Priyanka Gandhi Ka Bhashan: प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपने संबोधन की शुरुआत में कहा कि संविधान ही हमारी आवाज है. संविधान ने हमें चर्चा का हक दिया है. संविधान ने आम आदमी को सरकार बदलने की भी ताकत दी है. वाद-विवाद संवाद की पुरानी परंपरा है.
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Parliament Winter Session: तारीख 13 दिसंबर. दिन शुक्रवार. संसद का शीतकालीन सत्र. लोकतंत्र के मंदिर पर हमले के 23 साल पूरे होने के अलावा वायनाड से चुनी गईं प्रियंका गांधी का आज लोकसभा में पहला संबोधन था, जिसमें उन्होंने बीजेपी और मोदी सरकार पर जमकर हमला बोलते हुए कई मुद्दों पर अपनी बात रखी.
प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपने संबोधन की शुरुआत में कहा कि संविधान ही हमारी आवाज है. संविधान ने हमें चर्चा का हक दिया है. संविधान ने आम आदमी को सरकार बदलने की भी ताकत दी है. वाद-विवाद संवाद की पुरानी परंपरा है. संविधान सिर्फ एक दस्तावेज नहीं, बल्कि इंसाफ और उम्मीद की ज्योति भी है. हमारा संविधान न्याय की गारंटी देता है. संविधान हमारा कवच है. पिछले 10 सालों में इस सुरक्षा कवच को तोड़ने का प्रयास किया गया है, जिसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता है.
'आजादी की लड़ाई लोकतांत्रिक थी'
प्रियंका गांधी ने कहा, 'हमारा स्वतंत्रता संग्राम अपने आप में अनूठा था. आजादी की लड़ाई भी लोकतांत्रिक थी, जिसमें समाज के हर वर्ग ने हिस्सा लिया था. इस लड़ाई ने देश को एक आवाज दी. यह आवाज हमारे साहस की आवाज थी. इसी की गूंज ने हमारे संविधान को लिखने में अहम भूमिका निभाई.'
'संविधान बस दस्तावेज नहीं है'
वायनाड सांसद ने कहा, 'हम सभी लोगों को यह बात समझनी होगी कि संविधान सिर्फ एक दस्तावेज नहीं है. बाबा अंबेडकर, मौलाना आजाद, जवाहरलाल नेहरू और तमाम नेताओं ने संविधान को बनाने में तमाम साल लगा दिए. हमारा संविधान ने हर भारतीय को एक नई पहचान दी है. हमारी आजादी के लिए लड़ाई ने हमारे अधिकारों के लिए आवाज उठाने की क्षमता दी. जब आवाज उठेगी तो सत्ता को उसके सामने झुकना पड़ेगा. संविधान ने हर किसी को अधिकार दिया कि वो सरकार बना भी सकता है और बदल भी सकता है.
'कोई भी वादा पूरा नहीं किया'
प्रियंका ने अपने संबोधन में विभिन्न मुद्दों को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, 'मेरे सत्तापक्ष के लोग जो बड़े-बड़े दावे और वादे करते हैं. लेकिन, आज तक इन लोगों ने अपना कोई भी वादा पूरा नहीं किया है. संविधान में आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक न्याय का वादा है, ये वादा सुरक्षा कवच है, जिसको तोड़ने का काम शुरू हो चुका है. लेटरल एंट्री और निजीकरण के जरिए सरकार आरक्षण को कमजोर करने का काम कर रही है. अगर यह लोग लोकसभा चुनाव में अपेक्षित नतीजे प्राप्त करने में सफल रहते, तो संविधान बदलने का भी काम शुरू कर देते. इस चुनाव में इनको पता चल गया कि देश की जनता ही इस संविधान को सुरक्षित रखेगी. इस चुनाव में हारते-हारते जीतते हुए एहसास हुआ कि संविधान बदलने की बात इस देश में नहीं चलेगी.'
प्रियंका गांधी ने अपने संबोधन में जातिगत जनगणना पर जोर दिया. उन्होंने कहा, 'जातिगत जनगणना बहुत जरूरी है, ताकि इस बात का पता चल सके कि किस जाति की मौजूदा स्थिति कैसी है. जब चुनाव में पूरे विपक्ष ने जोरदार आवाज उठाई कि जातिगत जनगणना होनी चाहिए तो इनका जवाब था- भैंस चुरा लेंगे, मंगलसूत्र चुरा लेंगे. ये गंभीरता है इनकी.'
राजा की सुनाई कहानी
प्रियंका ने एक कहानी के बहाने पीएम मोदी पर बिना नाम लिए निशाना साधा. उन्होंने कहा, पहले एक कहानी होती थी. राजा भेष बदलकर लोगों के बीच आलोचना सुनने जाता था. आज के राजा को भी भेष बदलने का बहुत शौक है. लेकिन उनमें न जनता के बीच जाने की हिम्मत है और न आलोचना सुनने की.
BJP को बताया वॉशिंग मशीन
बीजेपी पर हमला जारी रखते हुए प्रियंका ने कहा, 'पूरे देश की जनता जानती है कि BJP के पास 'वॉशिंग मशीन' है. जो विपक्ष से सत्ता की ओर जाता है, उसके दाग धुल जाते हैं. मुझे यहां मेरे कई पुराने साथी सत्ता पक्ष की तरफ दिख रहे हैं, जो शायद अब वॉशिंग मशीन में धुल गए हैं.'
प्रियंका ने आगे कहा, 'हमारे संविधान ने आर्थिक न्याय की नींव डाली. किसानों, गरीबों को जमीन बांटी. पहले जब संसद चलती थी, तो बेरोजगारी और महंगाई पर चर्चा होती थी. लोगों को उम्मीदें होती थी कि संसद में हमारे मुद्दे को लेकर विस्तारपूर्वक चर्चा होगी. लेकिन, आज ऐसा बिल्कुल भी देखने को नहीं मिल रहा है. उस वक्त आदिवासियों को इस बात का भरोसा था कि अगर उनकी जमीन से संबंधित दस्तावेजों में किसी भी तरह का संशोधन होगा, तो वो उनकी भलाई के लिए होगा, मगर आज देखने को नहीं मिल रहा है.'