नई दिल्ली : संसद में कृषि क्षेत्र से जुड़े सुधारों के बिल पास होने के बाद धरने-प्रदर्शन की शुरुआत हो चुकी है. राजनीतिक दल अपनी सुविधा के हिसाब से सदन में पास हुए बिल का सड़क पर विरोध कर रहे हैं. कांग्रेस पार्टी का देशव्यापी प्रदर्शन जारी है, वहीं पंजाब में किसान मजदूर संघर्ष समिति ने किसान बिल के खिलाफ आज 24 सितंबर से 26 सितंबर तक 'रेल रोको' आंदोलन का ऐलान किया था उसकी शुरुआत रेल की पटरियों पर बैठने के साथ हो चुकी है. 


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बठिंडा पर सभी की निगाह
कांग्रेस पार्टी की ओर से बठिंडा के कन्हैया चौक पर हाथों में काली झंडी लिए हुए हरसिमरत कौर बादल और सुखबीर सिंह बादल का विरोध करेंगे. यहां सैकड़ों की संख्या में कांग्रेसी कार्यकर्ता और नेता मौजूद है. क्योंकि हरसिमरत कौर बादल और सुखबीर सिंह बादल बठिंडा से होते हुए आज तलवंडी साबो (Talwandi Sabo) गुरुद्वारा साहिब में नतमस्तक होने के लिए पहुंच रहे हैं. 


पंजाब में सबसे ज्यादा विरोध
गौरतलब है कि जिन जिन प्रदेशों में कांग्रेस पार्टी की सरकार है वहां इस बिल का जोरदार विरोध हो रहा है. पंजाब कृषि प्रधान सूबा है इसलिए किसान हितैषी पार्टी का दावा करते हुए कांग्रेस सबसे ज्यादा यहीं हमलावर है. गौरतलब है कि कृषि सुधार से जुड़े बिल को लेकर एनडीए में शामिल सहयोगी अकाली दल ने भी बिल के विरोध में नाराजगी जताई थी और केंद्र में उनकी पार्टी के कोटे से खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हरसिमरत कौर बादल (Harsimrat Kaur Badal) ने इस्तीफा दे दिया था. 


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पंजाब के गृह विभाग की तैयारी
गौरतलब है कि पंजाब के किसानों द्वारा आज से लगातार तीन दिन तक ट्रेन रोको आंदोलन का ऐलान हुआ था. इस वजह से पंजाब गृह विभाग ने सभी जिलों को एहतियात बरतने के निर्देश जारी किए हैं. यानी हालात संभालने के लिए डिप्टी कमिश्नर जरूरत पड़ने पर धारा 144 लगा सकते हैं.


इन इलाकों में सर्वाधिक असर
किसान संगठनों की ओर से सुनाम, बरनाला, नाभा ,संगरूर में रेल रोकने की चेतावनी दी गई थी वहीं फिरोजपुर,अमृतसर में भी रेल रोकने का फैसला हुआ था. इसी आंदोलन की वजह से कई ट्रेने रद्द की गई हैं तो कुछ के रूट में बदलाव हुआ है. 


यूपी में मायावती ने किया विरोध
उत्तर प्रदेश की पूर्व सीएम मायावती ने ट्वीट करते हुए केंद्र सरकार पर हमला बोला. अपने ट्वीट में उन्होने लिखा कि 'जैसा कि विदित है कि बीएसपी ने यूपी में अपनी सरकार के दौरान कृषि से जुड़े अनेकों मामलों में किसानों की पंचायतें बुलाकर, समुचित विचार-विमर्श करने के बाद ही उनके हित में फैसले लिए थे. केन्द्र सरकार भी किसानों को विश्वास में लेकर कोई निर्णय करती तो यह बेहतर होता.'



प्रियंका गांधी ने उठाए थे सवाल 
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने किसान बिल पर फिर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर ये बिल किसान हितैषी हैं तो आखिर इसमें न्यूनतम समर्थन मूल्‍य (MSP) का जिक्र क्‍यों नहीं है.


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