राष्ट्रीय स्तर पर Art में द्वितीय स्थान पा चुकी रिया Lockdown में ऐसे निखार रही कला
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राष्ट्रीय स्तर पर Art में द्वितीय स्थान पा चुकी रिया Lockdown में ऐसे निखार रही कला

इन दिनों फूलियाकलां उपखण्ड क्षेत्र के तसवारिया बांसा गांव में एक नन्ही बालिका को तालाब किनारे, पेड़ पौधों के आस-पास खुली जगह पर हाथ में कलम कूंची लिए देखा जा रहा है, जो सुंदर पेंटिंग बना रही है. 

रिया को प्रकृति के रंग बहुत प्रभावित करते हैं, जो इनकी कृतियों में भी झलकता है.

Bhilwara: लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान जहां बच्चे अपना समय मोबाइल और टीवी देखकर व्यतीत कर रहे हैं, वहीं, एक नन्हीं नवासी अपने ननिहाल में रहकर अपनी कला कौशल को विकसित करने में लगी है. कला की तपस्या में रिया वैष्णव (Riya Vaishnav) की आर्ट राष्ट्रीय स्तर पर द्वितीय स्थान पर रही हैं.

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इन दिनों फूलियाकलां उपखण्ड क्षेत्र के तसवारिया बांसा गांव में एक नन्ही बालिका को तालाब किनारे, पेड़ पौधों के आस-पास खुली जगह पर हाथ में कलम कूंची लिए देखा जा रहा है, जो सुंदर पेंटिंग बना रही है. 

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आर्ट में राष्ट्रीय स्तर पर द्वितीय स्थान पा चुकी है रिया
आईएमएस (इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज) बीएचयू (बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी) कल्चरल कमेटी की तरफ से आयोजित टेलेंटोपीडिया - 1 राष्ट्रीय कला स्पर्धा आयोजित की गई, जिसमें क्षेत्र के तसवारियाँ बांसा गांव की नन्ही नवासी और 9वीं कक्षा की प्रतिभावान छात्रा रिया वैष्णव द्वितीय स्थान पर रही. इस प्रतियगिता में पूरे देश के कॉलेज स्तर के कलाकारों ने भाग लिया, जिसमें श्रेष्ठ 4- कलाकृतियां निर्णायक मंडल द्वारा चुनी गई. 

बाद में इन चार कृतियों में प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान के लिए वोटिंग के दो दौर करवाए गए. निर्णायक मंडल के अनुसार नन्ही रिया की अपनी कूंची पर अच्छी पकड़ है और इसके लिए अथक व अनवरत प्रयास की जरूरत होती है और धूप छांव का विशेष प्रभाव रिया की आर्ट में साफ दिखाई पड़ता है. प्रतियोगिता में अपने से दोगुना से भी अधिक उम्र के प्रतियोगियों को पीछे रख रिया ने दूसरा स्थान प्राप्त किया.

ईरान में भी अंतरराष्ट्रीय एग्जीबिशन में दिखा चुकी है अपनी आर्ट
जहां कोरोना महामारी के चलते लोग नियमों की अवहेलना करते, ताने मारते हुए दिखाई दे रहे है, वहीं, रिया ने लॉकडाउन के दौरान अपने कौशल पर लगातार काम किया और पिछले दो साल में कई संभाग स्तरीय, राज्य स्तरीय व राष्ट्रीय स्तरीय कला प्रतियोगिताएं अपने नाम की और एक अंतरराष्ट्रीय एग्जीबिशन में ईरान में भी कलाकृति चयनित हुई. रिया अपनी माता ममता वैरागी (ब्यूटीशियन) व पिता धर्मेश वैष्णव (दवा कंपनी प्रतिनिधि) की इकलौती संतान है, रिया के माता पिता ने एक ही संतान का निर्णय लिया और उसे सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा, जो कहीं ना कहीं रिया की प्रतिभा में चरितार्थ होता दिखाई पड़ता हैं. 

रिया को प्रकृति से है बेहद प्यार
रिया को प्रकृति के रंग बहुत प्रभावित करते हैं, जो इनकी कृतियों में भी झलकता है. उदयपुर जैसे बड़े शहर में रहते हुए भी रिया को गांव में रहना अच्छा लगता है, इसलिए जैसे ही मौका मिलता है, वो अपने ननिहाल तस्वारिया बांसा आने की जिद्द करती हैं. वर्तमान समय में रिया अपने नाना रतन लाल वैष्णव सेवानिवृत अध्यापक के यहां है और यहां पर भी कला की तपस्या अनवरत जारी है. ग्रामीण परिवेश में बाड़े जाना, खेतों में घूमना, पुराने घरों व मंदिरों व इमारतों को देखना, उनको अपने कैनवास पर उतारना, ये रिया को बेहद पसंद है, जो आगे चलकर उनके बड़े लक्ष्य को पाने में नींव का पत्थर साबित होंगे.

क्या कहना है रिया के पिता का
रिया के पिता का कहना हैं कि नम्बरों की भागम भाग से अच्छा है, बचपन से ही बच्चों के कौशल को देखते, परखते हुए, बच्चों को उनके कौशल के क्षेत्र में ही आगे बढ़ने दिया जाए तो निश्चित ही आगे चलकर यही बच्चे देश के अच्छे नागरिक भी बनते हैं और विश्व में देश और समाज का नाम रोशन करते हैं.

Reporter- Dilshad Khan

 

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