राष्ट्रपति चुनाव के लिए 17 जुलाई को होगी वोटिंग, 20 जुलाई को मतगणना
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राष्ट्रपति चुनाव के लिए 17 जुलाई को होगी वोटिंग, 20 जुलाई को मतगणना

राष्ट्रपति चुनाव के लिए 17 जुलाई को होगी वोटिंग, 20 जुलाई को मतगणना (फोटोः एएनआई)

नई दिल्लीः चुनाव आयोग ने बुधवार (7 जून) को राष्ट्रपति पद के लिये निर्वाचन कार्यक्रम घोषित करते हुये कहा कि आगामी 20 जुलाई तक इस पद के लिये निर्वाचन प्रक्रिया पूरी कर ली जायेगी. मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी ने बुधवार को संवाददाता सम्मेलन में बताया कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल इस वर्ष 24 जुलाई को खत्म होने से पहले 20 जुलाई तक इस पद के लिये समस्त निर्वाचन प्रक्रिया पूरी कर ली जायेगी. चुनाव आयुक्त एके ज्योति और ओपी रावत की मौजूदगी में जैदी ने बताया कि राष्ट्रपति पद के निर्वाचन की अधिसूचना आगामी 14 जून को जारी की जायेगी.

उन्होंने बताया कि संविधान के अनुच्छेद 324 और राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति निर्वाचन अधिनियम 1952 के तहत निर्धारित प्रक्रिया के अंतर्गत चुनाव आयोग द्वारा राष्ट्रपति के निर्वाचन की अधिसूचना जारी करने के साथ ही निर्वाचन प्रक्रिया की औपचारिक शुरुआत हो जायेगी. निर्वाचन कार्यक्रम के तहत राष्ट्रपति पद के लिये उम्मीदवारों द्वारा नामांकन पत्र दाखिल करने की अंतिम तिथि 28 जून निर्धारित की गयी है. नामांकन करने वाले व्यक्ति को बतौर उम्मीदवार 15 हजार रुपये जमानत राशि के रूप में जमा कराने होंगे.

नामांकन पत्रों की जांच 29 जून तक पूरी कर ली जायेगी. वहीं नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि एक जुलाई नियत की गयी है. इसके बाद जरूरत पड़ने पर 17 जुलाई को मतदान होगा और 20 जुलाई को मतगणना की जायेगी. जैदी ने स्पष्ट किया राष्ट्रपति चुनाव में राजनीतिक दल अपने सांसद और विधायकों को किसी खास उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करने को बाध्य करने के लिये व्हिप जारी नहीं कर पायेंगे.

जैदी ने निर्वाचन नियमों के हवाले से बताया कि संविधान के अनुच्छेद 55 के तहत राष्ट्रपति पद का चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति से एकल संक्रमणीय मत द्वारा किया जायेगा. इस चुनाव के लिये प्रत्येक उम्मीदवार को 50 प्रस्तावकों और 50 अनुमोदकों के हस्ताक्षर युक्त नामांकन पत्र जमा करने होंगे. उन्होंने स्पष्ट किया कि कोई भी प्रस्तावक या अनुमोदक किसी एक उम्मीदवार के नामांकन पत्र पर ही हस्ताक्षर कर सकेगा. एक से अधिक नामांकन पत्र पर हस्ताक्षर होने की स्थिति में हस्ताक्षर करने की तिथि और समय के मुताबिक पहले किये गये हस्ताक्षर को मान्यता दी जायेगी, शेष अन्य हस्ताक्षरों को अमान्य कर दिया जायेगा.

इसके अलावा आयोग ने मतपत्र से होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में मतदान के लिये पहली बार विशेष पेन मतदाताओं को मुहैया कराने का इंतजाम किया है. जैदी ने बताया कि मतपत्रों में किसी भी तरह की गड़बड़ी को रोकने के लिये मतदाता सिर्फ आयोग द्वारा मुहैया कराये गये पेन से ही मतपत्र पर अपने मतदान की जानकारी भरेंगे. खास किस्म की स्याही वाला यह पेन मतदान केन्द्र पर ही मतदाताओं को मुहैया कराया जायेगा. उन्होंने बताया कि किसी अन्य पेन से भरा गया मतपत्र अमान्य घोषित कर दिया जायेगा.

