7 लोगों को जिंदा जला देने वाले शख्स को मिलेगी फांसी, राष्ट्रपति ने दया याचिका की खारिज
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7 लोगों को जिंदा जला देने वाले शख्स को मिलेगी फांसी, राष्ट्रपति ने दया याचिका की खारिज

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने एक ही परिवार के सात लोगों को जिंदा जला कर मारने के मामले में मौत की सजा का सामना कर रहे व्यक्ति की दया याचिका खारिज कर दी है.

दोषी के खिलाफ सभी अदालतों ने बरकरार रखी थी मौत की सजा (प्रतीकात्मक तस्वीर)

नई दिल्ली: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने एक ही परिवार के सात लोगों को जिंदा जला कर मारने के मामले में मौत की सजा का सामना कर रहे व्यक्ति की दया याचिका खारिज कर दी है. राष्ट्रपति पद संभालने के बाद राष्ट्रपति के पास यह पहली दया याचिका दायर की गई थी. बिहार के वैशाली जिले के राघोपुर प्रखंड में घटी यह दिल दहला देने वाली घटना 2006 की है जिसमें जगत राय नामक व्यक्ति ने भैंस चोरी होने के मामले में विजेंद्र महतो और उसके परिवार के छह सदस्यों को जिंदा जला दिया था.

  1. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने खारिज की दया याचिका
  2. सात लोगों की हत्या करने वाले दोषी को मिलेगी फांसी
  3. चोरी का मामला वापस नहीं लेने पर की थी नृशंस हत्या

मामला वापस नहीं लिया तो जिंदा जला दिया
महतो ने सितंबर 2005 में भैंस चोरी होने का एक मामला दर्ज कराया था जिसमें जगत राय के अलावा वजीर राय और अजय राय को आरोपी बनाया था. ये आरोपी (जो अब दोषी हैं) महतो पर मामला वापस लेने का दबाव बना रहे थे. जगत ने बाद में महतो के घर में आग लगा दी जिसमें महतो की पत्नी और पांच बच्चों की मौत हो गई थी. आग में बुरी तरह झुलसे विजेंद्र महतो की भी कुछ महीने बाद मौत हो गई थी.

भारत में 27% कम हुई मौत की सजा- नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी रिपोर्ट

सभी अदालतों ने बरकरार रखी मौत की सजा
जगत राय को इस मामले में दोषी पाया गया और स्थानीय अदालत ने उसे फांसी की सजा सुनाई. बाद में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी निचली अदालत की सजा बरकरार रखी. अजय राय की सजा को लेकर दया याचिका राष्ट्रपति सचिवालय भेजी गई. कार्यालय ने इस संबंध में गृह मंत्रालय के विचार मांगे, जिसने पिछले साल 12 जुलाई को अपनी अनुशंसाएं भेजीं.

जानिए क्या है फांसी की सजा देने के प्रावधान और अपील की प्रक्रिया

राष्ट्रपति भवन की एक विज्ञप्ति के अनुसार, “राष्ट्रपति ने महतो की दया याचिका 23 अप्रैल 2018 को खारिज कर दी”. पिछले साल जुलाई में राष्ट्रपति बनने के बाद यह पहला मौका है जब कोविंद ने किसी दया याचिका पर फैसला किया. राष्ट्रपति सचिवालय में कोई भी अन्य दया याचिका अब लंबित नहीं है.

(इनपुट एजेंसी से)

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