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नई दिल्ली: प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश के चुनाव (UP Assembly Election 2022) के लिए कांग्रेस पार्टी (Congress) के 125 प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर दी. इस सूची में 50 टिकट केवल महिलाओं को ही दिए गए हैं.
जो सूची जारी की गई, उनमें भी ऐसी महिलाओं को प्राथमिकता दी गई है, जिनके आधार पर प्रियंका गांधी बीजेपी को घेरना चाहती हैं. जैसे, उन्नाव रेप कांड में पीड़ित की मां, आशा सिंह को उसी क्षेत्र से टिकट दिया गया है, जहां से 2017 में आरोपी कुलदीप सेंगर विधायक चुने गए थे. जो अब इस रेप और हत्या के मामले में जेल में बन्द है.
#DNA: प्रियंका गांधी ने क्या ग़लती कर दी?@sudhirChaudhary pic.twitter.com/6n2rNy57JD
— Zee News (@ZeeNews) January 13, 2022
आशा कार्यकर्ता पूनम पांडेय को भी टिकट मिला है, जिन्होंने वर्ष 2020 में शाहजहांपुर की रैली में योगी आदित्यनाथ का विरोध किया था. साथ ही नागरिकता कानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने वाली सदफ जफर को भी कांग्रेस ने टिकट दिया है. उन पर लखनऊ में हिंसा फैलाने और लोगों को पुलिस पर पत्थरबाज़ी के लिए उकसाने के आरोप लग चुके हैं.
इससे आप कांग्रेस (Congress) के असली चरित्र को समझ सकते हैं. जो कांग्रेस इस बार का यूपी का चुनाव लड़कियों के नाम पर लड़ रही है, वो पिछला चुनाव लड़कों के नाम पर लड़ चुकी है. ये लड़के थे राहुल गांधी और अखिलेश यादव. उस समय यूपी के लोगों ने यूपी के इन लड़कों को 403 सीटों में से 15 प्रतिशत सीटें भी नहीं दी थी. जबकि बीजेपी ने 312 सीटें जीत कर प्रचंड बहुमत से सरकार बनाई थी.
हमारे देश में महिला सशक्तिकरण के नाम पर इस तरह की राजनीति कोई नई नहीं है. महिलाओं को चुनाव में पार्टियों द्वारा टिकट तो दिए जाते हैं, लेकिन ये भी सच है कि ये टिकट उन्हीं महिलाओं को मिलता है, जिनके परिवार के सदस्य सक्रिय राजनीति में होते हैं.
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उदाहरण के लिए, कांग्रेस ने आज उत्तर प्रदेश की फर्रुखाबाद सीट से सलमान खुर्शीद की पत्नी को टिकट दिया है. इसके अलावा आराधना मोना मिश्रा को टिकट मिला है, जो कांग्रेस के पूर्व राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी की बेटी हैं. पूर्व सांसद बृजलाल खाबरी की पत्नी और पीएल पुनिया के बेटे तनुज पुनिया को भी कांग्रेस (Congress) ने टिकट दिया है.
प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi Vadra) के सामने इस बार एक बड़ी चुनौती ये भी है कि उनके पास चुनाव लड़ने के लिए सेना ही नहीं है. कांग्रेस पार्टी का संगठन जमीनी स्तर पर काफ़ी कमज़ोर है.