राष्ट्रपति पद के लिये दिल्ली स्थित संसद भवन और राज्यों की विधानसभाओं में मतदान के लिये मतदान केन्द्र बनाये जायेंगे. राष्ट्रपति चुनाव के लिये योग्य मतदाता के रूप में संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य संसद भवन स्थित मतदान केन्द्र में और दिल्ली एवं पुडुचेरी सहित सभी राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य संबद्ध राज्य की विधानसभा में स्थित मतदान केन्द्र पर मतदान करेंगे. लेकिन जरूरत पड़ने पर संसद सदस्य किसी राज्य की विधानसभा में या विधानसभा सदस्य दिल्ली स्थित संसद भवन में भी मतदान कर सकेंगे बशर्ते उन्हें चुनाव आयोग को मतदान की तारीख से कम से कम दस दिन पहले इस बाबत आवेदन करना होगा.

जैदी ने बताया कि निर्वाचक मंडल में राज्यसभा की खाली हुयी रिक्तियों से कोई असर नहीं पड़ेगा. उन्होंने स्पष्ट किया कि राज्यसभा की खाली हुयी 13 सीटों के लिये चुनाव स्थगित कर दिया गया है इसलिये इन सीटों के मौजूदा सांसद ही राष्ट्रपति चुनाव में निर्वाचक मंडल के सदस्य के रूप में मतदान कर सकेंगे. जैदी ने आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों के मताधिकार पर भी स्पष्ट किया कि इनके मामले अभी विचाराधीन हैं. इसलिये वर्तमान स्थिति में ये विधायक भी मताधिकार के योग्य हैं. उन्होंने कहा कि यदि मतदान के दिन तक इस मामले में कोई फैसला नहीं आता है तो मौजूदा स्थिति बरकरार रहेगी.

कैसे होता है भारत के राष्ट्रपति का चुनाव ?

राष्ट्रपति का चुनाव लोकसभा सांसद, राज्य सभा सांसद और देश की तमाम 31 विधानसभाओं का इलेक्टोरल कॉलेज मिलकर करता है. संसद के दोनों सदनों में वोट देने वाले 776 सांसद हैं और 4,114 विधायक. राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति निर्वाचन नियम 1974 के मुताबिक सांसद और विधायक के वोट की कीमत खास फॉर्मूले के तहत आंकी जाती है. इन फॉर्मूलों के मुताबिक हर सांसद के वोट की कीमत 708 है तो विधायक के वोट की कीमत उसके राज्य की जनसंख्या और विधानसभा की तादाद के मुताबिक बदलती है.

उदाहरणः उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में एक विधायक वोट की कीमत 208 है तो सिक्किम जैसे राज्य मे ये महज 7 रह जाती है. इस गणित के हिसाब से अपनी मर्जी का राष्ट्रपति उम्मीदवार चुनने के लिए किसी भी गुट को वोट की कुल कीमत के आधे यानी 5,49,441वोट चाहिए.

भारत में जनता क्यों नहीं चुन सकती है राष्ट्रपति

साल 1848 में, लुई नेपोलियन को लोगों के सीधी मत से राज्य के प्रमुख के रूप में चुना गया था, लुई नेपोलियन ने फ्रेंच गणराज्य को उखाड़ फेंका और दावा किया कि उनको जनता ने सीधा चुना है, तो वो ही फ्रांस के राजा है. इस घटना को ध्यान में रखते हुए, भारत के राष्ट्रपति अप्रत्यक्ष रूप से चुने जाते हैं.

इलेक्टोरल कॉलेज से होता है राष्ट्रपति का मतदान

भारत के राष्ट्रपति निर्वाचन कॉलेज द्वारा चुने जाते हैं. संविधान के आर्टिकल 54 में इसका उल्लेख है. इसमें संसद के दोनों सदनों तथा राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं. दो केंद्रशासित प्रदेशों, दिल्ली और पुद्दुचेरी, के विधायक भी चुनाव में हिस्सा लेते हैं जिनकी अपनी विधानसभाएं हैं.

चुनाव जिस विधि से होता है उसका नाम है– आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के आधार पर एकल हस्तांतरणीय मत द्वारा. सभी सांसदों और विधायकों के पास निश्चित संख्या में मत हैं, हालांकि, हर निर्वाचित विधायक और सांसद के वोटों के मूल्य की लंबी गणना होती हैं.

