विकास के दावों को झुठलाने वाली तस्वीर, 'आदर्श गांव' में जान जोखिम में डालते बच्चे
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विकास के दावों को झुठलाने वाली तस्वीर, 'आदर्श गांव' में जान जोखिम में डालते बच्चे

भीलवाड़ा (Bhilwara News) के आदर्श गांव कहलाने वाले बाकरा क्षेत्र के बच्चों को तीन किलोमीटर नदी पार करके स्कूल जाना पड़ता है. 

7 गांव के 34 बच्चे हर दिन क्षतिग्रस्त कश्ती में सवार होकर अपने स्कूल की ओर निकल जाते हैं.

Bhilwara : राजस्थान के भीलवाड़ा (Bhilwara News) के आदर्श गांव कहलाने वाले बाकरा क्षेत्र के बच्चों को तीन किलोमीटर नदी पार करके स्कूल जाना पड़ता है. जिस नाव से बच्चे नदी पार करते हैं, वह भी टूटी हुई है. नदी किनारे कोई नाव चलाने वाला भी नहीं है. बच्चे खुद ही इस टूटी हुई नाव के सहारे जान जोखिम में डालकर नदी पार करते हैं. बाकरा (Bakra) के गांवों के बच्चे पिछले 10 साल से बरसाती पानी में खतरनाक सफर तय कर अपने स्कूल पहुंच रहे हैं.

7 गांव के 34 बच्चे हर दिन क्षतिग्रस्त कश्ती में सवार होकर अपने स्कूल की ओर निकल जाते हैं. बच्चों को यह भी पता है कि नाव टूटी है और कहीं भी डूब सकती है, लेकिन शिक्षा के जुनून में यह बच्चे उसी नाव में अपने स्कूल के लिए चल पड़ते हैं. बाकरा पंचायत के बाग की झोपड़ी, हंसलो की झोपड़ी, मेलवा, भीमपुरा, बागरथल, केसरपुरा समेत सात गांवों के बच्चे रोजाना 3 किलोमीटर नदी पार करते हैं.

हालांकि इस गांव से बागरा जाने के लिए 3 किलोमीटर लंबी कच्ची सड़क है, लेकिन बारिश में यहां से भी जाना मुश्किल हो जाता है. ये सड़क दलदल बन चुकी है. ऐसे में स्कूल के बच्चे नाव से नदी पार कर ही जाना ठीक समझते हैं. नाव में चप्पू नहीं है. नदी के दोनों किनारों पर एक रस्सी को बांध दिया गया है. बच्चे नाव में बैठकर रस्सी के सहारे दूसरे किनारे तक पहुंचते हैं. बाकरा ग्राम पंचायत के पास भीमपुरा बांध का पानी और बारिश का पानी इन 7 गांव के रास्ते में आ जाता है.

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10 साल पहले नरेगा से इस पानी के ऊपर एक कच्चा पुल बनाया गया था. बारिश के समय ग्रामीण उससे पार कर बाकरा गांव जाते थे, लेकिन यह पुल टूट गया. इसके बाद ध्यान ही नहीं दिया गया. ऐसे में अब यह 3 किलोमीटर का पूरा रास्ता दलदल का रूप ले चुका है. बारिश के इन तीन महीनों में 7 गांवों की कनेक्टिविटी ग्राम पंचायत मुख्यालय से टूट जाती है. 

बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर भीलवाड़ा के सांसद सुभाष बहेड़िया ने भी इस गांव को 5 साल के लिए गोद लिया था. इस गांव को सांसद आदर्श गांव का दर्जा प्राप्त है, लेकिन इसके बाद भी इस ग्राम पंचायत के हाल देखकर सभी दावें खोखले से नजर आ रहे हैं.

Report : Dilshad Khan

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