Explainer: अजमेर दरगाह में शिव मंदिर वाद, डेट अनुसार जानिए मामले में अब तक का अपडेट, दोनों पक्षों ने क्या कहा और मांगें?
Update in case of temple dispute in Ajmer Dargah Sharif: अजमेर दरगाह में शिव मंदिर वाद मामले के विवाद में दिनांक अनुसार जानिए अब तक का पूरा अपडेट क्या है.
Update in case of temple dispute in ajmer dargah sharif: अजमेर दरगाह में शिव मंदिर वाद मामले के विवाद में आज दरगाह दीवान सैयद जैनुअल आबेदीन मीडिया के सामने आये.
दरगाह दीवान ने कहा,'' अजमेर दरगाह को लेकर कंट्रोवर्सी की जा रही है. हरविलास शारदा की किताब 1910 में लिखी गई. 1920 में इसका रि-एडिशन हुआ था. 1940 में भी वापस हुआ था. पेज नंबर 92 पर क्लियर कट शब्द लिखे हुए हैं. पहली बात हरविलास शारदा हिस्टोरिकल नहीं है. वह एक एजुकेटेड आदमी थे.
बुक में क्लियर लिखा हुआ है कि ऐसा कहा जाता है, ऐसा सुना जाता है, ट्रेडिशनल शेष. बाकी जो वादी को कहना है वह उसने कोर्ट में कह दिया. लीगल तरीके से कोर्ट के अंदर इसका जवाब देंगे. हमारा भी एडवोकेट का पैनल है. दरगाह दीवान ने कहा कि दरगाह का 800 साल का इतिहास है. जब गरीब नवाज का एक्ट गवर्नमेंट ऑफ इंडिया पास कर रही थी एक्ट नंबर 36/1955 था.''
उन्होंने कहा कि उससे पहले 1950 के अंदर गवर्नमेंट ऑफ इंडिया ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के सिटिंग जज जस्टिस गुलाम हसन की अध्यक्षता में एक आयोग बनाया गया था. जिसमें दरगाह के एडमिनिस्ट्रेटर को लेकर इंक्वायरी की गई. उन्होंने यहां आकर पूरी जानकारी ली. खोजबीन की और जानकारी जुटाने के साथ ही डॉक्यूमेंट भी देखे गए. जो उन्होंने सर्वे की रिपोर्ट सबमिट की. वह गवर्नमेंट ऑफ इंडिया के पटल पर है.
सैयद जैनुअल आबेदीनने कहा कि उस जमाने में यह सब कच्चा था. गरीब नवाज जब तशरीफ लाए उसे जमाने में यह कच्छा मैदान था. उसके अंदर उनकी कब्र थी. जहां कब्र होगी वह भी कच्ची, 150 साल तक आपका मजार कच्चा रहा, उसके नीचे मंदिर कहां से आ सकता है. वहां बिल्कुल भी पक्का कंस्ट्रक्शन नहीं था.
दरगाह दीवान ने कहा कि मालवा के किंग महमूद केजी थे. उन्होंने जब अजमेर में कब्जा किया तब उन्होंने अपनी तरफ से एडमिनिस्ट्रेट चलाया. उसके अंदर गरीब नवाज की खलीफा की दरगाह है. उनके पोते थे जो ख्वाजा हुसैन नागोरी नाम से जाने जाते थे. किसी फंक्शन के अंदर उन्हें इनाम दिया गया था. उन्होंने उस पैसे को यहां लाकर ख्वाजा साहब का गुंबद बनाया था. जन्नती दरवाजा भी बनाया था. दो कच्चे मजार थे उनको पक्का किया था. 150 से 200 साल के बाद में बनाया गया था.
उन्होंने कहा कि 1961 में सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट है. जिसमें दरगाह की हिस्ट्री दी गई है. फरवरी 2002 के अंदर गवर्नमेंट ऑफ इंडिया ने जेपीसी बैठाई थी. ये दरगाह के एडमिनिस्ट्रेटर और प्रॉपर्टी के लिए बैठाई गई थी. जो 20 दिसंबर 2002 में राज्यसभा के पटल पर रखी हुई है.
