दादरी हत्याकांड पर राष्ट्रपति ने जताई चिंता, बोले-सहिष्णुता और बहुलता के संस्कारों को यूं ही नहीं गंवा सकते
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दादरी हत्याकांड पर राष्ट्रपति ने जताई चिंता, बोले-सहिष्णुता और बहुलता के संस्कारों को यूं ही नहीं गंवा सकते

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गोमांस खाने की अफवाह के बाद दादरी की घटना की पृष्ठभूमि में आज अपनी टिप्पणी में कहा कि भारतीय नागरिक समाज की विविधता, सहिष्णुता और बहुलता के बुनियादी मूल्यों को हमें निश्चित तौर पर अपने दिमाग में बनाए रखना चाहिए और इसे कभी यूं ही गंवाने नहीं देना चाहिए।

दादरी हत्याकांड पर राष्ट्रपति ने जताई चिंता, बोले-सहिष्णुता और बहुलता के संस्कारों को यूं ही नहीं गंवा सकते

नई दिल्ली : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गोमांस खाने की अफवाह के बाद दादरी की घटना की पृष्ठभूमि में आज अपनी टिप्पणी में कहा कि भारतीय नागरिक समाज की विविधता, सहिष्णुता और बहुलता के बुनियादी मूल्यों को हमें निश्चित तौर पर अपने दिमाग में बनाए रखना चाहिए और इसे कभी यूं ही गंवाने नहीं देना चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा, ‘मेरा यह दृढ़ विश्वास है कि हम अपने नागरिक समाज के बुनियादी मूल्यों को यूं ही नहीं गंवाया जा सकता और ये बुनियादी मूल्य वही हैं जिन्हें वर्षों से हमारे नागरिक समाज ने विविधता के रूप में बुलंद रखा और सहिष्णुता, सहनशीलता और बहुलतावाद को बढ़ाया तथा उसकी वकालत की।’ 

उन्होंने कहा, ‘इन्हीं बुनियादी मूल्यों ने हमें सदियों तक एकसाथ बांधे रखा। कई प्राचीन सभ्यताएं खत्म हो गईं। लेकिन यह सही है कि एक के बाद एक आक्रामण, लंबे विदेशी शासन के बावजूद भारतीय सभ्यता अगर बची तो अपने बुनियादी नागरिक मूल्यों के कारण ही बची। हमें निश्चित तौर पर इसे ध्यान में रखना चाहिए। अगर इन बुनियादी मूल्यों को हम अपने मन-मस्तिष्क में बनाए रखा तो हमारे लोकतंत्र को आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता।’ 

राष्ट्रपति की यह टिप्पणी उत्तर प्रदेश के दादरी में गोमांस खाने की अफवाह पर 50 साल के एक व्यक्ति की पीट-पीट कर की गई हत्या की पृष्ठभूमि में आई है। इसके कारण देशभर में आक्रोश फैल गया है।

राष्ट्रपति को यहां राष्ट्रपति भवन में एक कार्यक्रम के दौरान उनके ऊपर लिखी एक ‘कॉफी टेबल बुक’ सौंपी गई, जिसे ‘न्यू इंडियन एक्सप्रेस’ के संपादकीय निदेशक प्रभु चावला ने लिखी है और विमोचन उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने किया था। इस कार्यक्रम में गृहमंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला और कई सांसद मौजूद थे।

करीब 15 मिनट के अपने संक्षिप्त भाषण में मुखर्जी ने कहा कि एक नेता के होने के नाते वह ऐसे अवसर पर बोलने से हिचकिचा रहे हैं जब उनके उपर लिखी किताब उन्हें सौंपी जा रही है। उन्होंने कहा कि देश ने कई क्षेत्रों में जबर्दस्त प्रगति की है और इसमें और अधिक किए जाने की कोई सीमा भी नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘कोई सीमा नहीं है। हमें और अधिक करना होगा।’ उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति कार्यालय में काम का कोई अंत नहीं है जिसे पूरी तरह से संवैधानिक माना जाता है। उन्होंने याद किया कि किस तरह से उनके दोस्त उन्हें मजाक में कहते थे कि इस पद पर वह कुछ नहीं कर पाएंगे।

उन्होंने कहा, ‘मैं अपनी राह चल रहा हूं और देश को महत्वपूर्ण बनाने में अपना योगदान दे रहा हूं.. यहां तीन साल बिताने के बाद मैं मानता हूं कि अभी और कुछ भी किया जाना है। राष्ट्रपति कार्यालय में काम का अंत नहीं है जिसे पूरी तरह से संवैधानिक माना जाता है।’ (एजेंसी इनपुट के साथ)

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