20 माह तक कांग्रेस अध्यक्ष रहे राहुल गांधी, कामयाबी के तौर पर मिलीं सिर्फ 3 सफलताएं!
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20 माह तक कांग्रेस अध्यक्ष रहे राहुल गांधी, कामयाबी के तौर पर मिलीं सिर्फ 3 सफलताएं!

राहुल 20 माह तक पार्टी के अध्यक्ष रहे लेकिन उन्हें कोई बड़ी राजनीतिक कामयाबी नहीं मिली.

राहुल ने दिसंबर, 2017 में गुजरात चुनाव परिणाम आने से पहले कांग्रेस अध्यक्ष पद की कमान संभाली थी.

नई दिल्ली: सोनिया गांधी कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष बन गई हैं. कांग्रेस कार्यकारिणी की शनिवार की शाम दोबारा हुई बैठक में पार्टी ने सोनिया गांधी को अंतरिम कांग्रेस अध्यक्ष नियुक्त किया. इससे पहले सोनिया ने 1998 से लेकर 2017 तक कांग्रेस की कमान संभाली थी, जिसके बाद राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया था. राहुल 20 माह तक पार्टी के अध्यक्ष रहे लेकिन उन्हें कोई बड़ी राजनीतिक कामयाबी नहीं मिली. वह पार्टी को उस मुकाम तक नहीं पहुंचा सके जहां उनसे पहले गांधी-नेहरू परिवार के कई लोग न सिर्फ पहुंचे, बल्कि लंबे समय तक बने रहे. 

राहुल ने दिसंबर, 2017 में गुजरात चुनाव परिणाम आने से पहले कांग्रेस अध्यक्ष पद की कमान संभाली थी. उन्होंने गुजरात चुनाव में काफी मेहनत की लेकिन पार्टी को जीत नहीं दिला सके. हालांकि गुजरात चुनाव में कांग्रेस को थोड़ा फायदा जरूर मिला लेकिन सत्ता से दूर रह गई. 

 

कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर करीब 20 महीने के कार्यकाल में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के चुनावी जीत के तौर पर उन्हें तीन बड़ी सफलताएं मिलीं. कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर यही तीन सफलताएं राहुल के खाते में दर्ज हैं लेकिन लोकसभा चुनाव 2019 में पार्टी की करारी हार उनकी नाकामी की बड़ी इबारत लिख गया. इस हार के साथ ही पार्टी अध्यक्ष के तौर पर उनकी पारी का भी अंत हो गया.

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कांग्रेस अध्यक्ष बनते ही गंवाया था कर्नाटक 
राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने के बाद 2018 में कर्नाटक विधानसभा चुनाव चुनाव हुए. यहां पर सिद्धारमैया मुख्यमंत्री थे लेकिन चुनाव में कांग्रेस की हार हुई. जेडीएस के साथ कांग्रेस ने किसी तरह से गठबंधन सरकार बनाई लेकिन वह भी 14 माह तक ही चल पाई. राहुल के नेतृत्व में 2018 के आखिर में हुए मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के विधानसभा चुनाव में जरूर कांग्रेस की जीत हाथ लगी. लेकिन 2019 के लोकचुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व बीजेपी की आंधी ने उनकी उम्मीदों को धराशायी कर दिया. यह आंधी इतनी प्रचंड थी कि वह अपनी परंपरागत अमेठी सीट भी हार गए. पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन की स्थिति यह रही कि वह 2014 के अपने 44 सीटों के आंकड़ों में सिर्फ 8 सीटों का इजाफा कर पाई और पार्टे 52 सीटों पर सिमट गई.

 

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