उन्होंने कहा, ''इसके अंदर जो दरगाह को लेकर स्टोरी दी गई है. ख्वाजा साहब की दरगाह कैसी थी और कोई वहां पर टेंपल था या नहीं यह सब क्लियर हो रखा है. यह जो नई कंट्रोवर्सी की जा रही है वह सिर्फ हरविलास शारदा साहब की किताब और एक शब्द को लेकर ट्रेडिशनल सेंस को लेकर की जा रही है. इसकी एक्चुअल पोजीशन हम देंगे.''
दरगाह दीवान ने कहा कि 1829 के अंदर अजमेर कमांड्स पूरा के कमांडर साहब कमिश्नर होकर आए थे. उन्होंने अपनी रिपोर्ट 1829 के अंदर सबमिट की थी. उसके अंदर दरगाह की छोटी से छोटी बात को लेकर पूरा एक्सप्लेन किया है. सारी दरगाह की पिक्चर क्लियर की गई है.
इसके साथ ही कर्नल जेम्स टोंड यह अजमेर मेरवाड़ा के अंदर कमिश्नर होकर आए थे. इन्होंने भी 1829 के अंदर अपनी किताब लिखी थी. उसके अंदर भी दरगाह को लेकर क्लियर कर रखा है. इसके साथ ही कई हिस्टोरिकल बुक्स हैं.
1716 की एक किताब है, जिसको एनसाइक्लोपीडिया मैट्रिक का कहा जाता है. उसके अंदर भी दरगाह की हिस्ट्री है. यह सिर्फ नई कंट्रोवर्सी किताब को लेकर कर दी गई है. यह कहां तक जायज है. ''
उन्होंने कहा कि 'द प्लेस ऑफ वर्शिप' 1991 का क्षेत्र क्लियर है. 15 अगस्त 1947 को इंडिया के अंदर जितने भी धार्मिक स्थल हैं उनको वैसा का वैसा रखने के आदेश दिए गए थे. गरीब नवाज की तशरीफ़ 1195 के अंदर हुई. उनकी डेथ 1236 के अंदर हुई. मुगल 1526 के अंदर आए थे. इस बीच काफी अंतर है. मुगलों ने आकर यहां पर कुछ नहीं किया है. बस कंट्रोवर्सी पैदा की जा रही है.
अजमेर दरगाह शरीफ मामले में अब तक का अपडेट
बता दें कि अजमेर दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा करने वाले हिन्दू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की ओर से अजमेर कोर्ट में दायर की गई.
अजमेर दरगाह में शिव मंदिर होने के दावा से जुड़े परिवाद पर बुधवार, 27 नवंबर को न्यायिक मजिस्ट्रेट अजमेर पश्चिम की कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया. जिसमें कोर्ट ने मामले के तीन पक्षकारों को नोटिस जारी करने के आदेश दिए.
27 नवंबर को सैय्यद सरवर चिश्ती(सचिव, अंजुमन कमेटी) ने कहा, ''अदालत आदेश की प्रति मिलने पर वकील से मामले को लेकर चर्चा की जाएगी. न्यायिक प्रक्रिया के तहत निर्णय लिया जाएगा. कोर्ट में दावा मंजूर होने के बाद खादिमों की संस्था के सचिव ने कहा कि दरगाह आस्था और सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक है.''
मामले में कोर्ट ने इस मामले में अल्पसंख्यक मंत्रालय, दरगाह कमेटी और पुरातत्व विभाग को नोटिस जारी किए और जवाब पेश करने के लिए 20 दिसंबर की तारीख तय की गई.
किसने दायर की याचिका
परिवादी विष्णु गुप्ता ने अदालत में दायर वाद में अजमेर दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा किया है. साथ ही सबूत के तौर पर हरविलास शारदा की किताब का अंश पेश किया .
विष्णु गुप्ता ने दिया हरविलास शारदा की बुक का दिया रेफ्रेंस
हिन्दू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने कहा कि कोर्ट में संबंधित विषय में साक्ष्य दिए गए. साक्ष्य के रूप में हरविलास शारदा की 1910 में लिखी बुक का अंश पेश किया गया.
अजमेर दरगाह को भगवान संकटमोचन महादेव घोषित किया जाए. |
अजमेर दरगाह का अगर कहीं रजिस्ट्रेशन है तो उसको रद्द करने की मांग |
पुरातत्व विभाग से सर्वे की मांग |