Ajmer: किसान और पशुपालक प्रकृति के कहर से तो परेशान होते ही हैं और अब वह लंपी स्कीन बीमारी से भी जूझ रहें हैं. अपने बच्चे की तरह गायों का पालन पोषण कर गुजर-बसर करने वाले पशुपालकों पर लगातार खौफनाक हो रही लंपी स्कीन बीमारी से खौफ में हैं. अजमेर की खानपुरा स्थित डेयरी का संचालन करने वाले वार्ड 35 के पार्षद जावेद खान की डेरी में 100 से अधिक पशु है और इस बीमारी के कारण उनकी 6 गायें काल का ग्रास बन गयी हैं और 15 अभी भी इसकी चपेट में हैं.


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जावेद का कहना है कि यह बीमारी उन्होंने अपने जीवन में पहली बार देखी, जिसमें गाय बिल्कुल असहज हो जाती है और उनके फफोले होकर मवाद बाहर निकलती है. ऐसी गायों को उन्होंने शुरू से ही अलग कर रखा था, इसके बावजूद भी 6 गाय मौत की शिकार हुई और 15 गाय अभी भी इसकी चपेट में है, लेकिन इस बीच देशी औषधियों और आयुर्वेदिक दवाओं की मदद से वह गायों की देखरेख कर रहें हैं, जिससे कि उनकी रिकवरी हो सके.


जावेद ने जिला प्रशासन और पशुपालन विभाग पर अपनी नाराजगी व्यक्त की है उनका कहना है कि इतनी बड़ी और खतरनाक बीमारी के बावजूद भी सरकार व पशुपालन विभाग सर्तक नहीं है,  इस विषय में कोई भी जानकारी नहीं दी गई, जिसके कारण उनकी इतनी गाय इस बीमारी की चपेट में आ गई. ऐसे में उन्होंने जिला प्रशासन और सरकार से गरीब असहाय पशुपालकों की ओर ध्यान देने की अपील की है, जिससे कि पशुपालन कर परिवार का घर खर्च चलाने वाले पशुपालकों को राहत मिल सके. उन्होंने बताया कि इन गायों की मौत से उन्हें ही 10,00000 से अधिक का नुकसान हुआ है. ऐसे में गरीब पशुपालकों की हालत और खराब हैं, जिन्हें राहत मिलनी चाहिए.


स्थानीय पार्षद होने के नाते जावेद ने बताया कि क्षेत्र में ही इस बीमारी से 30 से अधिक गायों की मौत अब तक हो चुकी है. रोजाना दो से तीन गायों को उठाने के लिए उनके पास फोन आते हैं. ऐसे में यह बीमारी लगातार खतरनाक हो रही है, जिस पर अंकुश लगाने की आवश्यकता है और इसे लेकर सरकार और प्रशासन कोई ठोस कदम उठाएं. जिससे कि पशुपालकों को राहत मिल सके.


जिला प्रशासन के अनुसार अजमेर जिले में 60 से अधिक गायों की अब तक मौत हो चुकी हैं तो, 100 से अधिक इस बीमारी की चपेट में बताई जा रही हैं, लेकिन जमीन पर हालात कुछ और ही है. हर वार्ड और हर ग्रामीण क्षेत्र में लंपी बीमारी से गाय चपेट में आई हैं और सैकड़ों गायों कि मौत हो चुकी है इसकी चपेट में है इसका रिकॉर्ड भी पशुपालन विभाग के पास नहीं है.


Reporter - Ashok Bhati


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