अजमेर में `सोनी जी की नसिया` के 104 सालों से बंद कमरे खुलने को तैयार, अयोध्या के भी होंगे भव्य दर्शन
Ajmer News: 27 मार्च से अजमेर के जैन मंदिर `सोनी जी की नसिया` के 104 सालों से बंद कमरे खुलने वाले है. जिसको लेकर श्रद्धालुओं में काफी उत्साह है. इसका निर्माण रायबहादुर सेठ मूलचंद जी सोनी के जरिए किया गया था .
Ajmer News: अजमेर में महावीर जयंती से पहले 'सोनी जी की नसिया' आम जनता को एक बड़ा तोहफा देने जा रहा है 140 वर्षों से बंद कमरे में बड़ी ऐतिहासिक चीजों को आम जनता के बीच लाया जा रहा है जिससे कि वह उसे निहार सके और इतिहास को जान सके.
ऐतिहासिक नगरी अजमेर में जैन संस्कृति की अनमोल धरोहर देखने को मिलती है. जहां विश्व प्रसिद्ध सोनी जी की नसिया अपनी अलग पहचान रखती है .. नसिया का निर्माण सन 1865 में रायबहादुर सेठ मूलचंद जी सोनी द्वारा किया गया था . सन 1871 में जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ भगवान के स्वर्ण पंचकल्याणक की रचना मनाई गई .
प्रदर्शित नहीं किया
सन 1875 में स्थापना कर दी गई किंतु दो पंचकल्याणक की रचना निर्मित तो हुई लेकिन उसे प्रदर्शित नहीं किया गया लेकिन, फिर भी सन 1895 में इसकी स्थापना कर दी गई. आज 140 वर्षों बाद यह मौका आ रहा है जब लोगों के लिए प्रदर्शित की जा रही है.
प्रथम हस्तिनापुर राजा श्रेयांश के जरिए भगवान आदिनाथ को प्रथम आहार का दृश्य एवं द्वितीय केवल ज्ञान प्राप्त होने के पश्चात, भगवान के आकाश गमन का दृश्य एवं इंद्र द्वारा 225 स्वर्ण कमल की रचना यह अब लोगो को दिखाई जाएगी. साथ ही भगवान ऋषभदेव के अंतिम समवशरण कैलाश पर्वत पर 72 स्वर्णिम जिनालय की रचना भी प्रदर्शित की जा रही है .
अजमेर की पावन धरा पर हर वर्ष महावीर जयंती एवं धार्मिक कार्यक्रमों में निकलने वाले स्वर्णिम रथ घोड़ा हाथी लवाजमे को भी स्थाई रूप से प्रदर्शित किया जाएगा. इसका भव्य लोकार्पण समारोह सोमवार को आयोजित किया जा रहा है जिसमें आचार्य वसुनंदी जी महाराज अपने संघ सहित यहां पहुंच रहे है और उनके जरिए इसका लोकार्पण किया जाएगा. 27 मार्च सोमवार दोपहर 3:00 बजे इसका भव्य लोकार्पण होगा और इसे 1 दिन के लिए निशुल्क पर रखा गया है
क्या है सोनी की नसिया
बता दें कि सोनी जी की नसियां, राजस्थान के अजमेर में स्थित एक जैन मंदिर है. करौली के लाल पत्थरों से बना यह खूबसूरत दिगंबर मंदिर जैन तीर्थंकर आदिनाथ का मंदिर है. यह मंदिर 1864-1865 ईस्वी का बना हुआ है. इसे बनाने में 25 वर्ष का लंबा समय लगा था. इसके निर्माण में जयपुर के कारीगरों का भी योगदान रहा. लाल (Soni ji ki nasiyan) पत्थरों से बना होने के कारण इसे ‘लाल मंदिर’ भी कहा जाता है. इसमें एक स्वर्ण नगरी भी है, जिसमें जैन धर्म से सम्बंधित पौराणिक दृश्य, अयोध्या नगरी, प्रयागराज के दृश्य विराट रूप से दिखाए गए हैं.
आगरा गेट अजमेर में स्थित यह मंदिर जगत विख्यात है. इसके मुख्य कक्ष को ‘स्वर्ण नगरी’ (सोने का नगर) कहा जाता है. इस कक्ष में सोने से परिरक्षित लकड़ी की अनेक रचनाएं हैं, जिसमें जैन धर्म से सम्बंधित चित्रण है. इसी कक्ष में अयोध्या का भव्य चित्रण है, जिसमें एक हजार किलो सोने का उपयोग हुआ है. अयोध्या नगरी में सुमेरु पर्वत का निर्माण जयपुर के कारीगरों के द्वारा किया गया था. यह स्वर्ण नगरी अपनी बारीक कारीगरी और पच्चीकारी केलिए प्रसिद्ध है.
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