हजारों सालों से मां चामुंडा की कृपा, तलवारों के साए में होती है आरती
अजमेर (Ajmer news) स्थित मां चामुंडा का मंदिर का इतिहास एक हजार वर्ष से भी पुराना है. तत्कालीन चौहान वंश के शासक पृथ्वीराज चौहान मां चामुंडा के मंदिर में नियमित रूप से आते थे.
Ajmer: अजमेर में अरावली की पहाड़ियों पर स्थित मां चामुंडा (Maa Chamunda Temple) का ऐतिहासिक मंदिर बना हुआ है. मान्यता है कि यहां मां चामुंडा हजारों सालों से साक्षात् विराजमान होकर भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं. मां चामुंडा अंतिम हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज चौहान (Prithvi Raj Chauhan) की आराध्य देवी रही है. अंतिम हिन्दू सम्राट पृथ्वी राज चौहान प्रतिदिन यहां दर्शन के लिए आते थे और यह मां चामुंडा का आशीर्वाद ही था कि उन्होंने मोहम्मद गौरी को 17 बार युद्ध में परास्त किया.
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अजमेर (Ajmer news) स्थित मां चामुंडा का मंदिर का इतिहास एक हजार वर्ष से भी पुराना है. तत्कालीन चौहान वंश के शासक पृथ्वीराज चौहान मां चामुंडा के मंदिर में नियमित रूप से आते थे. ये उनकी आराध्य देवी थी. मान्यता है कि पृथ्वी राज चौहान पर मां चामुंडा की असीम कृपा थी.
मोहम्मद गौरी को 17 बार परास्त किया
मां ने उन्हें साक्षात दर्शन देकर कहा कि जब भी तुम पर कोई विपत्ति आए मैं तुम्हारे पीछे चलूंगी और कोई भी शत्रु तुम्हारा बाल भी बांका नहीं कर पाएगा लेकिन तुम पीछे मुड़कर मत देखना. इतिहास इस बात का गवाह रहा कि सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने विदेशी आक्रान्ता मोहम्मद (Mohammad Ghori) गौरी को 17 बार परास्त किया.
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मां चामुंडा जमीन में समा गई
वहीं, ऐसी किदवंती है कि मोहम्मद गौरी से अंतिम युद्ध के समय पृथ्वीराज चौहान के मन में शंका उत्पन्न हुई कि देखू मां चामुंडा मेरे पीछे आ रही है की नहीं, जैसे ही पृथ्वीराज चौहान ने पीछे मुड़ कर देखा. मांचामुंडा जमीन में समा गई केवल उनका सिर बाहर रहा था.
भगवान शिव का अभिषेक
आज भी मां चामुंडा मंदिर में केवल मां का चेहरा ही नजर आता है, उनका बाकी शरीर जमीन में धंसा है. इस मन्दिर में एक गंगा कुंड भी है, जिसके बारे में कहा जाता है कि पूरे साल कितनी भी गर्मी पड़े लेकिन यह कुंड कभी नहीं सूखता है. इस मन्दिर में बने शिव मन्दिर में पूरे साल इसी गंगा कुंड से ही भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है.
कुंड के पानी का स्तर मात्र ढाई फीट
मान्यता है कि इस कुंड के पानी का स्तर मात्र ढाई फीट ही रहता है लेकिन कितना भी पानी निकाल लिया जाए यह जल स्तर कम नहीं होता है. साथ हीं, गर्मियों में यह जल हमेशा शीतल बना रहता है लेकिन सर्दियों में यह जल अप्रत्याशित रूप से गर्म हो जाता है.
तलवारों के साए में आरती
साथ ही वैसे तो पूरे साल मां चामुंडा मंदिर में श्रद्धालु दर्शनों के लिए आते है लेकिन नवरात्रि (Navratri 2021) में यहां की रौनक देखते ही बनती है. इस मंदिर में आरती के समय की एक खास बात भी है. यहां आरती के समय दो व्यक्ति तलवार लेकर आगे पीछे चलते है या यूं कहे की तलवारों के साए में आरती की ज्योत चलती है.
1300 फीट की उंचाई
पूरे देश से यहां भक्त गण अपनी मनोकामनाएं लेकर आते है और मनोकामना पूरी होने पर मां के मंदिर में चुनरी बांधते है. पहाड़ियों पर स्थित होने के बावजूद भी भक्तों का जोश देखते ही बनता है. लगभग 1300 फीट की उंचाई पर बने इस मंदिर में माथा टेक कर हर श्रद्धालु अपने आपको धन्य मानता है. साथ हीं, कई जाति समाज के लोगों द्वारा इस मन्दिर में माथा टेककर ही शुभकार्य को पूर्ण हुआ माना जाता है फिर चाहे शादी हो या बच्चे का जन्म.
Reporter- Manveer Singh Chundawat