राफेल डील : जब CJI ने प्रशांत भूषण से कहा- 'पहले CBI को अपना घर तो व्यवस्थित कर लेने दो'
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राफेल डील : जब CJI ने प्रशांत भूषण से कहा- 'पहले CBI को अपना घर तो व्यवस्थित कर लेने दो'

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कीमतों को साझा करने का विरोध किया लेकिन इसके बावजूद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 10 दिनों के अंदर कीमतों को साझा करें. 

फाइल फोटो

नई दिल्ली : केंद्र सरकार द्वारा सेना की ताकत में इजाफे के लिए खरीदे गए राफेल फाइटर एयरक्राफ्ट मामले पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. बुधावर को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार को कहा कि 10 दिन में राफेल फाइटर एयरक्राफ्ट की कीमत ओर अन्य स्ट्रेटजिक डिटेल सीलबंद लिफाफे में जमा कराएं. हालांकि सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कीमतों को साझा करने का विरोध किया लेकिन इसके बावजूद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 10 दिनों के अंदर कीमतों को साझा करें. 

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट की निगरानी में सीबीआई जांच की मांग की, जिस पर प्रमुख न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा कि अभी इसमें वक्त लग सकता है. भूषण की मांग पर टिप्पणी करते हुए गोगोई ने कहा कि पहले सीबीआई को अपने घर को व्यवस्थित कर लेने दीजिए.

केंद्र ने कोर्ट में सौंपा था सील बंद लिफाफा
पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर केंद्र सरकार ने राफ़ेल ख़रीद सौदे की निर्णय प्रक्रिया सील बंद लिफ़ाफ़े में कोर्ट में दाखिल की थी. केंद्र सरकार ने 3 सीलबंद लिफाफे में डील की जानकारी सुप्रीम कोर्ट को सौंपी थी. दरअसल, पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हम राफेल की प्रक्रिया इसलिए पूछ रहे हैं, ताकि हम खुद को संतुष्ट कर सके और केंद्र को हम नोटिस जारी नहीं कर रहे हैं, बल्कि प्रक्रिया का विवरण मांग रहे हैं.

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राफेल सौदे पर रोक लगाने की मांग
राफेल समझौते के विवरण सील बंद लिफाफे में अदालत को सौंपने की मांग संबंधी जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई कर रहा था. इस याचिका में राफेल सौदे पर रोक लगाने की मांग की गई है. CJI जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एसके कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ के समक्ष नईयाचिका अधिवक्ता विनीत धांडे ने दायर की थी. इस याचिका में कहा गया था कि सौदे को लेकर आलोचना का स्तर निम्नतम हो गया है और देश के प्रधानमंत्री की आलोचना करने के लिए विपक्षी पार्टियां अपमानजनक और अभद्र तरीके अपना रही हैं.

मामले में अदालत से हस्तक्षेप की मांग करते हुए कहा गया था कि आलोचनाओं को विराम देने के लिए भारत सरकार और दासौ एविएशन के बीच हुए समझौते की जानकारी कम से कम अदालत को तो दी ही जानी चाहिए. इस तरह अदालत उस सौदे की सावधानी से जांच कर सकती है. इससे पहले अधिवक्ता एमएल शर्मा ने जनहित याचिका दाखिल कर राफेल सौदे पर रोक लगाने की मांग की थी.

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