Anta Assembly By Election News : अंता में उपचुनाव की रणभेरी बज गई है, 11 नवंबर को यहां वोट डाले जायेंगे. 14 नवंबर को उपचुनाव के नतीजे आयेंगे. उपचुनाव के नतीजे कांग्रेस और भाजपा के कई नेताओं का भविष्य भी तय करेंगे, पर नरेश मीणा इस चुनाव में दोनों ही पार्टियों का गणित बिगाड़ने में अभी से जुट गये.
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Naresh Meena News : कंवरलाल मीणा की विधानसभा से सदस्यता रद्द होने के बाद अब अंता में उपचुनाव की बारी है. चुनाव आयोग ने तारीख का एलान कर दिया है, तो कांग्रेस से लेकर बीजेपी तक चुनाव की तैयारी में जुट गई हैं. पर इस चुनाव में एक तीसरा और किरदार है नरेश मीणा का. उन्होंने तो 14 अक्टूबर को नामांकन दाखिल करने तक का एलान कर दिया है.
इस बार उपचुनाव में चुनावी टक्कर जोरदार होने की संभावना है. कांग्रेस से पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया या फिर उनकी पत्नी उर्मिला जैन भाया को ही टिकट मिलने की प्रबल संभावना जताई जा रही है, तो बीजेपी में कद्दावर नेता और पूर्व प्रदेशाध्यक्ष् रघुवीर सिंह कौशल के पौत्र प्रखर कौशल का नाम फिलहाल सबसे ज्यादा चर्चा में है, बीजेपी तो उपचुनाव की घोषणा के साथ ही अपनी जीत के दावे भी करने लग गई है.
अंता सीट का इतिहास
2008 में ये सीट अस्तित्व में आई थी. सीट से दो बार प्रमोद जैन भाया कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीत चुके हैं. बीजेपी के टिकट पर एक बार प्रभूलाल सैनी,तो दूसरी बार कंवरलाल मीणा ने चुनाव जीता. पिछला चुनाव कंवरलाल मीणा 5861 वोट से जीते थे, पिछले दो साल में करीब दस हजार वोट बढ़ चुके हैँ. इस बार उपचुनाव में कुल 2लाख 27 हजार मतदाता उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे. एक ओर भजनलाल शर्मा के मुख्यमंत्री बनने के बाद बीजेपी सात में से पांच उपचुनाव जीतकर इस चुनाव के लिए भी काफी कॉन्फिडेंट नजर आ रही है, तो कांग्रेस अंता का उपचुनाव जीतकर भजनलाल सरकार के खिलाफ एंटी इंकमबेंसी का आगाज चाहती है.
भाजपा से कौन कौन कतार में
अंता प्रधान प्रखर कौशल के अलावा भाजपा जिलाध्यक्ष आनंद गर्ग,पूर्व मंत्री प्रभुलाल सैनी,नगरपालिका अध्यक्ष रामेश्वर खंडेलवाल विष्णु गौतम प्रमुख दावेदारों में हैं आखरी वक्त पर बीजेपी इमोशनल कार्ड खेलते हुए कंवरलाल मीणा के किसी परिजन पर भी दांव खेल सकती है. इस उपचुनाव में वसुंधरा फैक्टर पर सबकी निगाह है. वसुंधरा राजे लंबे समय तक झालावाड़ से सांसद रही हैं और अब उनके पुत्र दुष्यंत सिंह लगातार चुनाव जीत रहे हैं. प्रमोद भाया हमेशा से भाजपा की आंख की किरकिरी रहे हैँ .
सीएम भजनलाल और पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की प्रतिष्ठा का सवाल
2013 में भाया को चुनाव हराने के लिए वसुंधरा राजे ने देवली और हिंडोली से चुनाव लड़ने वाले प्रभुलाल सैनी को मैदान में उतारकर भाया को चुनाव हरवा दिया था. वहीं 2023 में मनोहरथाना से विधायक रहे कंवरलाल मीणा को अंता से चुनाव लड़ाकर भाया की हार तय की. जितना ये उपचुनाव सीएम भजनलाल शर्मा की प्रतिष्ठा से जुड़ा है. उतनी ही प्रतिष्ठा वसुंधरा राजे की जुड़ी है. वसुंधरा राजे किसी भी सूरत में यहां से जीत चाहती हैं, क्योंकि अकेले प्रमोद भाया ही हैँ. जो वसुंधरा राजे के लिए इस इलाके में चुनौती पेश करने की थोड़ी बहुत क्षमता रखते है. इसलिए इस उपचुनाव में बीजेपी की टिकट उसी को मिलेगी. जिसे वसुंधरा राजे चाहेगी, वो अपने गढ में कांग्रेस को किसी भी सूरत में मजबूत नहीं होने देगी.
रेस में कांग्रेस-भाजपा से लेकर नरेश मीणा भी पीछे नहीं
बीजेपी को प्रदेश में सरकार होने का फायदा मिल सकता है, तो कांग्रेस प्रमोद जैन भाया की ओर से इस इलाके में किये गये कामों को आधार बनाकर मैदान में उतरना चाहेगी. पर अभी तो बस शुरूआत है. जब तक दोनों ही पार्टियां अपने उम्मीदवारों के नाम का एलान नहीं कर देती. तब तक उपचुनाव की तस्वीर साफ नहीं हो पायेगी. फिलहाल बढ़ चढ़कर दावे किये जा रहे हैं और इस रेस में कांग्रेस-भाजपा से लेकर नरेश मीणा भी पीछे नहीं हैं.
प्रमोद भाया के धुर विरोधी है नरेश मीणा
नरेश मीणा की भाया से अदावत इस इलाके में किसी से छिपी नहीं है. मीणा प्रमोद भाया की धुर विरोधियों में गिने जाते हैं. उन्होंने तो बाकायदा चुनावी रण में कूदने तक का एलान कर दिया है, पर वो कांग्रेस का खेल बिगाड़ेंगे या भाजपा का, इसका शुरूआती दौर में अंदाजा लगा पाना बहुत मुश्किल है.
कांग्रेस के लिए सत्ता विरोधी लहर तैयार करने का मौका
अंता के चुनाव में अब तक कांग्रेस और बीजेपी का हिसाब बराबर रहा है. दो बार भाजपा तो दो बार कांग्रेस ने यहां जीत दर्ज की है. बीजेपी नेताओं को भजनलाल सरकार के किये गये विकास कार्यों से जीत की उम्मीद है. बहरहाल ,इस उपचुनाव को भाजपा के लिए अपनी सरकार के कामकाज पर जनता की मुहर के रूप में देखा जा रहा है, तो कांग्रेस सूबे में सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर तैयार करने का मौका मान रही है.
किसका खेल बिगाड़ेंगे नरेश मीणा
जाहिर है दोनों ही पार्टियां भले ही जीत के दावे करें, पर अंता की जनता ही उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेगी. मैदान में उतरने वाले निर्दलीय पता नहीं किसका खेल बिगाड़ेंगे और किसका खेल बनायेंगे.
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