पर्वतारोहियों के सेवा और समर्पण की राष्ट्रपति ने की तारीफ
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पर्वतारोहियों के सेवा और समर्पण की राष्ट्रपति ने की तारीफ

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि करगिल युद्ध के दौरान बहुत से पर्वतारोहियों ने बड़े समर्पण के साथ सेवा की और पूरे साहस एवं धैर्य के साथ देश के इस सबसे ऊंचे सीमा मोर्चे की हिफाजत करते रहे।

नई दिल्ली : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि करगिल युद्ध के दौरान बहुत से पर्वतारोहियों ने बड़े समर्पण के साथ सेवा की और पूरे साहस एवं धैर्य के साथ देश के इस सबसे ऊंचे सीमा मोर्चे की हिफाजत करते रहे।

साल 1965 में माउंट एवरेस्ट पर भारत की पहली ऐतिहासिक चढ़ाई के स्वर्ण जयंती समारोह को संबोधित करते हुए मुखर्जी ने उम्मीद जताई कि भारतीय पर्वतारोही उन लोगों की जिंदगियों को फिर से संवारने में मदद करेंगे जो नेपाल में आए विनाशकारी भूकंप से प्रभावित हुए हैं।

उन्होंने कहा, ‘समय के साथ पर्वतारोहियों ने न सिर्फ चोटियों की ऊंचाई नापकर विशिष्टता हासिल की, बल्कि साहसी सशस्त्र बलों के बहादुर सैनिकों के तौर पर खुद को स्थापित किया। इन साहसी सशस्त्र बलों में भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) शामिल है।’

राष्ट्रपति ने कहा, ‘कई सारे पर्वतारोहियों ने करगिल संघर्ष के दौरान पूरी विशिष्टता के साथ अपनी सेवाएं दीं और पूरे साहस और धर्य के साथ हमारे सबसे उंचे सीमा मोचरें की रक्षा करते रहे।’ भारत और पाकिस्तान के बीच मई 1999 में लद्दाख के करगिल इलाके में सैन्य संघर्ष हुआ था। पाकिस्तान की नॉर्दन लाइट इनफैंटरी समर्थित आतंकवादियों ने इस क्षेत्र की पर्वतीय चोटियों पर कब्जा कर लिया था।

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