मुंबई: महाराष्ट्र के पुणे जिले में भीमा कोरेगांव युद्ध की 200वीं सालगिराह के दौरान हुई हिंसा के आरोप गुजरात के विधायक और दलित नेता जिग्नेश मेवानी और जेएनयू के छात्र उमर खालिद पर लगे हैं. न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक मंगलवार देर शाम अक्षय बिक्कड और आनंद डॉन्ड नाम के दो युवकों ने पुणे के डेक्कन पुलिस स्टेशन में जिग्नेश मेवानी और उमर खालिद के खिलाफ लिखित में शिकायत देकर मुकदमा दर्ज करने की मांग की है. शिकायत पत्र में आरोप लगाया गया है कि जिग्नेश मेवानी और उमर खालिद ने कार्यक्रम के दौरान भड़काऊ भाषण दिया था, जिसके बाद यह हिंसा फैली है. 


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आरोप है कि जिग्नेश मेवानी ने अपने भाषण के दौरान एक खास वर्ग के लोगों को सड़क पर उतरने के लिए उकसाया था. उमर खालिद ने भी अपने भाषण में जाति विशेष के लोगों को उकसाने वाली बातें कही थी. इन दोनों लोगों के भाषण के बाद एक खास वर्ग के लोग विरोध करने के इरादे से सड़क पर निकलने लगे, जो बाद में हिंसक रूप ले लिया. आरोप है कि विधायक जिग्नेश मेवानी 14 अप्रैल को नागपुर में जाकर आरएसएस मुक्त भारत अभियान की शुरुआत करने की भी बात कही थी. इस भाषण के दौरान प्रकाश आंबेडकर, पूर्व न्यायाधीश बी.जी. कोलसे पाटिल, लेखिका और कवि उल्क महाजन आदि लोग मौजूद रहे.



महाराष्ट्र के पुणे जिले में भीमा-कोरेगांव हिंसा में MSRTC की 160 बसें छतिग्रस्त हुई हैं. तस्वीर साभार: PTI

जातीय हिंसा की आग मुंबई पहुंची
दलित प्रदर्शनकारियों ने मुंबई में कई बसों को क्षतिग्रस्त किया और सड़क तथा रेल यातायात को बाधित किया. भीमा कोरेगांव युद्ध की 200वीं वर्षगांठ के दौरान सोमवार को पुणे में दलित समूहों और दक्षिणपंथी हिन्दू संगठनों के बीच कल संघर्ष हो गया था जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी. भारिप बहुजन महासंघ के नेता और बीआर अंबेडकर के पोते प्रकाश अंबेडकर ने हिंसा रोकने में सरकार की विफलता के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए 3 जनवरी को महाराष्ट्र बंद का आह्वान किया है.


दो शख्स के खिलाफ मुकदमा
पुणे में, पीम्प्री पुलिस ने हिंसा भड़काने के आरोप में हिन्दू एकता अघादी के प्रमुख मिलिंद एकबोते तथा शिवराज प्रतिष्ठान के अध्यक्ष संभाजी भिड़े के खिलाफ मामले दर्ज किए हैं. दोनों संगठनों ने युद्ध में ‘ब्रिटेन की जीत’ का जश्न मनाने का विरोध किया था. पुलिस ने बताया कि मुंबई में प्रदर्शनकारियों ने 160 से ज्यादा बसों को क्षतिग्रस्त किया. 100 से अधिक प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया है.


सीएम फडणवीस ने न्यायिक जांच के आदेश दिए
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पुणे हिंसा मामले में बंबई उच्च न्यायालय के मौजूदा न्यायाधीश द्वारा न्यायिक जांच के आदेश दे दिए हैं और शांति की अपील की है. उन्होंने कहा कि हिंसा के पीछे क्या कोई साजिश थी इसका पता लगाने की जरूरत है. फडणवीस ने कहा कि हिंसा में मारे गए युवक के परिजनों को 10 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा और उसकी मौत की जांच सीआईडी करेगी.


राहुल गांधी और मायावती ने हिंसा के लिए BJP-RSS को जिम्मेदार ठहराया
न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक मायावती ने कहा, 'ये जो घटना घटी है, ये रोकी जा सकती थी. सरकार को वहां सुरक्षा के उचित प्रबंध करने चाहिए थे. वहां बीजेपी की सरकार है ओर उन्होंने वहां हिंसा कराई. लगता है इसके पीछे बीजेपी-आरएसएस और जातिवादी ताकतों का हाथ है.'


महाराष्ट्र के पुणे जिले में भीमा-कोरेगांव की हिंसा के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बीजेपी-आरएसएस को जिम्मेदार ठहराया है. तस्वीर साभार: PTI

इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी BJP-RSS पर आरोप लगाए. 'कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा-' भारत के लिए RSS और बीजेपी का फासीवादी दृष्टिकोण ही यही है कि दलितों को भारतीय समाज में निम्न स्तर पर ही बने रहना चाहिए. उना, रोहित वेमुला और अब भीमा-कोरेगांव प्रतिरोध के सशक्त प्रतीक हैं.'


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हिंसा की वजह ये बताई जा रही
इस लड़ाई में ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना ने पेशवा की सेना को हराया था. पुणे जिले में भीमा-कोरेगांव की लड़ाई की 200 वीं सालगिरह पर आयोजित एक कार्यक्रम के हिंसा हो गई. इस लड़ाई में ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना ने पेशवा की सेना को हराया था. दलित नेता इस ब्रिटिश जीत का जश्न मनाते हैं. ऐसा समझा जाता है कि तब अछूत समझे जाने वाले महार समुदाय के सैनिक ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना की ओर से लड़े थे. हालांकि, पुणे में कुछ दक्षिणपंथी समूहों ने इस ‘ब्रिटिश जीत’ का जश्न मनाए जाने का विरोध किया था. पुलिस ने बताया कि जब लोग गांव में युद्ध स्मारक की ओर बढ़ रहे थे तो आज दोपहर शिरूर तहसील स्थित भीमा कोरेगांव में पथराव और तोड़फोड़ की घटनाएं हुईं.


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शरद पवार ने हिंसा के लिए प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया
राष्ट्रवादी कांग्रेस (एनसीपी) प्रमुख शरद पवार ने पुणे जिले में भीमा-कोरेगांव लड़ाई की 200वीं वर्षगांठ के समारोह के दौरान हुई हिंसा के लिए प्रशासन को जिम्मेदार ठहराते हुए मामले में जांच की मांग की है. शांति की अपील करते हुए पवार ने कहा कि राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्रों के लोगों को उत्तेजित करने वाले बयान दिये बगैर ही स्थिति का सामना संयम से करना चाहिए. भीमा-कोरेगांव लड़ाई की 200वीं वर्षगांठ पर एक जनवरी एक समारोह आयोजित किया गया था, जहां हिंसा होने से एक व्यक्ति की मौत हो गई थी.