15 नवंबर को हिंदू महासभा के दौलतगंज स्थित कार्यालय में पूरे विधि-विधान और पूजा अर्चना के साथ गोडसे की प्रतिमा स्थापित की गई थी.
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भोपाल: ग्वालियर जिला प्रशासन ने हिन्दू महासभा के कार्यकर्ताओं द्वारा ग्वालियर स्थित अपने कार्यालय में पांच दिन पहले स्थापित की गई नाथूराम गोड़से की प्रतिमा को मंगलवार (21 नवंबर) को कड़ी सुरक्षा के बीच हटाकर जब्त कर लिया. प्रशासन ने हिन्दू महासभा को गोड़से की इस प्रतिमा को स्थापित करने के लिए पांच दिन पहले नोटिस जारी किया था. उनसे संतोषजनक उत्तर न मिलने पर आज दोपहर इसे हटाने के लिए एक घंटे की समयसीमा दी. हालांकि, इस नोटिस एवं समय-सीमा का परवाह न करते हुए हिन्दू महासभा के कार्यकर्ता गोड़से की इस प्रतिमा के सामने निरंतर पूजा-अर्चना करते रहे, जिसके बाद मंगलवार शाम जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ आये ग्वालियर कोतवाली पुलिस ने इसे हटा दिया और प्रतिमा को जब्त कर लिया.
#MadhyaPradesh: Police and authorities took possession of the bust of Nathuram Godse, which was installed in the office of Akhil Bharatiya Hindu Mahasabha's Gwalior office, following Collector's order for removal of the same. Room sealed. Police team present at the spot. pic.twitter.com/hv6ud9LtkZ
— ANI (@ANI) November 21, 2017
ग्वालियर जिले के कलेक्टर राहुल जैन ने बताया, ‘हमारे भेजे गये नोटिस का हमें संतोषजनक जवाब नहीं मिला. इसलिए आज दोपहर हमने हिन्दू महासभा के लोगों को इस प्रतिमा को एक घंटे के अंदर हटाने की समय-सीमा दी थी.’ उन्होंने कहा, ‘समय-सीमा देने के बाद उन्होंने हमें कोई जवाब नहीं दिया. इसलिए आज शाम को हमने इस अर्द्ध-प्रतिमा को जब्त कर लिया.’ जैन ने बताया, ‘हमने उन्हें मध्यप्रदेश सार्वजनिक स्थल (धार्मिक भवन एवं गतिविधियों का विनियमन) अधिनियम के तहत नोटिस जारी किया था.’
गौरतलब है कि 15 नवंबर को हिंदू महासभा के दौलतगंज स्थित कार्यालय में पूरे विधि-विधान और पूजा अर्चना के साथ गोडसे की प्रतिमा स्थापित की गई थी. भारद्वाज ने महासभा के कार्यालय को गोडसे मंदिर घोषित करते हुए नियमित पूजा और हर मंगलवार को आरती करने का ऐलान किया था.
गोडसे की प्रतिमा स्थापित किए जाने के मामले ने राज्य में राजनीतिक रंग ले लिया है. मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने राजधानी भोपाल से लेकर ग्वालियर तक इसका विरोध किया. कई स्थानों पर प्रदर्शन भी किया. उसके बाद प्रशासन हरकत में आया और गुरुवार (16 नवंबर) को भारद्वाज को नोटिस जारी किया गया था. उल्लेखनीय है कि महात्मा गांधी की हत्या करने के मामले में नाथूराम गोडसे को 15 नवंबर 1949 को फांसी दी गई थी.