अनोखे अंदाज में भाइयों ने भरा बहन का मायरा, लोगों में सेल्फी खिंचवाने की लगी होड़
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अनोखे अंदाज में भाइयों ने भरा बहन का मायरा, लोगों में सेल्फी खिंचवाने की लगी होड़

 भीलवाड़ा (Bhilwara News) जिले के मांडलगढ़ में चार भाइयों ने मायरे की रस्म को यादगार बना दिया.

आकर्षण का केंद्र बने मायरा भरने गए भाई

Bhilwara: राजस्थान के भीलवाड़ा (Bhilwara News) जिले के मांडलगढ़ में चार भाइयों ने मायरे की रस्म को यादगार बना दिया. ग्रामीण क्षेत्र के छोटे से गांव से यह 4 भाई अपनी बहन के बेटे की शादी में मायरा भरने गए तो पूरे रास्ते आकर्षण का केंद्र बने रहे. मायरा भरने के लिए ये भाई अपने रिश्तेदारों और ग्रामीणों के साथ 42 सजे धजे बैलों से जुती हुई 21 बैलगाड़ियों (Bullock Carts) पर सवार होकर बहन के ससुराल पहुंचे.

मायरा भरना एक बड़ा उत्सव
राजस्थान (Rajasthan) में शादियों में बहन के यहां मायरा (Mayra) भरना एक बड़ा उत्सव है और इसे यादगार बनाने के लिए लोग बेहताशा खर्चा भी करते हैं. बड़े-बड़े और महंगे उपहारों के साथ बहन को नगदी और आभूषण भेंट करते हैं. इसके लिए आजकल बाकायदा पीहर पक्ष के लोग लग्जरी कारों (Luxury Cars) और अन्य वाहनों का कारवां लेकर पहुंचते हैं लेकिन इससे इतर मेवाड़ (Mewar) इलाके के मांडलगढ़ के चावंडिया में एक परिवार ने अनूठा उदाहरण पेश किया है. इस परिवार में चार भाइयों ने आधुनिक चकाचौंध से दूर रहकर ग्रामीण परिवेश की परंपरागत तरीके से मायरा भरा है. इसके लिए ये 42 सजे धजे बैलों से जुती हुई 21 बैलगाड़ियों से बहन के यहां मायरा भरने पहुंचे.

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लग्जरी वाहनों से बनाए रखी दूरी
त्याग और बलिदान की इस धरा पर इन लोगों ने परंपरागत तरीके से मायरा भरकर एक बार फिर से पुरानी परंपरा को जीवंत कर दिया है. मांडलगढ़ के चावंडिया गांव निवासी पूर्व सरपंच भैंरूलाल गुर्जर, दुर्गेश गुर्जर और कार्तिक गुर्जर अपनी बहन के बच्चे की शादी में मायरा भरने के लिये गये थे लेकिन इस दौरान उन्होंने लग्जरी और अन्य वाहनों के काफिले से दूरी बनाए रखी.

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आकर्षण का केंद्र बने मायरा भरने गए भाई
ये चार भाई 42 सजे धजे बैलों से जुती हुई 21 बैलगाड़ियां पर अपने रिश्तेदारों के साथ सवार होकर बहन के घर मायरा भरने उसके ससुराल मांडलगढ़ (Mandalgarh) क्षेत्र के गांव नाथजी का खेड़ा पहुंचे. इसके लिए बैलों के गले में घुंघरू बांधे गए. मसक बाजे और डीजे की धुन पर नाचते गाते ये भाई परिवार, रिश्तेदार और ग्रामीणों के साथ मायरा भरने नाथजी का खेड़ा पहुंचे. बहन की ससुराल पहुंचने पर सभी को तिलक लगाकर और माला पहनाकर स्वागत सत्कार किया गया. इस दौरान रास्ते में जिस किसी ने भी इस काफिले को देखा तो वह उसके साथ सेल्फी लिए बिना नहीं रह सका.

ग्रामीण परिवेश के इन चार भाइयों ने मायरे की रस्म को यादगार बना दिया. ये 4 भाई अपनी बहन के बेटे की शादी में मायरा भरने गए तो पूरे रास्ते आकर्षण का केंद्र बने रहे.

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