Asind: हस्तरेखा विज्ञान में हथेली की रेखाओं के आधार पर बड़ी ही दिलचस्प जानकारियां दी गई हैं. इन जानकारियों से व्यक्ति के स्वभाव और उसके भविष्य के बारे में काफी कुछ मालूम किया जा सकता है. आज हम हथेली की उन रेखाओं के बारे में बात करने वाले हैं जिनसे व्यक्ति की होने वाली कुल संतानों की संख्या जानी जा सकती है. पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि हस्तरेखा विज्ञान की मानें तो व्यक्ति की हथेली पर कुछ ऐसी रेखाएं होती हैं जिनसे उसकी होने वाली संतानों के बारे में पता लगाया जा सकता है. बता दें कि छोटी अंगुली के निचले हिस्से के स्थान को बुध पर्वत कहा जाता है और ज्योतिष में बुध पर्वत पर बनने वाली रेखाओं के आधार पर व्यक्ति के संतान सुख के बारे में पता चलता है.


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ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि हस्तरेखा के मुताबिक आपकी की हथेली के बुध पर्वत पर जितनी खड़ी रेखाएं होंगी, आपकी उतनी ही संतान संख्या होगी. मालूम हो कि हस्तरेखा विज्ञान में हाथ के अंगूठे के निचले हिस्से को शुक्र पर्वत कहा जाता है और शुक्र पर्वत पर बनने वाली छोटी-छोटी रेखाओं के आधार पर संतान संख्या निर्धारित होती है. जानना दिलचस्प है कि बुध और शुक्र पर्वत की इन छोटी-छोटी रेखाओं को हस्तरेखा ज्ञान में संतान रेखा के नाम से जाना जाता है. हस्तरेखा विज्ञान का सबसे अच्छा उपयोग जीवन में बीमारियों और अप्रत्याशित घटनाओं की भविष्यवाणी करने के लिए पहले इस्तेमाल किया जाता था. केवल एक विद्वान हस्तरेखाविद् ही प्रत्येक को सटीक रूप से भेद करने में सक्षम होगा.


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हस्त रेखा विशेषज्ञ डा. अनीष व्यास ने बताया कि हस्तरेखा विज्ञान में आपको हाथ की रेखाओं के जरिए अपने भविष्य की बहुत सी जानकारी प्राप्त हो जाती है. जैसे विवाह, करियर, आयु, संतान आदि. हर नवविवाहित दंपति की तमन्ना होती है कि उनको जल्द ही संतान की प्राप्ति हो. किसी भी ज्योतिषी से नवविवाहितों का पूछा जाने वाला पहला प्रश्न संतान के बारे में ही होता है. आपके इन सभी सवालों के जवाब जन्म कुंडली के अतिरिक्त हस्तरेखाओं में भी मिलेगें. आइए जानते हैं कहां होती है हथेली पर संतान रेखा और कैसे संकेत देती हैं ये रेखाएं.


हथेली में कहां होती है संतान रेखा
हस्त रेखा विशेषज्ञ डा. अनीष व्यास ने बताया कि सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार हथेली में कनिष्ठिका अंगुली के मूल में बुध पर्वत पर ऊपर की ओर स्थित रेखा को संतान रेखा कहा जाता है. ये रेखा स्पष्ट होनी चाहिए. आपके हाथ में जिनती संतान रेखा होंगी, भविष्य में आपके उतने ही बच्चे होंगे. संतान का विचार शुक्र पर्वत पर स्थित रेखाओं से भी किया जाता है. हथेली के बाहर की ओर से भीतर आने वाली हॉरिजेंटल लाइन विवाह रेखा कहलाती है.


संतान रेखा क्या संकेत देती हैं
हस्त रेखा विशेषज्ञ डा. अनीष व्यास ने बताया कि समुद्र शास्त्र के अनुसार रेखाएं जितनी सीधी और गहरी होती हैं, वे पुत्र संतान का प्रतीक होती है वहीं रेखाएं जितनी हल्की या बारीक होती हैं वो कन्या संतान की संख्या दिखती हैं. हस्तरेखा विशेषज्ञ की मानें तो संतान रेखाएं साफ, स्पष्ट, बिना कटी-फटी होनी चाहिए. ऐसी रेखाएं उत्तम संतान का प्रतिनिधित्व करती हैं. समुद्राशास्त्र कहता है यदि हथेली में स्थित संतबन रेखा पर द्वीप चिह्न होता है तो वो संतान के खराब स्वास्थ्य को दर्शाती हैं. यदि आपकी हथेली में संतान रेखा पर तिल है तो ऐसा होने से संतान प्राप्ति में समस्या उत्पन्न होती है. यदि आपकी हथेली में संतान रेखाएं कटी फटी है तो संतान सुख प्राप्त नहीं होता. हस्त रेखा विशेषज्ञ डा. अनीष व्यास ने बताया कि समुद्रशास्त्र के अनुसार हथेली में जो संतान रेखाएं स्थित है वो नीचे से ऊपर जाती है और अगर ये अंत में जाकर 2 भागों में विभक्त हो जाती हैं तो संतान को भारी संकट का सामना करना पड़ सकता है. हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार यदि संतान रेखा पर लाल तिल है तो जातक की संतान अल्पायु हो  सकती है. जिन लोगों का बुध पर्वत उभरा हुआ होता है उनकी चार संतानें होती है. वहीं जिन लोगों का शुक्र पर्वत उभरा हुआ होता है उन्हें एक संतान प्राप्त होती है.