एक्सक्लूसिव: CAA पर उकसाने का काम हो रहा है, जांच में सच्चाई बाहर आएगी: जावड़ेकर
सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने ज़ी न्यूज़ से एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा है कि नागरीकता कानून से 130 करोड़ भारतीयों को कोई तकलीफ नहीं होगी.
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नई दिल्ली: सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर (Prakash Javadekar) ने ज़ी न्यूज़ (ZEE NEWS) से एक्सक्लूसिव बातचीत में नागरिकता कानून (Citizenship Amendment Act) को स्पष्ट करते हुए कहा है कि ये समावेशन का कानून है, न कि किसी को बाहर करने का. धार्मिक रूप से प्रताड़ित लोगों को नागरिकता दी जा रही है लेकिन इससे 130 करोड़ भारतीयों को कोई तकलीफ नहीं होगी.
जावड़ेकर ने कहा हिंसा बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है और इसकी हम भर्त्सना करते हैं. लोगों को और छात्रों को मैं बताना चाहता हूं भारत के किसी भी नागरिक को इस बिल से कोई तकलीफ नहीं होगी. उनको कुछ भी नहीं होगा. यह विदेश से आने वालों को देश की नागरिकता देने का कानून है. विदेशी घुसपैठियों को दुनियाभर में कोई अनुमति नहीं देता. अवैध घुसपैठियों को कोई अनुमति नहीं देता. धार्मिक रूप से जो उत्पीड़ित हैं, उनको नागरिकता देने के लिए यह कानून है. यह मूल बात हमें समझनी होगी. 130 करोड़ नागरिकों में किसी को भी कोई तकलीफ नहीं होने वाली है, यह भी सबको समझना होगा. जावड़ेकर ने हिंसा करनेवालों से अपील करते हुए कहा कि लोकतंत्र में फैसले हिंसा द्वारा नहीं बल्कि बातचीत से होते हैं. यह बात समझने की जरूरत है. ऐसा कुछ नहीं हुआ जिसका भ्रम फैलाया जा रहा है.
ममता बनर्जी के जनमत संग्रह वाले बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "देश के लोकतंत्र पर, संसद पर, जिसको भरोसा नहीं, वही ऐसा कर सकता है. यह देश की जनता का अपमान है. 130 करोड़ जनता ने जिस सरकार को चुनी है, लोकतंत्र में संसद में जो बिल पास किया है, वही सर्वोच्च होता है. विदेशी कोई संस्था, हमारा कोई रेफरेंडम करेगी, हमारा ऐसा दिवालियापन नहीं हुआ है. उनके इस वक्तव्य कि हम भर्त्सना करते हैं. देश से उनको माफी मांगी चाहिए. देश की जनता के सूझ बुझ पर उन्होंने सवालिया निशान लगाया है."
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नागरिकता कानून का कांग्रेस द्वारा किये जा रहे विरोध पर सुचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, "राहुल गांधी से एक ही सवाल पूछता हूं कि आपकी सरकार ने 2004 में इसी नागरिकता बिल को क्यों फिर से चालू रखा कि पाकिस्तान से आने वाले हिंदुओं को नागरिकता दी जाएगी? बिल तो अटल जी के समय पास हुआ था और उसको 2004 और 2005 में जारी रखा एक्सटेंशन देकर मनमोहन सरकार ने. वे एक दिन एक भूमिका लेते हैं और दूसरे दिन उल्टी भूमिका लेते हैं. उसकी कोई क्रेडिबिलिटी नहीं होती. उसका कोई वजूद नहीं होता. उकसाने का काम नहीं. पहले भ्रमित करना छोड़ दें. ऐसे भ्रमित करके राजनीति नहीं होती."
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मनमोहन सिंह द्वारा नागरिकता का नेता विपक्ष के तौर पर समर्थन करने पर जावड़ेकर ने कहा, "मनमोहन सिंह 2003 में समर्थन किया यह बात नहीं है, बल्कि 2004 में, जब वे प्रधानमंत्री थे, तभी इस बिल को एक्सटेंशन दिया और इसी बिल को 2005 में भी एक्सटेंशन दिया. उस समय ममता से लेकर सभी लोग उनके साथ थे. यही आज अचानक वह बदल गए हैं? कैसी अवसरवादी राजनीति करते हैं, उसका यह उदाहरण है. हिंसा और उकसावे की बिल्कुल जांच होगी. सच्चाई बाहर आएगी लेकिन उसमें (प्रदर्शन और हिंसा में) उकसाने का काम हो रहा है."