश भी शामिल हैं. 

साल 2014 में सत्ता में पहली बार आने के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निजी रूप से विदेशी रिश्तों को मजबूत करने पर खासतौर से खाड़ी के देशों के साथ रिश्तों की बेहतरी पर बहुत ध्यान दिया और इस प्रयास का नतीजा अब देखने को मिल रहा है.

पाकिस्तान की अनदेखी करते हुए इस्लामिक सहयोग संगठन का प्रमुख सदस्य संयुक्त अरब अमीरात ने कहा है कि जम्मू एवं कश्मीर पर भारत द्वारा उठाया गया कदम उनका आंतरिक मसला है. 

यहां तक कि सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने भी इस मसले पर कोई टिप्पणी नहीं की, जबकि इमरान ने उन्हें फोन कर इस बार की शिकायत की थी. न ही मलेशिया के महाथिर मोहम्मद या तुर्की के रेशप तैयब एर्दोगन ने इस मसले पर कुछ कहा है. 

पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी आर्गेनाइजेशन आफ इस्लामिक कोआपरेशन (ओआईसी) कश्मीर संपर्क समूह की आपातकालीन बैठक बुलाने के लिए दौड़ कर जेद्दा गए. ओआईसी कश्मीर समूह हमेशा से कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का समर्थन करता रहा है, उसने भारत के इस कदम को अवैध करार दिया है, लेकिन भारत हमेशा इस समूह के नियमित बयानों को खारिज करता रहता है. 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पर्सिया की खाड़ी के देशों सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात से रिश्ते पर ध्यान दिया, जिन पर पहले विशेष ध्यान नहीं दिया जाता था. इस पहल का फल अब देखने को मिला है. 

इसके अलावा मोदी के भारी बहुमत से दुबारा सत्ता में आने और भारत के आर्थिक और सामाजिक स्थिरता ने भी इन देशों द्वारा अपने काम से काम रखने पर ध्यान देने में अहम भूमिका निभाई है. भारत से रिश्ते बिगाड़ने की बजाए वे भारत के साथ रिश्ता बनाकर यहां उज्जवल वित्तीय संभावनाओं को देख रहे हैं. 

यह मोदी सरकार की लुक वेस्ट नीति का ही नतीजा है, जिसमें मध्य पूर्व और खाड़ी के देशों पर विशेष ध्यान दिया गया. खाड़ी के देश ना सिर्फ भौगोलिक रूप से भारत के करीब हैं, बल्कि वहां करीब 76 लाख भारतीय रह रहे हैं और काम कर रहे हैं, जिसमें सऊदी अरब में 28 लाख और संयुक्त अरब अमीरात में 26 लाख भारतीय रहते हैं. 

पाकिस्तान यह समझने में नाकाम रहा कि अमीर अरब देश भारत की सफलता की कहानी का हिस्सा बनने के ज्यादा उत्सुक हैं, बजाए इसके कि कर्ज से लदे पाकिस्तान का भारत के खिलाफ शिकायतों में साथ दें. 

अब पाकिस्तान के विदेश मंत्री कुरैशी के पास एकमात्र उद्धारकर्ता चीन का सहारा है, जो भारत के उदय से पाकिस्तान की तरह ही असुरक्षित महसूस करता है और दुश्मनी रखता है. 

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