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नई दिल्लीः डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम के जेल जाने के बाद अब खुद को देवी का अवतार बताने वाली राधे मां की मुश्किलें भी बढ़ सकती हैं. पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने मंगलवार को खुद देवी बताने वाली राधे मां के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने पंजाब के फगवाड़ा निवासी सुनील मित्तल की याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब पुलिस को राधे मां के खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश दिया. दरअसल फगवाड़ा निवासी सुरेंद्र मित्तल ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर स्वंयभू देवी अवतार राधे मां के खिलाफ मामला दर्ज कराने की अपील की थी. जिस पर सुनवाई करते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने कपूरथला पुलिस को फटकार लगाई है.
हाईकोर्ट ने पुलिस से पूछा है कि अब तक इस मामले में FIR क्यूं नहीं दर्ज की गई. सुरेंद्र मित्तल ने कुछ महीने पहले राधे मां के खिलाफ पंजाब पुलिस को शिकायत दी थी कि राधे मां उसको रात-बेरात फोन करके परेशान करती है और डरा-धमकाकर उसे अपने खिलाफ बोलने से रोकने की कोशिश कर रही है.
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पंजाब पुलिस को अब इस मामले में हाईकोर्ट के सामने 13 नवंबर से पहले जवाब देना है. पुलिस को यह भी बताना है कि इस मामले में आपराधिक मामला बनता है या नहीं. अगर आपराधिक मामला बनता है तो अब तक इस मामले में FIR दर्ज क्यों नहीं की गई.
राधे मां की कहानी
राधे मां उर्फ सुखविंदर कौर का जन्म पंजाब के गुरदासपुर जिले के एक सिख परिवार में हुआ था. इनकी शादी पंजाब के ही रहने वाले व्यापारी सरदार मोहन सिंह से हुई है. शादी के बाद एक महंत से राधे मां की मुलाकात हुई जिसके बाद से ही उन्होंने आध्यात्मिक जीवन अपनाया. इसके बाद वह मुंबई आ गई और वो राधे मां के नाम से मशहूर हो गई. भारत-पाक सीमा पर बने पंजाब के छोटे से गांव दोरंगला से शुरू होती है. शादी के बाद राधे मां के पति कतर की राजधानी दोहा में नौकरी के लिए चले गए. बदहाली की हालत में सुखविंदर ने लोगों के कपड़े सिलकर गुजारा किया. 21 साल की उम्र में वे महंत रामाधीन परमहंस के शरण में जा पहुंचीं. परमहंस ने सुखविंदर को छह महीने तक दीक्षा दी और इसके साथ ही उन्हें नाम दिया राधे मां.