Raj thackery: एक समय पर राज ठाकरे को राजनीति में बाल ठाकरे का वारिस माना जाता था, हालांकि एक मर्डर केस ने उनके करियर पर ब्रेक लगा दिया था. अब वह उद्धव ठाकरे के साथ हाथ मिला रहे हैं.
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Raj thackery Political Career : महाराष्ट्र में पिछले कुछ सालों से राजनीति में काफी उथल-पुथल देखी जा रही है. शिवसेना और NCP का एक गुट भाजपा के साथ महायुति गठबंधन में है तो वहीं दूसरा गुट कांग्रेस के महा विकास अघाड़ी के साथ गठबंधन में हैं. अब एक और तूफान महाराष्ट्र की राजनीति में एंट्री ले सकता है. इसपर काफी जोरों-शोरों से चर्चा हो रही है. बताया जा रहा है कि उद्धव ठाकरे और उनके चचेरे भाई राज ठाकरे हाथ मिला सकते हैं.
उद्धव के साथ गठबंधन करेंगे राज
राज ठाकरे की फिलहाल राजनीति में स्थिति बिल्कुल भी अच्छी नहीं है. उन्होंने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) का गठन किया था, हालांकि पार्टी कुछ खास कमाल नहीं कर पाई है. अब उद्धव ठाकरे के साथ उनका गठबंधन राज ठाकरे के लिए कमबैक साबित हो सकता है, हालांकि एक मर्डर केस के चलते उद्धव ठाकरे ने राज ठाकरे की राजनीतिक पकड़ बिल्कुल कमजोर कर दी थी.
बाल ठाकरे के चहेते थे राज ठाकरे
राज ठाकरे बचपन से ही अपने चाचा बाल ठाकरे के चहेते थे. वे उनके साथ राजनीतिक रैलियों में भी जाते थे. उनकी भाषा, तेवर और चाल-ढाल बाल ठाकरे के जैसे ही थे. लोगों को भी यही लगता था कि राज ठाकरे बाल ठाकरे के अगले वारिस होंगे, हालांकि उद्धव ठाकरे की मां चाहती थीं कि उनका बेटा सियासत में आए. मां के कहने पर उद्धव साल 1995 के आसपास अपने पिता बाल ठाकरे और शिवसेना के कार्यक्रमों में जाने लगे.
मर्डर केस बना टर्निंग पॉइंट
साल 1996 में राज ठाकरे के साथ कुछ ऐसा हुआ कि उनका सियासी सपना टूट गया. दरअसल 1996 में मुंबई में रमेश किनी नाम के एक शख्स की हत्या की गई. दावा किया जाता है कि शिवसैनिक उसका फ्लैट हथियाना चाहते हैं. पहले उसे धमकाया गया और फिर बाद में उसकी डेडबॉडी एक सिनेमाहॉल में मिली. इस मामले में मृत रमेश की पत्नी ने राज ठाकरे पर हत्या का आरोप लगाया, जिससे राज ठाकरे की छवि काफी धूमिल हुई. भले ही CBI ने इस मामले में राज ठाकरे को बरी कर दिया हो, लेकिन उन्हें राजनीति से काफी साइडलाइन किया गया. तब तक उद्धव पार्टी पर अपनी पकड़ बना चुके थे. साल 2003 में उद्धव को शिवसेना का अध्यक्ष बनाया गया. वहीं राज ठाकरे बिल्कुल अकेले पड़ गए.
अलग-थलग पड़े राज
राज ठाकरे ने साल 2006 में शिवसेना छोड़कर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) नाम की एक पार्टी बनाई. साल 2009 के विधानसभा चुनाव में MNS ने 13 सीटें जीतीं, हालांकि ये ग्राफ गिरता चला गया और साल 2014 में राज ठाकरे की पार्टी मुश्किल से एक ही सीट पाई.