विधायकों के वोट की ताकत

राज्यों के विधायकों के मत की गणना के लिए उस राज्य की जनसंख्या देखी जाती है. साथ ही उस राज्य के विधानसभा सदस्यों की संख्या को भी देखा जाता है. वोट का अनुपात निकालने के लिए राज्य की कुल आबादी से चुने गए विधायकों की संख्या से विभाजित किया जाता है. इसके बाद जो अंक निकलता है, उसे फिर 1000 से भाग दिया जाता है. फिर जो अंक प्राप्त होता है, उसी से राज्य के एक विधायक के वोट का अनुपात निकलता है.

सांसद के वोट की ताकत

सांसदों के मतों के मूल्य करने का तरीका थोड़ा अलग है. सबसे पहले पूरे देश के सभी विधायकों के वोटों का मूल्य जोड़ा जाता है. जो लोकसभा और राज्यसभा में चुने हुए सांसदों की कुल संख्या से भाग दिया जाता है. फिर जो अंक प्राप्त होता है, उसी से राज्य के एक सांसद के वोट का मूल्य निकलता है. अगर इस तरह भाग देने पर शेष 0.5 से ज्यादा बचता हो तो वेटेज में एक का इजाफा हो जाता है.

वोटों की गिनती

राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार की जीत सिर्फ सबसे ज्यादा वोट हासिल करने से नहीं होती, साथ ही उसे सांसदों और विधायकों के वोटों के कुल मूल्य का आधा से ज्यादा हिस्सा हासिल भी करना पड़ता है. आसान शब्दों में चुनाव से पहले तय हो जाता है कि जीतने के उम्मीदवार को कितना वोट या वेटेज हासिल करना होगा. उदाहरण के लिए, यदि 10,000 वैध वोट हैं, तो उम्मीदवार को (10,000 / 2) +1 की आवश्यकता होगी, जो कि 5001 मतों के बराबर है.

क्या कहता है अंक गणित?

राष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा के कुल 776 सांसदों के अलावा विधानसभाओं के 4120 विधायक वोट डालेंगे. यानी कुल 4896 लोग मिलकर नया राष्ट्रपति चुनेंगे. राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया के मुताबिक इन वोटों की कुल कीमत 10.98 लाख है.

क्या है राष्ट्रपति चुनाव में सरकार की स्थिति

बीजेपी को अपनी पसंद का राष्ट्रपति बनवाने के लिए 5.49 लाख कीमत के बराबर वोटों की दरकार है. एनडीए (23 पार्टियों के सांसद और राज्यों की विधान सभाओं/विधान परिषदों के सदस्य मिलाकर) के पास राष्ट्रपति चुनाव से संबंधित इलेक्टोरल कॉलेज में तकरीबन 48.64 फीसदी वोट हैं. बीजेपी 5 लाख 32 हजार 19 मगर इनमें से करीब 20 हजार कीमत के वोट एनडीए की सहयोगी पार्टियों के हैं. योगी आदित्यनाथ, केशव प्रसाद मौर्य और पर्रिकर के इस्तीफे रुकवाकर बीजेपी ने 2100 वोटों की कमी पूरी कर ली है. देश के 29 राज्यों में से भाजपा 12 पर काबिज है. भाजपा को मिलाकर एनडीए 15 राज्यों पर काबिज है.

विपक्ष की स्थिति

विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस समेत वामपंथी दल समेत तृणमूल जैसी पार्टी हैं. विपरीत राज्य या केंद्र में राजनीतिक समीकरणों के आधार पर कांग्रेस की अगुआई वाले विपक्ष के साथ जा सकने वाली 23 पार्टियों का वोट प्रतिशत 35.47 फीसदी के लगभग है. विपक्षी दलों के पास 3,91,000 अनुमानित मत है.

अस्थिर वोट और छोटे दल

इन 6 दलों आम आदमी पार्टी, बीजू जनता दल, भारतीय राष्ट्रीय लोकदल, वाईएसआर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और एआईएडीएम ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं. इन 6 दलों का वोट प्रतिशत भी 13 के ही आसपास है. आकडों में 1,70,000 अनुमानित वोट है.

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