कांग्रेस ने राफेल सौदे की आलोचना की, सौदे का ब्यौरा सार्वजनिक करने की मांग की
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कांग्रेस ने राफेल सौदे की आलोचना की, सौदे का ब्यौरा सार्वजनिक करने की मांग की

करीब 59,000 करोड़ रुपये के राफेल लड़ाकू विमान सौदे पर कई सवाल खड़े करते हुए कांग्रेस ने शनिवार को कहा कि करार में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण का कोई प्रावधान नहीं होना भारत को ‘काफी महंगा’ पड़ेगा।

कांग्रेस ने राफेल सौदे की आलोचना की, सौदे का ब्यौरा सार्वजनिक करने की मांग की

नई दिल्ली : करीब 59,000 करोड़ रुपये के राफेल लड़ाकू विमान सौदे पर कई सवाल खड़े करते हुए कांग्रेस ने शनिवार को कहा कि करार में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण का कोई प्रावधान नहीं होना भारत को ‘काफी महंगा’ पड़ेगा।

पूर्व रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने फ्रांस के साथ किए गए अंतर-सरकारी समझौते को सार्वजनिक किए जाने की भी मांग की। उन्होंने आश्चर्य जताया कि मूल योजना 126 विमानों की थी और सिर्फ 36 विमान हासिल किए जा रहे हैं। इससे चीन तथा पाकिस्तान के संबंध में खाई को किस प्रकार पाटा जाएगा।

कांग्रेस मुख्यालय में पार्टी प्रवक्ता मनीष तिवारी के साथ संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए एंटनी ने अफसोस जताया कि मूल करार में ‘मेक इन इंडिया’ की अवधारणा थी जबकि मौजूदा सौदे में यह ‘हट’ गया है।

एंटनी ने कहा, ‘संप्रग के दौरान, हमने 126 विमान खरीदने की योजना बनायी थी ताकि भारतीय वायुसेना को मजबूत बनाया जाए और यह देश की सुरक्षा स्थिति के मद्देनजर तत्काल परिचालन आवश्यकता थी।’ उन्होंने आश्चर्य जताया कि सिर्फ 36 विमान ही क्यों खरीदे जा रहे हैं।

उन्होंने सवाल किया, ‘भारतीय वायुसेना की आवंटित क्षमता 42 स्कवाड्रन की है और क्या यह वायुसेना की परिचालन आवश्यकता को पूरा करने के लिए पर्याप्त है, अभी सिर्फ 32 स्कवाड्रन ही है।’ एक स्कवाड्रन में सामान्य रूप से 18 विमान होते हैं।

उन्होंने कहा कि वायुसेना की परिचालन आवश्यकताओं के लिए और विमानों की जरूरत है, नहीं तो 2022 तक भारतीय वायुसेना के पास 25 स्कवाड्रन ही बच जाएंगे।

एंटनी ने कहा, ‘वास्तविक ब्यौरे की जानकारी प्राप्त किए बिना मैं मौजूदा कीमत के बारे में कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता। सरकार को अंतिम सौदे का ब्यौरा प्रकाशित करना चाहिए।’ उन्होंने कहा कि उन्होंने आज कुछ मीडिया खबरों को पढ़ा जिनमें दावा किया गया है कि मौजूदा सरकार ने भारी मोलभाव करके पैसे बचाए। उन्होंने कहा, ‘यह सही नहीं है। आप संप्रग सरकार के कार्यकाल के दौरान राफेल सौदे की कीमत और अभी की कीमत की तुलना नहीं कर सकते।’ भारत ने शुक्रवार को फ्रांस के साथ 36 राफेल लड़ाकू विमानों के लिए 7.87 अरब यूरो (करीब 59000 करोड़ रुपये) के सौदे पर हस्ताक्षर किये।

ये लड़ाकू विमान नवीनतम मिसाइल और शस्त्र प्रणालियों से लैस हैं और इसमें भारत के हिसाब से परिवर्तन किये गए हैं। ये लड़ाकू विमान मिलने के बाद भारतीय वायुसेना को अपने धुर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के मुकाबले अधिक ‘ताकत’ मिलेगी।

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