यह फैसला कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा दी गयी दोपहर भोज बैठक में किया गया जिसमें 17 विपक्षी दलों के नेताओं ने भाग लिया.
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नई दिल्ली: आगामी राष्ट्रपति चुनाव से पहले अपना रुख स्पष्ट करते हुए कांग्रेस समेत विभिन्न विपक्षी दलों ने शुक्रवार (26 मई) को संयुक्त रूप से फैसला किया कि अगर राजग सरकार सभी को स्वीकार्य आम-सहमति वाला उम्मीदवार नहीं उतारती तो विपक्ष का उम्मीदवार उतारा जाएगा. यह फैसला कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा दी गयी दोपहर भोज बैठक में किया गया जिसमें 17 विपक्षी दलों के नेताओं ने भाग लिया. आज (शुक्रवार, 26 मई) ऐसे मौके पर यह बैठक हुई जब मोदी सरकार अपने तीन साल पूरे होने का जश्न मना रही है.
This hasn't happen so far, if acceptable consensual candidates don't emerge then we (opposition parties) shall decide: Ghulam Nabi Azad pic.twitter.com/AV2V9gjQiP
— ANI (@ANI_news) May 26, 2017
संयुक्त विपक्ष की बैठक में जदयू नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की गैरमौजूदगी ने अटकलों को हवा दी है. नीतीश शनिवार (27 मई) को मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ के स्वागत में यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिये जा रहे दोपहर भोज में शामिल हो सकते हैं. हालांकि जदयू नेता पवन वर्मा ने कहा कि शुक्रवार (26 मई) की बैठक में मुख्यमंत्री के मौजूद नहीं रहने के कोई मायने नहीं निकाले जाने चाहिए. राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल 25 जुलाई को समाप्त हो रहा है.
बैठक में सपा एवं बसपा जैसे कुछ पारंपरिक प्रतिद्वंद्वी दल भी शामिल हुए. इन दलों के नेताओं ने राजग सरकार की नीतियों की भी आलोचना की. इसमें विपक्षी दलों ने कश्मीर एवं सहारनपुर की चिंताजनक स्थिति को लेकर सरकार पर हमला किया और आरोप लगाया कि दलितों, महिलाओं, गरीबों एवं शोषित वर्गों सहित समाज के विभिन्न वर्ग इस सरकार में उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं.
सोनिया द्वारा संसद भवन पुस्तकालय में दिये गये दोपहर भोज में ममता, मायावती, लालू प्रसाद के साथ साथ वाम नेता सीताराम येचुरी, सुधाकर रेड्डी एवं डी राजा, जदयू नेता शरद यादव एवं केसी त्यागी ने भाग लिया. बैठक में बसपा की मायावती एवं सतीश चंद्र मिश्र, सपा के अखिलेश यादव एवं नरेश अग्रवाल, राकांपा के शरद पवार तथा द्रमुक की कनिमोई ने भाग लिया.
कुछ छोटे क्षेत्रीय दलों के अलावा नेशनल कांफ्रेंस के उमर अब्दुल्ला ने भी इस आयोजन में भाग लिया. इसमें झामुमो के हेमंत सोरेन एवं संजीव कुमार, आईयूएमएल के पी कुन्हालीकुट्टी, जेडीएस के सी एस पुत्ताराजू, एआईयूडीएफ के बदरूद्दीन अजमल एवं आरएसपी के एन के प्रेमचंदन भी मौजूद थे.
बैठक में सोनिया के साथ साथ कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, वरिष्ठ नेता अहमद पटेल, ए के एंटनी, गुलाम नबी आजाद और मल्लिकाजरुन खड़गे भी मौजूद थे. बैठक के बाद आजाद एवं शरद यादव ने एक संयुक्त बयान पढ़कर कहा कि राष्ट्रपति चुनाव के मद्देनजर यह परंपरा रही है कि सत्तारूढ़ दल इस महत्वपूर्ण पद के लिए आम-सहमति तैयार करने की पहल करता है.
बयान में कहा गया, ‘अभी तक ऐसा नहीं हुआ है. यदि स्वीकार्य आम-सहमति वाला उम्मीदवार उभर कर नहीं आता है तो हम (विपक्षी दल) ऐसे व्यक्ति को उतारने का निर्णय करेंगे जो हमारे गणतंत्र के संवैधानिक मूल्यों की मजबूती से रक्षा करेगा.’ यादव ने कहा कि विपक्ष भाजपा से अपील करता है कि वह आगे आये तथा राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति के पदों के लिए परंपरा के अनुसार आम सहमति वाले उम्मीदवार का नाम तय करे. किन्तु सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के बीच आम सहमति की संभावना क्षीण नजर आ रही है.
उन्होंने कहा, ‘हम चाहते हैं कि ऐसे व्यक्ति इन पदों पर बैठें जो संविधान की रक्षा कर सकें.’ मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस राष्ट्रपति चुनाव से पहले गैर राजग दलों के बीच व्यापक एकता कायम करने का प्रयास कर रही है जिसे गुजरात, हिमाचल प्रदेश एवं कर्नाटक जैसे राज्यों के आगामी विधानसभा चुनाव एवं 2019 के लोकसभा चुनाव तक आगे बढ़ाया जा सके.
ममता बनर्जी ने अलग से कहा कि सहमति वाले उम्मीदवार का नाम नहीं आता तो राष्ट्रपति पद के उपयुक्त प्रत्याशी, जो अच्छा और धर्मनिरपेक्ष हो, के चयन के लिए विपक्ष के नेताओं की एक लघु समिति बनाई जाएगी. लालू ने कहा कि राजग सभी मोर्चों पर विफल रहा है.