मध्य प्रदेश: चुनाव से पहले दिग्विजय की नर्मदा परिक्रमा से उठ रहीं सियासी लहरें
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मध्य प्रदेश: चुनाव से पहले दिग्विजय की नर्मदा परिक्रमा से उठ रहीं सियासी लहरें

राज्यसभा सदस्य और कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने जब 30 सितम्बर को निजी आध्यात्मिक यात्रा बताते हुए नर्मदा परिक्रमा की शुरूआत की थी. 

 सत्तारूढ़ भाजपा भी दिग्विजय की नर्मदा परिक्रमा पर बारीक नजर बनाये हुए है.(फाइल फोटो)

इंदौर: राज्यसभा सदस्य और कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने जब 30 सितम्बर को निजी आध्यात्मिक यात्रा बताते हुए नर्मदा परिक्रमा की शुरूआत की थी, तब शायद ही किसी को अंदाज रहा होगा कि यह यात्रा भाजपा शासित मध्यप्रदेश में राजनीतिक हलचल भी पैदा कर सकेगी. लेकिन यात्रा के महीने भर बाद इसमें शामिल होने के लिये प्रदेश के दिग्गज कांग्रेस नेताओं ने जैसी दिलचस्पी दिखाई है, उससे राज्य में सियासी लहरें साफ उठतीं नजर आ रही हैं. राजनीतिक विश्लेषक नर्मदा परिक्रमा को 70 वर्षीय पूर्व मुख्यमंत्री के सियासी वजूद की आजमाइश के साथ वर्चस्व की नयी जमीन की तलाश से जोड़कर देख रहे हैं.

  1.  यह यात्रा मध्यप्रदेश के 110 और गुजरात के 20 विधानसभा क्षेत्रों से होकर गुजरेगी
  2.  नर्मदा के संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए "नर्मदा सेवा यात्रा" निकाली थी
  3.  उमा भारती की अगुवाई में चलाये गये अभियान के बूते कांग्रेस सरकार को बेदखल किया था

मध्यप्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले शुरू की गयी यह यात्रा सूबे में अलग-अलग गुटों में बंटी कांग्रेस के भीतर मौजूदा समीकरणों को भी बदल सकती है. पहले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव और फिर दो पूर्व केंद्रीय मंत्रियों- ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ के शामिल होने के बाद यात्रा को लेकर आध्यात्मिक कम और राजनीतिक बातें ज्यादा हो रही हैं.

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इस बीच, सत्तारूढ़ भाजपा भी दिग्विजय की नर्मदा परिक्रमा पर बारीक नजर बनाये हुए है. पार्टी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय अपने कांग्रेसी समकक्ष पर तंज कसते हुए कह चुके हैं कि चूंकि यह उनके राजनीतिक जीवन का अंतिम समय है.  इसलिये वह अपने सारे पाप धोने के लिये धार्मिक यात्रा पर निकल गये हैं.

  वरिष्ठ कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया खंडवा जिले के मोरटक्का में 31 अक्तूबर को दिग्विजय की नर्मदा परिक्रमा में शामिल हुए, जबकि कमलनाथ तीन नवम्बर को खरगोन जिले के कसरावद क्षेत्र में इसका हिस्सा बने.  दोनों वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने नर्मदा परिक्रमा को दिग्विजय के "दृढ़ संकल्प की यात्रा" बताया. इस घटनाक्रम पर सियासी आलोचकों की पैनी निगाह रही, क्योंकि तीनों बड़े नेता सूबे में कांग्रेस के भीतर की गुटीय राजनीति में प्रतिस्पर्धी के तौर पर देखे जाते हैं.

नर्मदा के पथरीले और ऊबड़-खाबड़ तटों पर तेज धूप में दिग्विजय अपनी पत्नी अमृता राय के साथ अब तक 600 किमी से अधिक चल चुके हैं. अपनी सियासी मुखरता के लिये मशहूर दिग्विजय नर्मदा परिक्रमा के दौरान राजनीति को लेकर मीडिया के सवालों पर मौन व्रत धारण किये हुए हैं. खंडवा जिले के मोरटक्का में पड़ाव के दौरान इस यात्रा के सियासी मायनों के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस महासचिव ने "पीटीआई-भाषा" से कहा, "यह मेरे लिये निजी आध्यात्मिक यात्रा है. यह यात्रा कांग्रेस को एकजुट करने के लिये नहीं है. लेकिन आप इसका जो चाहें, वह मतलब निकाल सकते हैं. ’’यह पूछे जाने पर कि क्या प्रदेश के अगले विधानसभा चुनावों में नर्मदा नदी की कथित बदहाली बड़ा मुद्दा बनेगी, सिर पर गमछा लपेटे दिग्विजय शांत स्वर में जवाब देते हैं, "मैं इस बारे में नर्मदा परिक्रमा पूरी करने के बाद ही बात करूंगा.

