कोरोना के लिए कारगर मानी जा रही दवा पर उठे सवाल, चौंकाने वाले नतीजे आए सामने
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कोरोना के लिए कारगर मानी जा रही दवा पर उठे सवाल, चौंकाने वाले नतीजे आए सामने

1376 मरीजों पर किए गए इस रिसर्च में तकरीबन 60 फीसदी मरीजों को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दी गई.

फाइल फोटो

न्यूयॉर्क: अमेरिका के न्यूयॉर्क में कोरोना वायरस (Coronavirus) के 1376 मरीजों पर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा का ट्रायल किया गया. यह वही दवा है जो बहुत से देशों ने भारत से गुजारिश करके मंगवाई थी. लेकिन इस रिसर्च में यह पाया गया है कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन खाने वाले मरीजों की हालत में कुछ खास सुधार नहीं हुआ, उल्टे उनकी तबीयत और ज्यादा खराब हो गई.

  1. अमेरिका रेमेडिसिविर दवा को कोरोना वायरस के इलाज के तौर पर पेश कर रहा है
  2. भारत में अभी भी कई अस्पतालों में मरीजों को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दी जा रही है
  3. कई देश अपनी-अपनी दवा की वकालत कर रहे हैं

1376 मरीजों पर किए गए इस रिसर्च में तकरीबन 60 फीसदी मरीजों को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दी गई और बाकी मरीजों को ये दवा नहीं दी गई. फिर दोनों सभी मरीजों पर अध्य्यन किया गया. इस रिसर्च को न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन ने छापा है.

हालांकि भारत में अभी भी कई अस्पतालों में मरीजों को यह दवा एहतियातन दी जा रही है. हमें यह भी देखना होगा कि अमेरिका गिलियर्ड कंपनी की रेमेडिसिविर दवा को कोरोना वायरस के इलाज के तौर पर पेश कर रहा है.

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कई देश अपनी-अपनी दवा की वकालत कर रहे हैं. ऐसे में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन पर सवाल उठाए जाने वाली इस रिसर्च को ग्लोबल परिप्रेक्ष्य में देखना जरूरी है.

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