शीतल सप्तमी के त्योहार पर घरों में नही जलेंगे चूल्हे, जाने क्या है धार्मिक मान्यता?
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शीतल सप्तमी के त्योहार पर घरों में नही जलेंगे चूल्हे, जाने क्या है धार्मिक मान्यता?

हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार शीतला सप्तमी का पूजन होली उत्सव के 6 दिनों बाद चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी के दिन किया जाता है . इस दिन हिन्दू धर्मावलम्बी व्रत रखकर ठंडा भोजन करते है . साथ ही दो दिनों तक पुजा अर्चना कर मा शीतला से उत्तम स्वास्थ्य की कामना करते है .

शीतल सप्तमी के त्योहार पर घरों में नही जलेंगे चूल्हे, जाने क्या है धार्मिक मान्यता?

अजमेर: हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार शीतला सप्तमी का पूजन होली उत्सव के 6 दिनों बाद चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी के दिन किया जाता है . इस दिन हिन्दू धर्मावलम्बी व्रत रखकर ठंडा भोजन करते है . साथ ही दो दिनों तक पुजा अर्चना कर मा शीतला से उत्तम स्वास्थ्य की कामना करते है . तीर्थ नगरी पुष्कर में कल गुरुवार को शीतला सप्तमी के उपलक्ष्य में मंदिरो से लेकर घरों में भी काफी उत्साह देखा जा रहा है.

बाजारों में पारम्पारिक पकवानो की बिक्री देखी जा रही है . तो वही शीतला माता के मंदिरों में विशेष श्रृंगार कर भजन संध्या के आयोजन की तैयारियां जोरों पर है . कस्बे के प्रसिद्ध ज्योतिषविद पंडित पवन कुमार राजऋषि ने बताया कि छठ के दिन घरों में पारंपरिक पकवान बनाए जाते हैं. और सप्तमी के दिन माता शीतला को भोग लगाकर भोजन किया जाता है.

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ठंडा भोजन करने की मान्यता

मान्यताओं के अनुसार कई धर्मावलंबी 2 दिन तक व्रत के नियमों की पालना भी करते हैं. यदि सप्तमी के दिन मंगलवार शनिवार और रविवार आ जाए तो इसके 1 दिन पहले या 1 दिन बाद शीतला सप्तमी का त्योहार मनाया जाता है . मान्यताओं के अनुसार इस दिन हिंदू धर्मावलंबियों के घरों में चूल्हा नहीं जलाया जाता है. सप्तमी और अष्टमी के दिन घरों में ठंडा भोजन किया जाता है .आज बुधवार को कस्बे के ब्रह्म चोक ओर गऊ घाट स्थित मंदिर पर भजन संध्या के आयोजन होंगे. ऐसी मान्यता है कि शीतला सप्तमी से ही ग्रीष्मकाल की शुरुआत होती है. शीतला माता ग्रीष्मकाल में शीतलता प्रदान करती हैं. शीतला माता की पूजा करने से चेचक, फोडे, नेत्र विकार आदि रोग भी दूर होते हैं. यह व्रत रोगों से मुक्ति दिलाता है और आरोग्य प्रदान करता है. गर्मी के दिनों में होने वाली बीमारियां को बुजुर्ग इसे माता शीतला का प्रकोप मानते थे. इसलिए इस दिन माता शीतला को प्रसन्न करने के लिए उनकी पूजा करने के बाद बासी भोजन किया जाता है. हिन्दू धर्म ग्रंथो के अनुसार माता शीतला संतानहीन महिलाओं को संतान की प्राप्ति का आशीर्वाद देती हैं.

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