इस बीच, दिग्विजय की नर्मदा परिक्रमा में शामिल होने से ठीक पहले कमलनाथ इंदौर में यह बयान देकर सियासी सरगर्मियां बढ़ा चुके हैं कि प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में शिवराज के खिलाफ कांग्रेस की ओर से इस पद के दावेदार की घोषणा जरूरी है और इस चुनावी चेहरे की "सही समय पर" घोषणा की जायेगी. 

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वह यह भी कह चुके हैं कि अगर सिंधिया को कांग्रेस का चुनावी चेहरा या प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष घोषित किया जाता है, तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी.  शिवराज के खिलाफ कांग्रेस की ओर से किसी चुनावी चेहरे की घोषणा की रणनीतिक जरूरत के बारे में पूछे जाने पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव निजी राय व्यक्त करने से बचते हैं. उन्होंने कहा, "प्रदेश में भाजपा की भ्रष्ट सरकार को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिये हम कांग्रेस के सभी वरिष्ठ नेताओं के मार्गदर्शन में काम रहे हैं.  जहां तक अगले चुनावों में कांग्रेस की ओर से चौहान के खिलाफ मुख्यमंत्री पद के दावेदार के नाम की घोषणा का सवाल है, यह फैसला कांग्रेस का दिल्ली स्थित आलाकमान करेगा. " सिंधिया ने भी कांग्रेस में एकता का दावा करते हुए कहा, "प्रदेश के सभी कांग्रेस नेता एक सूत्र में बंधे हैं.

हम चाहते हैं कि अगले चुनावों में सूबे में कांग्रेस की नहीं, बल्कि आम जनता की सरकार बने.  यह लड़ाई कांग्रेस और भाजपा की नहीं, बल्कि राज्य के भविष्य की है." बहरहाल, सिंधिया नर्मदा नदी की कथित बदहाली को लेकर प्रदेश की भाजपा सरकार पर निशाना साधने से नहीं चूके.  उन्होंने दिग्विजय की जारी नर्मदा परिक्रमा और प्रदेश सरकार की मई में सम्पन्न "नर्मदा सेवा यात्रा" की तुलना करते हुए कहा, "दिग्विजय की परिक्रमा में नर्मदा के प्रति सच्ची श्रद्धा नजर आती है, जबकि दूसरी तरफ विशुद्ध नौटंकी और सरकारी खजाने से करोड़ों रुपये का दुरुपयोग दिखायी पड़ता है. 

मुख्यमंत्री नर्मदा मैया की आराधना की बात तो करते हैं. लेकिन हकीकत यह है कि अवैध रूप से रेत निकालने के लिये इस नदी के किनारों को जगह-जगह खोद दिया गया है. " नर्मदा को मध्यप्रदेश की "जीवन रेखा" कहा जाता है.  लेकिन पिछले कुछ समय से यह नदी सूबे की सियासत के केंद्र में है.  कांग्रेस लगातार आरोप लगा रही है कि सत्तारूढ़ भाजपा के नेता नर्मदा के किनारों पर जारी अवैध खनन में शामिल हैं. 

प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अगुवाई में 11 दिसंबर 2016 से 15 मई 2017 तक नर्मदा के संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए "नर्मदा सेवा यात्रा" निकाली थी. पिछले डेढ़ दशक से कांग्रेस सूबे की सत्ता से बाहर है.  वर्ष 2003 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने उमा भारती की अगुवाई में चलाये गये आक्रामक प्रचार अभियान के बूते दिग्विजय नीत कांग्रेस सरकार को बेदखल किया था.दिग्विजय ने मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिले के बरमान घाट से 30 सितम्बर को अपनी करीब 3,300 किलोमीटर लम्बी और छह माह तक चलने वाली नर्मदा परिक्रमा की शुरूआत की थी. यह यात्रा मध्यप्रदेश के 110 और गुजरात के 20 विधानसभा क्षेत्रों से होकर गुजरेगी. 

 

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