Rajasthan Political Crisis: सचिन पायलट के पिता से सीपी जोशी तक, इन दिग्गजों का पहले भी पत्ता काट चुके हैं गहलोत; इस बार चलेगा `जादू`?
Ashok Gehlot Vs Sachin Pilot: एक वक्त वो भी था, जब सीपी जोशी और अशोक गहलोत के बीच बिल्कुल नहीं बनती थी. लेकिन आज गहलोत जोशी को सीएम बनाने के लिए राजी हैं. वह जोशी के जरिए पायलट का पत्ता साफ कराने की सोच रहे हैं.
Rajasthan News: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राजनीति के जादूगर माने जाते हैं. उनके सियासी सफर में न जाने कितने लोग उनके प्रतिद्वंदी के तौर पर सामने आए लेकिन गहलोत उनकी काट निकाल ही लेते हैं. इस बार गहलोत के सामने चुनौती है सचिन पायलट की दावेदारी की काट निकालकर अपने किसी खासमखास को मुख्यमंत्री की कुर्सी दिलाने की. गहलोत के सामने पहले भी ये स्थिति आ चुकी है, उस डगर से भी गहलोत आसानी से निकल गए थे. तब उनको सीपी जोशी और राजेश पायलट से चुनौती मिली थी.
एक वक्त वो भी था, जब सीपी जोशी और अशोक गहलोत के बीच बिल्कुल नहीं बनती थी. लेकिन आज गहलोत जोशी को सीएम बनाने के लिए राजी हैं. वह जोशी के जरिए पायलट का पत्ता साफ कराने की सोच रहे हैं.
गहलोत के बाद जोशी राजस्थान में कांग्रेस के सबसे कद्दावर नेता माने जाते हैं. कद में वह गहलोत से कम नहीं ठहरते थे. अगर 14 साल पहले की बात करें तो 2008 में वह सीएम पद के लिए मजबूत दावेदार थे और प्रदेश अध्यक्ष भी. लेकिन एक वोट से विधानसभा चुनाव हारने के बाद जोशी सीएम की रेस से बाहर हो गए.
अब जोशी-गहलोत हैं करीबी
मौजूदा परिदृश्य की बात करें तो जोशी और गहलोत करीबी हैं. जोशी ने गहलोत के बेटे वैभव को राजस्थान क्रिकेट असोसिएशन का अध्यक्ष बनवाने में अहम भूमिका निभाई थी. जोशी ने ही बगावत के वक्त पायलट गुट के विधायकों को अयोग्यता का नोटिस भेजा था. इसके बाद जोशी और गहलोत के रिश्ते मीठे होते गए.
गहलोत ने कब-कब किया कमाल
सचिन पायलट ही नहीं उनके पिता राजेश पायलट से भी गहलोत का टकराव हो चुका है. लेकिन वहां भी बाजी गहलोत के ही हाथ लगी थी. साल 1993 की बात है, जब गहलोत के संसदीय क्षेत्र जोधपुर में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री राजेश पायलट पहुंचे थे. लेकिन उनको बुलाया ही नहीं गया. जब लोगों ने पूछा कि हमारे सांसद कहां हैं तो राजेश पायलट ने जवाब में कहा कि बेचारे गहलोत यहीं कहीं होंगे. मगर कुछ समय बाद ही गहलोत ने बाजी अपने नाम कर ली और राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष बन गए.
अब क्या होगा गहलोत का अगला दांव?
जब 1998 का दौर आया तो सीताराम केसरी कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव हार गए, जिसके बाद राजेश पायलट हाशिए पर आ गए. बाद में सोनिया गांधी ने भी गहलोत का समर्थन किया और राजेश पायलट साइडलाइन हो गए. देखा जाए तो 1998 में राजेश पायलट, 2008 में सीपी जोशी और 2018 में सचिन पायलट की चुनौती के बावजूद गहलोत सीएम की कुर्सी पर बने रहे. अब सबकी नजरें अशोक गहलोत के अगले दांव पर है कि सीपी जोशी को कमान सौंपी जाएगी या आलाकमान पायलट पर भरोसा जताएगा.
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